दिल्ली : रैली में मुसलमान- विरोधी भड़काऊ नारे, मामला दर्ज
ऐसे समय जब कोरोना संक्रमण की वजह से लोगों को राजनीतिक कार्यक्रम और रैली वगैरह करने की अनुमति नहीं है, दिल्ली में संसद से कुछ किलोमीटर दूर दिन दहाड़े एक रैली हुई, जिसमें हज़ारों लोगों ने शिरकत की और जिसमें मुसलमानों के ख़िलाफ़ बेहद आपत्तिजनक व भड़काऊ नारे लगाए गए।
यह ऐसे समय हुआ, जब संसद का मानसून सत्र चल रहा है।
दिल्ली पुलिस ने उन लोगों के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज कर ली है, जिन्होंने रविवार को जन्तर-मन्तर पर एक रैली में मुसलमान विरोधी नारे लगाए। इसमें धारा 153-ए के तहत विभिन्न समुदायों के बीच वैमनस्य फैलाने का आरोप लगाया गया है।
यह रैली सुप्रीम कोर्ट के वकील और दिल्ली बीजेपी के पूर्व प्रवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने आयोजित की थी।
क्या है मामला
दिल्ली बीजेपी के पूर्व प्रवक्ता और सुप्रीम कोर्ट के वकील अश्विनी उपाध्याय ने 'औपनिवेशिक युग के क़ानूनों के ख़िलाफ़' यह रैली आयोजित की थी। इसमें समान नागरिक संहिता का समर्थन किया गया।
लेकिन इस रैली में मुसलमानों के ख़िलाफ़ बातें कही गईं। कुछ वीडियो में यह साफ देखा जा सकता है कि बेहद उत्तेजक और भड़काऊ नारे लगाए गए, जिसमें मुसलमानों को साफ तौर पर निशाना बनाया गया। इस रैली में लगभग पाँच हज़ार लोग मौजूद थे।
#भारत_जोड़ो_आंदोलन में शामिल होने आए सभी राष्ट्रभक्तों का मैं हार्दिक आभार व्यक्त करता हूँ🙏 अब आप अपने शहर में कार्यक्रम का आयोजन करिये, मैं अवश्य आऊंगा🙏
— Ashwini Upadhyay (@AshwiniUpadhyay) August 8, 2021
मुझे विश्वास है कि आजादी की 75वीं वर्षगांठ (15 अगस्त 2022) से पहले सभी अंग्रेजी कानूनों को समाप्त कर नया कानून बन जाएगा pic.twitter.com/rg9xb3FrIv
क्या कहना है दिल्ली पुलिस का?
अश्विनी उपाध्याय ने पहले ही इसकी अनुमति माँगी थी, उन्हें अनुमति नहीं दी गई थी।
इंटेलीजेंस विंग के एक वरिष्ठ अफ़सर ने 'इंडियन एक्सप्रेस' को बताया कि विशेष शाखा ने नई दिल्ली ज़िला पुलिस को इस आयोजन की संभावना के बारे में पहले ही बता दिया था और यह भी कहा था कि इसमें बड़ी तादाद में लोग शामिल हो सकते हैं।
लिहाज़ा दिल्ली पुलिस इस रैली के आयोजन से पल्ला नहीं झाड़ सकती और यह नहीं कह सकती कि उसे इसकी जानकारी नहीं थी।
पल्ला झाड़ रहे हैं आयोजक
इस मामले पर बावेला मचने के बाद आयोजकों ने ख़ुद को इससे अलग करने की कोशिश की है।
उपाध्याय ने दिल्ली पुलिस से कहा है कि जिस समय ये भड़काऊ नारे लगाए गए, वे उस जगह से जा चुके थे। उनका यह भी कहना है कि कुछ लोगों ने उन्हें बदनाम करने के लिए ऐसा किया है।
भारत जोड़ो आन्दोलन की मीडिया प्रभारी शिप्रा श्रीवास्तव ने 'इंडियन एक्सप्रेस' से कहा, "ब्रिटिश युग के कई क़ानून अभी भी मौजूद हैं जिनके बल पर भारतीयों को दबाया जाता है, हम इसके ख़िलाफ़ हैं। इसके अलावा यह रैली समान नागरिक संहिता के पक्ष में थी क्योंकि हमारी यह माँग है कि हर भारतीय के लिए समान क़ानून हों।"
लेकिन वह किसी तरह के भड़काऊ नारेबाजी से इनकार करती हैं। उन्होंने कहा, "मेरी जानकारी में कोई भड़काऊ नारा नहीं लगाया गया था।"
लेकिन वह यह भी कहती हैं कि हो सकता है कि पाँच-छह लोगों ने ऐसा किया हो। वह कहती हैं,
“
पाँच हज़ार लोग वहाँ मौजूद थे, एक कोने में पाँच-छह लोग ऐसा कर सकते हैं, ऐसे में हम ख़ुद को उनसे अलग करते हैं।
शिप्रा श्रीवास्तव, मीडिया प्रभारी, भारत जोड़ो आन्दोलन
जाँच की माँग
