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क्या तेजस्वी यादव के भाषणों में लालू यादव वाली आक्रमकता दिख रही है ?

क्या तेजस्वी यादव के भाषणों में लालू यादव वाली आक्रमकता दिख रही है ?

बीते करीब एक सप्ताह से तो तेजस्वी यादव ने चुनाव प्रचार में पूरी ताकत ही झोंक दी है। उनके साथ इन दिनों चुनावी सभाओं में वीआईपी पार्टी के नेता मुकेश सहनी भी खूब देखे जा रहे हैं।

लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर बिहार की राजनीति इन दिनों गर्म होती जा रही है। एनडीए और इंडिया गठबंधन के नेताओं ने अपने-अपने उम्मीदवारों के समर्थन में चुनाव प्रचार करना शुरु कर दिया है। 

इंडिया गठबंधन की ओर से बिहार में चुनाव प्रचार के मोर्चे पर सबसे आगे राजद नेता और पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव है। 

बिहार के नेताओं की बात करें तो भाजपा या जदयू के किसी भी राज्य स्तरीय नेता के मुकाबले तेजस्वी यादव की सभाओं में भीड़ ज्यादा आ रही है। वहीं तेजस्वी यादव बिहार के किसी भी अन्य बड़े नेता की तुलना में अधिक चुनावी सभाओं को संबोधित कर रहे हैं। 

बीते करीब एक सप्ताह से तो तेजस्वी यादव ने चुनाव प्रचार में पूरी ताकत ही झोंक दी है। उनके साथ इन दिनों चुनावी सभाओं में वीआईपी पार्टी के नेता मुकेश सहनी भी खूब देखे जा रहे हैं। माना जा रहा है कि तेजस्वी उन्हें अपने साथ घुमा कर मल्लाह जाति के वोट बैंक को अपनी तरफ करना चाहते हैं। इसी तरह से तेजस्वी जहां-जहां चुनावी सभा कर रहे हैं वहां के जातीय समीकरणों को साधने की भी कोशिश कर रहे हैं। 

वह अपनी सभाओं में कहते हैं कि राजद किसी एक जाति की पार्टी नहीं बल्कि सभी जातियों और समाज की पार्टी है। 

बात तेजस्वी की सभाओं में आने वाली भीड़ की करें तो बिहार की राजनीति पर नजर रखने वाले राजनैतिक विश्लेषकों का मानना है कि तेजस्वी यादव अब आकर्षक वक्ता बन चुके हैं। उनके भाषणों में अब लालू यादव वाली आक्रमकता देखी जा सकती है। वह अपने भाषणों में भाजपा, पीएम मोदी, सीएम नीतीश कुमार पर हमला करने के साथ ही रोजगार, गरीबी, विकास से जुड़े सवाल भी उठाते हैं। 

तेजस्वी अपनी लगभग हर सभा में पिछली महागठबंधन सरकार के समय में 5 लाख युवाओं को नौकरी देने की उपलब्धि गिनाते हैं। वह बताते हैं कि उनके कारण ही आज 5 लाख लोगों को नौकरी देने का वादा पूरा किया जा सका है। 

वह अपनी सभाओं में राष्ट्रीय मुद्दों को उठाने के बजाए स्थानीय मुद्दों को उठा रहे हैं। ऐसा कर वह स्थानीय लोगों से जुड़ने की कोशिश करते हैं। 

राजनैतिक विश्लेषकों का मानना है कि तेजस्वी ने हाल के कुछ वर्षों में राजद की विकास विरोधी इमेज को तोड़ने का काम किया है। वह बेहद आक्रमक तरीके से भाजपा पर हमला बोल रहे हैं। ऐसा कर वे अपने कार्यकर्ताओं में जोश भरने का काम कर रहे हैं। कार्यकर्ता भी अपने नेता को जमीन पर उतर कर काम करते देख उत्साहित हो रहे हैं। तेजस्वी के चुनावी भाषणों में कितनी आक्रमकता रहती है इसे उनके इन बयानों से समझा जा सकता है। 

मोदी जी की गारंटी चाइनीज माल की तरह है

पूर्णिया में अपनी पार्टी की प्रत्याशी बीमा भारती के समर्थन में हुई चुनावी सभा में तेजस्वी यादव ने पीएम मोदी पर कहा था कि,  मोदी जी की गारंटी चाइनीज माल की तरह है। मोदी गारंटी बस चुनाव है तब तक ही है फिर उसके बाद मोदी जी की गारंटी को भी चीनी सामान की तरह टूट कर कबाड़ हो जाना है। मोदी की गारंटी सिर्फ एक धोखा और जुमला है और कुछ नही। 

जमुई में बीते 6 अप्रैल को राजद प्रत्याशी अर्चना रविदास के पक्ष में चुनावी सभा को संबोधित करते हुए तेजस्वी यादव ने कहा था कि, मैं बिहारवासियों से पूछना चाहता हूं। नरेंद्र मोदी जी और एनडीए सरकार ने बिहार से इतने प्रचंड बहुमत और जीत के बावजूद बिहार को क्या दिया ? 2019 में 40 में से 39 सीटें देने के बाद भी बिहार को कुछ नहीं मिला ?  

