विधानसभा और लोकसभा चुनावों में हार के बाद से ख़राब हालत में पहुँची केसीआर की पार्टी बीआरएस को लेकर अब कई तरह के कयास लगाए जाने लगे हैं। कहा जा रहा है कि बीआरएस का बीजेपी से गठबंधन हो सकता है। एक रिपोर्ट के अनुसार केसीआर के बेटे और बीआरएस नेता के टी रामा राव इस सप्ताह की शुरुआत में दिल्ली में थे। मीडिया रिपोर्टों में कहा जा रहा है कि वह भाजपा नेताओं से मिलने आए थे। हालाँकि, आधिकारिक तौर पर इसकी पुष्टि नहीं हुई है।
यह सब तब हो रहा है जब बीआरएस बेहद बुरे दौर से गुजर रही है। विधानसभा चुनाव में उसे हार मिली। फिर लोकसभा चुनाव में भी उसे तगड़ा झटका लगा। तेलंगाना कांग्रेस के अध्यक्ष रेवंत ने पिछले साल विधानसभा चुनाव में पार्टी को जीत दिलाई थी। तब बीआरएस की सीटें 39 पर आ गई थीं। एक विधायक की मौत और सात विधायकों के पाला बदलकर कांग्रेस में चले जाने से बीआरएस की सीटें घटकर 31 रह गई हैं। बीआरएस के सात एमएलसी भी पाला बदल चुके हैं। लोकसभा चुनाव में वह एक भी सीट नहीं जीत पाई।
रेवंत ने फोन टैपिंग के आरोपों के अलावा पिछली बीआरएस सरकार के तहत कई परियोजनाओं में कथित अनियमितताओं की जांच शुरू की है। पार्टी पहले से ही केंद्रीय एजेंसियों के दबाव का सामना कर रही है। केसीआर की बेटी और विधायक के कविता दिल्ली आबकारी नीति मामले में पांच महीने से हिरासत में हैं। कहा जा रहा है कि इन हालातों ने बीआरएस को गठबंधन की मजबूरी की स्थिति में पहुँचा दिया है।
तेलंगाना में भाजपा की बढ़ती ताकत, भारत राष्ट्र समिति यानी बीआरएस की घटती स्थिति और बीआरएस नेताओं के खिलाफ विभिन्न जांचों से तेलंगाना की राजनीति बदल सकती है। द इंडियन एक्सप्रेस ने रिपोर्ट दी है कि दोनों दलों के नेताओं के बीच गठबंधन के लिए बातचीत तक मामला पहुँच गया है। रिपोर्ट के अनुसार कुछ भाजपा नेताओं ने इस बात पर जोर दिया है कि संकटग्रस्त क्षेत्रीय पार्टी पर विलय के लिए दबाव डाला जाना चाहिए। हालाँकि, भाजपा में अन्य लोग बीआरएस के साथ किसी भी तरह के गठबंधन के खिलाफ हैं।
अंग्रेजी अख़बार ने रिपोर्ट दी है कि बीआरएस के साथ गठबंधन का विरोध करने वाले एक भाजपा नेता ने कहा कि इसके लिए समर्थन भाजपा नेताओं से आ रहा है जो बीआरएस नेतृत्व को बचाना चाहते हैं। नेता ने कहा, 'हालांकि, राज्य इकाई में कई लोगों का मानना है कि यह लंबे समय में भाजपा के लिए आत्मघाती होगा। परिवार को बचाने के प्रयासों के रूप में बहुत आलोचना की जाएगी।'
यह स्वीकार करते हुए कि बीआरएस विकल्पों पर विचार कर रहा है, पार्टी नेता और पूर्व लोकसभा सांसद बी विनोद कुमार ने किसी भी संभावना से इनकार नहीं किया।
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार यह पूछे जाने पर कि क्या भाजपा के साथ गठबंधन या विलय की संभावना है, उन्होंने कहा, 'हमारी पार्टी के अधिकांश नेता लोकतांत्रिक और प्रगतिशील हैं। और तेलंगाना एक ऐसा राज्य है जिसने स्वतंत्रता-पूर्व दिनों से ही संघर्ष देखा है… वैसे भी चुनाव बहुत दूर हैं।' लेकिन उन्होंने कहा कि राजनीति में कुछ भी हो सकता है, और किसी भी संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
उन्होंने यह भी कहा कि बीआरएस को खारिज करना एक गलती होगी। बीआरएस नेता ने कहा, 'तेलंगाना के 33 जिलों के हर गांव में हमारे कैडर हैं। न तो कांग्रेस के पास और न ही भाजपा के पास है। हम भले ही अब हार गए हों, लेकिन हमारे लिए एक ताकत के रूप में फिर से उभरने की बहुत गुंजाइश है। रेवंत रेड्डी सरकार द्वारा अपने वादे पूरे न करने के खिलाफ लोगों में पहले से ही नाराजगी है।' उन्होंने कहा कि कांग्रेस पांच साल पहले इससे भी बदतर स्थिति में थी। बीआरएस में विधायकों के पाला बदलने के बाद कांग्रेस के पास केवल पांच विधायक बचे थे, लेकिन अब वह वापस आ गई है। उन्होंने कहा, 'इसलिए, हमें वर्तमान स्थिति के बारे में चिंता नहीं करनी चाहिए।'
बीआरएस के एक अन्य नेता ने कहा कि पार्टी को 'रेवंत रेड्डी से बदले की राजनीति के डर से कोई जल्दबाजी वाला कदम नहीं उठाना चाहिए।