यूक्रेन में फँसे भारतीयों को लेकर दो तसवीरें सामने हैं। एक तरफ़ -5 यानी माइनस पाँच डिग्री सेल्सियस में भूखे-प्यासे छात्र हैं, कई तरह की पीड़ा से गुजर रहे हैं और उनकी मदद नहीं मिलने की शिकायतें हैं। दूसरी तरफ़ केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और ज्योतिरादित्य द्वारा साझा किए गए वीडियो और तसवीरें हैं जिनमें कहा गया कि सभी भारतीयों को वापस लाया जाएगा और भारतीयों को पूरी मदद की जा रही है। क्या ये दोनों तसवीरें यूक्रेन में फँसे भारतीयों को लेकर विपरीत दावे नहीं हैं? यूक्रेन में फँसे भारतीयों और भारत सरकार के दावे अलग क्यों दिख रहे हैं?
छात्रों की स्थिति क्या और इस पर सरकार के दावे क्या हैं, उसको जानने से पहले यह जान लें कि आख़िर हालात क्या हैं।
रूस और यूक्रेन के बीच हमले जारी हैं। इन हमलों से बचने के लिए यूक्रेन में लोग पश्चिमी सीमा की ओर सुरक्षित जगहों को तलाश रहे हैं। कुछ पड़ोसी देशों में शरण ले रहे हैं। भारतीयों के सामने दिक्कत यह है कि हमलों को देखते यूक्रेन में हवाई मार्ग बंद कर दिया गया है। यानी अब भारतीयों को पड़ोस के देशों में सीमा पार कर ही लाया जा सकता है।
यूक्रेन में जब रूसी हमले के हालात बने थे तब रिपोर्टों में कहा गया था कि यूक्रेन में क़रीब 20 हज़ार भारतीय थे। एक रिपोर्ट में यूक्रेन में शिक्षा और विज्ञान मंत्रालय के हवाले से कहा गया था कि यूक्रेन में भारत के 18,095 से अधिक छात्र हैं। भारत सरकार की ओर से एडवाइजरी जारी होने के बाद कुछ लोग वापस आए थे। लेकिन हमले के बाद यूक्रेन के हवाई क्षेत्र को 24 फरवरी को बंद कर दिया गया। इसके बाद से अब तक कुल पाँच विमानों में 1156 भारतीयों को उसके पड़ोस के देशों से सुरक्षित लाया जा सका है।
रिपोर्टों में कहा जा रहा है कि अभी भी यूक्रेन में 15 हज़ार से ज़्यादा भारतीय फँसे हुए हैं। तो उनकी हालत क्या है? यूक्रेन में फँसे भारतीय ही हालात का जायजा दे रहे हैं। छात्रों की बातों से ही नहीं, वहाँ के वीडियो से भी उनकी पीड़ा का अंदाज़ा लगाया जा सकता है।
सोशल मीडिया पर साझा किए गए वीडियो में उनकी पीड़ा साफ़ तौर पर दिख रही है। कुछ वीडियो में देखा जा सकता है कि छात्र कह रहे हैं कि वे माइनस 5 डिग्री तापमान में हैं और भोजन और पानी की दिक्कतें हैं। सोने के लिए जगह नहीं है।
भारतीयों की शिकायत है कि यूक्रेन की सीमा पार करने में उन्हें दिक्कतें हो रही हैं। तो क्या उन तक मदद नहीं पहुँच रही है? वहाँ फँसे छात्र वीडियो में दावा करते हैं कि उनको कोई मदद नहीं दी जा रही है। उनको यूक्रेन की सीमा पार कराने के लिए कोई वहाँ नहीं है।
सोशल मीडिया पर एक पत्रकार आदित्यराज कौल ने एक वीडियो को साझा करते हुए लिखा है, "यूक्रेन-रोमानिया सीमा पर पिछले तीन दिनों से -5 डिग्री तापमान में फंसे एक भारतीय छात्र- 'भोजन, पानी की कमी है। सोने के लिए जगह नहीं है। सीमा पार करना मुश्किल हो रहा है'। इससे पहले कि आप उसके ख़िलाफ़ टिप्पणी करें, रुकें - यह आपका बेटा या भाई या दोस्त हो सकता है।"
राहुल गांधी ने एक वीडियो साझा किया है जिसमें कथित तौर पर यूक्रेनियन सैनिक भारतीयों के साथ हिंसा और बदतमीजी करते हुए देखे जा सकते हैं। ये भारतीय सीमा पार करने के लिए आए थे। राहुल गांधी ने लिखा है, 'इस तरह की हिंसा झेल रहे भारतीय छात्रों और इन वीडियो को देखने वाले उनके परिवार के प्रति मेरी संवेदना है। किसी भी अभिभावक को इससे नहीं गुजरना चाहिए। भारत सरकार को तत्काल विस्तृत निकासी योजना को फंसे हुए लोगों के साथ-साथ उनके परिवारों के साथ साझा करना चाहिए। हम अपनों को ऐसे नहीं छोड़ सकते।'