अश्विनी उपाध्याय ने पुलिस से कहा है कि इस पूरे मामले की जाँच की जाए। उन्होंने माँग की है कि इस वीडियो के स्रोत, स्थान, समय और वीडियो बनाने वालों का पता लगाया जाए।
उन्होंने यह भी कहा है कि यह वीडियो शेयर करने वालों के ख़िलाफ़ आपराधिक मामले दर्ज किए जाने चाहिए।
रिपोर्टर से बदसलूकी
इसके साथ ही ऑनलाइन मीडिया 'नेशनल दस्तक' के रिपोर्टर अनमोल प्रीतम ने आरोप लगाया है कि जंतर मंतर पर मौजूद भीड़ ने उनसे धक्कामुक्की की और उन्हें 'जय श्री राम' का नारे लगाने को कहा। प्रीतम ने कहा कि वह यह नारा तब लगाएंगे जब उन्हें ऐसा करने का मन करेगा। कोई उन्हें इसके लिए मजबूर नहीं कर सकता।
एआईएमआईएम के नेता असदउद्दीन ओवैसी ने ट्वीट कर इस पर गहरी आपत्ति दर्ज की है और कहा है कि यह संसद से कुछ दूरी पर हुआ है।
कांग्रेस सांसद व लेखक शशि थरूर ने इस पूरे मामले पर आपत्ति जताते हुए ट्वीट किया। उन्होंने कहा, "यह कितना अपमानजनक है कि बीजेपी के एक अनधिकृत प्रदर्शन में सांप्रदायिक नारे लगाए गए और नफ़रत फैलाने वाली बातें कही गईं।"
What a disgrace to read of an unauthorised BJP demonstration where communal slogans & hate speech were voiced: https://t.co/Vm0LEAmKDv. Expecting exemplary action from @DelhiPolice — only stern action & condign punishment will prevent such misbehaviour recurring
— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) August 9, 2021
सामाजिक कार्यकर्ता शबनम हाशमी ने कहा है कि बीजेपी ने 8 अगस्त को जंतर मंतर पर बहुत ही सांप्रदायिक, इसलामोफ़ोबिक कार्यक्रम आयोजित किया। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या संघ ने पुलिस से नफ़रत फैलाने वाले स्पीच से आँ मूंद लेने को कहा है।
Highly communal, Islamophobic demonstration took place at Jantar Mantar on Aug 8 in the presence of police. When I sent d video to DCP I was asked to file complain . Is it my duty to stop hate speech ? Has police been told to close its eyes to hate speeches by Sangh?
— Shabnam Hashmi (@ShabnamHashmi) August 8, 2021
सोशल मीडिया पर कई लोगों ने इस रैली और भड़काऊ नारेबाजी पर आपत्ति जताई है।
The hate that is being displayed in full glory on the street will tell you what the future holds.
— Saniya Sayed (@Ssaniya_) August 8, 2021
This is preparation for another pogrom in Delhi. Observe the pattern, it starts with speeches like this. Stop saying this is the fringe, it is not. This is the mainstream. Do not forget the location of where this happened, if the police are complicit here, they will be everywhere
— Neel Madhav (@NeelMadhav_) August 8, 2021
हज हाउस पर हंगामा
याद दिला दें कि पिछले हफ़्ते ही दिल्ली के द्वारका इलाक़े में हज हाउस बनाने के ख़िलाफ़ कुछ हिंदू संगठनों ने प्रदर्शन किया था। उन्हें समर्थन देने के लिए बीजेपी के कुछ स्थानीय नेता भी आगे आए थे।
यह हज हाउस द्वारका के सेक्टर 22 में एक खाली जगह पर बनाया जाना है। हज हाउस का विरोध करने वालों में सबसे आगे यहाँ के आरडब्ल्यूए के लोग हैं। ऑल द्वारका रेजिडेंट्स फ़ेडरेशन ने इस बारे में उप राज्यपाल अनिल बैजल को पत्र लिखकर उनसे हज हाउस के लिए दी गई ज़मीन के आवंटन को रद्द करने की मांग की है।
इस हज हाउस का शिलान्यास 2008 में तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने किया था। इसके बाद 2018 में अरविंद केजरीवाल सरकार ने इसके लिए 94 करोड़ रुपये आवंटित किए थे।