मोदी सरकार ने बिहार को बस बेरोजगारी, महंगाई, गरीबी और पलायन दिया है। जमुई में 10 वर्षों से एनडीए के सांसद है, दिल्ली और बिहार में कथित डबल इंजन सरकार है। एनडीए के लोग बताइए कि 10 वर्षों में जमुई में कितने कारखाने लगवाए? 10 वर्षों में जमुई में केंद्र से कितना निवेश आया? 10 वर्षों में जमुई में कौन सा बड़ा प्रॉजेक्ट दिया? 10 वर्षों में केंद्र ने जमुई के कितने युवाओं को नौकरी दी?10 वर्षों में दो बार (2014, 2019) लोकसभा चुनाव प्रचार के अलावा पीएम जमुई में कभी भी विकास कार्यों के लिए क्यों नहीं आए?

गया में चुनावी सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने 10 अप्रैल को कहा था कि बेरोजगारी, महंगाई, गरीबी हटाना तथा विकास और अच्छी शिक्षा-स्वास्थ्य व्यवस्था लाना ही हमारे मुद्दे। तेजस्वी ने यहां कहा कि, अबकी बार बिहार के किसानों, बेरोजगारों, गरीबों, छात्रों, नौजवानों, महिलाओं, कर्मचारियों, व्यापारियों, वंचितों और उपेक्षितों ने ठान लिया है कि झूठ और जुमलों की मोदी सरकार को उखाड़ फेंकना है।  

हर बात के लिए विपक्ष को दोषी ठहराते है

तेजस्वी यादव ने 11 अप्रैल को एक चुनावी सभा में कहा था कि देश का युवा वर्ग जान चुका है कि प्रधानमंत्री जी कभी भी बेरोजगारी, किसानी, महंगाई, गरीबी, शिक्षा-स्वास्थ्य और ज्वलंत मुद्दों पर बात नहीं करते। 10 वर्ष शासन में रहने के बावजूद भी वो अपनी उपलब्धियां गिनाने की बजाय हर बात के लिए विपक्ष को दोषी ठहराते है।

उन्होंने कहा कि महंगाई, गरीबी और बेरोजगारी ही इस देश का सबसे दुश्मन है। पीएम इन पर क्यों नहीं बोलते? चुनाव में मोदी नहीं मुद्दे की बात होनी चाहिए।

जो काम बीजेपी की डबल इंजन सरकार 17 सालों में नहीं कर पाई वो हमने 17 महीनों में कर दिखाया। हमने 17 महीनों में 5 लाख से अधिक सरकारी नौकरियां दी। लाखों नियुक्तियाँ अभी प्रक्रियाधीन है। हमने कभी पेपरलीक नहीं होने दिया।

महंगाई, गरीबी, भुखमरी और बेरोजगारी ही इस देश का सबसे दुश्मन है। हमारी कथनी ही नहीं बल्कि करनी भी यही साबित करती है। चुनाव में मोदी नहीं मुद्दे की बात होनी चाहिए। 

12 अप्रैल को जमुई में अपने एक चुनावी भाषण में तेजस्वी ने लालू यादव के अंदाज में कहा कि, हार देख भाजपाई अब कह रहे है ऊपर देखो, ऊपर।

बोलते है देश का चुनाव है। अरे भाई ये बताइए- गांव, पंचायत, प्रखंड, जिला, लोकसभा क्षेत्र और प्रदेश से ही ना देश बनता है?

भारत की आत्मा गांवों में बसती है। जब तक हमारा गांव, जिला, क्षेत्र और प्रदेश ही ख़ुशहाल, समृद्ध और विकसित नहीं होगा तो देश कैसे आगे बढ़ेगा? जब तक हमारे गाँव,जिला और प्रदेश में बेरोजगारी, गरीबी और पिछड़ापन रहेगा तब तक देश आगे कैसे बढ़ सकता है?

मतलब अपने घर में साफ़-सफाई कर उसे व्यवस्थित मत करो लेकिन अपने गाँव-जिला और क्षेत्र बैठ यहीं से ऊपर वालों की सफाई में मदद करो ताकि वो अपने “घर और गृह” की मदद कर सकें। यहीं ना?

तेजस्वी के भाषणों को देखे तो पाते हैं कि वह बड़ी ही समझदारी से बिहार के स्थानीय मुद्दों को उठा रहे हैं। वह बेरोजगारी और गरीबी का मुद्दा उठा रहे हैं। वह उन मुद्दों पर बोलने से परहेज कर रहे हैं जिसका फायदा भाजपा उठा सकती है। 

चुनावों का परिणाम जो भी आए लेकिन तेजस्वी यादव जमीनी स्तर पर लगातार मेहनत करते दिख रहे हैं। 

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