लॉकडाउन की वजह से अप्रैल महीने में पूरे देश में औद्योगिक उत्पादन आधे से भी कम हुआ क्योंकि ज़्यादातर ईकाइयों में उत्पादन शून्य रहा। शुक्रवार को औद्योगिक उत्पादन सूचकांक के आँकड़ों से पता चला है कि अप्रैल में उत्पादन में 55.50 प्रतिशत की कमी आई। इसके पहले यानी मार्च में औद्योगिक उत्पादन में 16.70 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई थी।
अर्थव्यवस्था ठप
यह साफ़ है कि अप्रैल-जून तिमाही का सकल घरेलू उत्पाद बुरी तरह गिरेगा क्योंकि अप्रैल-मई में औद्योगिक उत्पादन लगभग पूरा ही ठप रहा। जून में स्थिति में बेहद मामूली सुधार दिखा है, पर अभी भी उत्पादन ने पूरी गति नहीं पकड़ी है।सरकार ने कहा है कि अप्रैल के उत्पादन की तुलना पहले के किसी महीने से नहीं की जानी चाहिए क्योंकि ज़्यादातर ईकाइयों ने बताया कि इस दौरान उत्पादन नहीं हुआ है।
सबसे ज़्यादा गिरावट
केअर रेटिंग्स का कहना है कि अप्रैल में उत्पादन में कुल मिला कर 35 से 40 प्रतिशत की गिरावट देखी गई। यह 2011-12 आईआईपी सिरीज में सबसे बड़ी गिरावट है।
लॉकडाउन का सबसे गहरा असर मैन्युफ़ैक्चरिंग सेक्टर पर पड़ा। इस सेक्टर में अप्रैल महीने में कामकाज 64.20 प्रतिशत कम हुआ। इसकी तुलना में मार्च में 20.6 प्रतिशत कमी आई थी।
शून्य उत्पादन
खनन सेक्टर में उत्पादकता में 22.6 प्रतिशत की गिरावट हुई थी, उसके पहले महीने में 6.8 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई थी। वित्तीय बाज़ार यानी शेयर मार्केट में सबसे ज़्यादा गिरावट अप्रैल महीने में देखी गई।
सकल घरेलू उत्पाद का बहुत ही नीचे गिरना तय है क्योंकि इसमें मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की हिस्सेदारी 47.5 प्रतिशत रहती है।
औद्योगिक उत्पादन सूचकांक तैयार करने के लिए जिन 61 प्रतिशत ईकाइयों से संपर्क किया गया, उनमें से 50 प्रतिशत ने कहा कि अप्रैल में उनके यहां शून्य उत्पादन हुआ है, यानी कोई उत्पादन हुआ ही नहीं है।
सरकार ने उपभोक्ता मूल्य सूचकांक का कोई आँकड़ा जारी नहीं किया, पर समझा जाता है कि शहरी महंगाई दर 9.69 होगी जबकि गाँवों में 8.36 प्रतिशत महँगाई होने का अनुमान है।
कुल मिला कर महँगाई सूचकांक में मई महीने में गिरावट आई है। अप्रैल में महँगाई 10.5 प्रतिशत थी, जबकि मई में यह 9.36 दर्ज की गई है। इसकी वजह सब्जियों की कीमतों आई गिरावट है।