कांग्रेस नेता श्रीनिवास बीवी ने एक वीडियो साझा किया है जिसमें एक भारतीय युवती को दिक्कतें बताते हुए सुना जा सकता है। वह कहती हैं कि वह यूक्रेन और रोमानिया की सीमा पर हैं और कोई भी अधिकारी उनकी मदद के लिए नहीं है। वह आगे कहती हैं कि वहाँ न तो खाने-पीने की व्यवस्था है और न ही शेल्टर है। वह कहती हैं कि यहाँ बच्चे बेहोश हो रहे हैं और इस वजह से एंबुलेंस मंगाई गई है। वह शिकायत करती हैं कि उन्हें कोई सहायता नहीं मिल रही है।
प्रियंका गांधी ने एक वीडियो साझा किया है उसमें एक छात्रा खुद का नाम गरिमा मिश्रा बताती हैं और वह अपनी भयावह स्थिति बताती हैं। वह जहाँ रह रही हैं वहाँ के भयावह हालात को वह बताती हैं। गरिमा वीडियो में कहती हैं कि उनके साथ के कुछ लोग किसी तरह इंतज़ाम कर सीमा की तरफ़ जा रहे थे तो रूसी सेना ने उन पर फायरिंग की और फिर उन लोगों को रोका। वह कहती हैं कि जो गए थे उनमें से लड़कियों को वे लोग ले गए और तब से उन सभी का कुछ भी पता नहीं चला है। मोदी सरकार से वह मदद की गुहार लगाती हैं।
हालाँकि, भारत की तरफ़ से छात्रों को निकालने का अभियान भी चल रहा है। भारत ने शनिवार को यूक्रेन में रूसी सैन्य हमले के बीच अपने फँसे हुए नागरिकों को निकालने की शुरुआत की। पहली उड़ान शनिवार शाम को बुखारेस्ट से 219 लोगों को लेकर मुंबई वापस लौटा था। दूसरी उड़ान 250 भारतीय नागरिकों लेकर शनिवार रविवार रात आई। एयर इंडिया की तीसरी उड़ान हंगरी की राजधानी बुडापेस्ट से 240 भारतीयों को लेकर रविवार सुबह दिल्ली पहुँची। चौथी फ्लाइट में 198 और पाँचवीं फ्लाइट में 249 भारतीय आए हैं। उन यात्रियों का स्वागत करते हुए केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और ज्योतिरादित्य सिंधिया देखे गए। दोनों मंत्री विमान के अंदर पहुँचे, स्वागत संबोधन दिया, इसके वीडियो बनाये गये और उन्हें सोशल मीडिया पर साझा किया गया। दोनों मंत्रियों के स्वागत करने का तरीक़ा और संदेश भी बिल्कुल एक जैसा था।
सिंधिया ने कहा, ‘‘मैं जानता हूं कि आप सभी बहुत, बहुत कठिन दौर से गुजरे हैं, बहुत कठिन समय रहा। लेकिन यह जान लीजिए कि प्रधानमंत्री रह क़दम पर आपके साथ हैं, भारत सरकार हर कदम पर आपके साथ है...।
केंद्रीय मंत्री ने कहा, 'एक-एक भारतीय नागरिक को यूक्रेन से वापस लाया जाएगा, हम इसकी गारंटी लेते हैं। प्रधानमंत्री यूक्रेन के राष्ट्रपति और रूस के राष्ट्रपति से संपर्क में है ताकि हर नागरिक को वापस लाया जा सके।' उन्होंने यह भी कहा कि अपने दोस्तों व सहयोगियों तक इस मैसेज को पहुंचा दें कि वापस देश में उन्हें सुरक्षित लाने के बाद ही हम चैन की सांस लेंगे। कुछ ऐसा ही स्वागत भाषण पीयूष गोयल ने भी दिया था।
यूक्रेन में फँसे भारतीयों के परेशान करने वाले वीडियो, उनके परिजनों और विपक्ष के दबाव के बीच सरकार ने अब और कुछ क़दम उठाने की बात कही है।
यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों व अन्य नागरिकों के मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को हाई लेवल बैठक बुलाई। इस बैठक में फैसला लिया गया कि चार केंद्रीय मंत्रियों को वहां फंसे भारतीयों को लाने के लिए यूक्रेन के पड़ोसी देशों में भेजा जाएगा। इन मंत्रियों में हरदीप सिंह पुरी, ज्योतिरादित्य सिंधिया, किरण रिजिजू और जनरल वीके सिंह शामिल हैं।