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जम्मू-कश्मीर: हिज्बुल सरगना के बेटे समेत 4 को नौकरी से निकाला

जम्मू-कश्मीर: हिज्बुल सरगना के बेटे समेत 4 को नौकरी से निकाला

नौकरी से बर्खास्त किए गए चार लोग कौन हैं और इन पर क्या आरोप हैं?

जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने चार सरकारी कर्मचारियों को राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में शामिल होने के आरोपों में सरकारी नौकरी से बर्खास्त कर दिया है। बर्खास्त किए गए लोगों में डॉ. मुहीत अहमद भट (कश्मीर विश्वविद्यालय में वैज्ञानिक), माजिद हुसैन कादरी (कश्मीर विश्वविद्यालय में वरिष्ठ सहायक प्रोफेसर), सैयद अब्दुल मुईद (प्रबंधक आईटी, जेकेईडीआई) और जेकेएलएफ के शीर्ष आतंकवादी फारूक अहमद डार उर्फ ​​बिट्टा कराटे की पत्नी अस्बाह आरज़ूमंद खान शामिल हैं। खान ग्रामीण विकास निदेशालय, कश्मीर में तैनात थीं। 

सरकार के अनुसार, अस्बाह आरज़ूमंद खान को इसलिए बर्खास्त किया गया क्योंकि राज्य के प्रशासन द्वारा की गई जांच के दौरान यह पता चला था कि वह एक अलगाववादी थीं और उनके आतंकवादी संगठनों और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के साथ गहरे संबंध थे।

अधिकारियों के मुताबिक़, खान को किसी ने बैकडोर से नौकरी में नियुक्त करवाया था और इस काम में प्रशासन का भी कोई शख़्स शामिल था।

खान के बारे में पता चला है कि 2003 और 2007 के बीच वह कई महीने तक काम से अनुपस्थित थी और इसके बाद अगस्त 2007 में उसे बर्खास्त कर दिया गया था। इस दौरान खान ने जर्मनी, यूके, हेलसिंकी, श्रीलंका और थाईलैंड की यात्रा की। जांच में पता चला है कि वह जेकेएलएफ के लिए नकदी लाने-ले जाने का काम करती थी। 

फारूक अहमद डार उर्फ ​​बिट्टा कराटे फिलहाल टेरर फंडिंग के मामले में न्यायिक हिरासत में है। 

मुहीत अहमद भट 

मुहीत अहमद भट कश्मीर विश्वविद्यालय के कंप्यूटर विज्ञान विभाग में वैज्ञानिक हैं। मुहीत 2017 से 2019 तक कश्मीर विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (कूटा) के कार्यकारी सदस्य और 2017 से 2019 तक इसके अध्यक्ष रहे। 2016 में उन्होंने छात्रों के प्रदर्शन में बड़ी भूमिका निभाई, जिसमें लगभग 100 लोग मारे गए और हजारों लोग घायल हुए।

आरोप है कि कूटा के सदस्य के रूप में मुहीत ने पथराव करने वालों और आतंकवादियों के कुछ परिवारों को कूटा के फंड से पैसे दिए थे। जनवरी 2018 में, मुहीत ने लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादियों के परिवारों को वित्तीय सहायता दी थी और सुरक्षा बलों द्वारा मारे गए आतंकवादियों के परिवारों को भुगतान करने के लिए धन की भी व्यवस्था की।

माजिद हुसैन कादरी

माजिद हुसैन कादरी लश्कर-ए-तैयबा का कट्टर आतंकवादी था। लेकिन उससे पहले वह 2001 में कश्मीर विश्वविद्यालय में एमबीए का छात्र था। सूत्रों के मुताबिक, माजिद अगस्त 2001 में लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादियों के संपर्क में आया था और कश्मीर विश्वविद्यालय में लश्कर-ए-तैयबा के लिए आतंकियों की भर्ती का काम करता था। 2003 में माजिद लश्कर का प्रवक्ता बना और जून 2004 में उसकी गिरफ्तारी होने तक वह इस पद पर बना रहा। उसके पास से एक स्नाइपर राइफल भी बरामद की गई थी। उसे दो साल के लिए पीएसए के तहत हिरासत में रखा गया था। सूत्रों ने बताया कि 2002 से 2004 के बीच माजिद ने आतंकियों को साजो-सामान मुहैया कराकर चार आतंकी हमलों को भी अंजाम दिया था। लेकिन बाद में माजिद को बरी कर दिया गया था। 

2010 में माजिद को कश्मीर विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर के रूप में नियुक्त किया गया था। वह वर्तमान में मैनेजमेंट स्टडीज विभाग में वरिष्ठ सहायक प्रोफेसर के रूप में काम कर रहा था। 

सैयद अब्दुल मुईद 

सैयद अब्दुल मुईद पाकिस्तान से संचालित आतंकवादी संगठन हिज्बुल मुजाहिद्दीन के सरगना सैयद सलाहुद्दीन का बेटा है। मुईद को 2012 में आईटी सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया था। सूत्रों के मुताबिक़, मुईद को नियुक्त करने के लिए नियमों की धज्जियां उड़ाई गईं। तब चयन पैनल में कम से कम तीन सदस्य ऐसे थे, जिन्हें आतंकियों का हमदर्द माना जाता था। मुईद की नियुक्ति के मामले में कोई सीआईडी ​​सत्यापन तक नहीं किया गया था।

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