विश्व बैंक ने आज वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर के अनुमान को घटा दिया है। इसने 6.5 प्रतिशत की वृद्धि दर का अनुमान लगाया है। यह पिछली बार जून 2022 के अनुमानों से एक प्रतिशत की गिरावट है। अर्थव्यवस्था में यह गिरावट तब आई है जब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आर्थिक मंदी की आशंका जताई जा रही है और कई देशों की आर्थिक हालत नाजुक है।
अमेरिका में आर्थिक तंगी की लगातार ख़बरें आ रही हैं। श्रीलंका की अर्थव्यवस्था पहले ही कंगाल हो चुकी है। चीन में भी भयावह संकट के संकेत बताए जा रहे हैं। कई और देशों के श्रीलंका जैसी स्थिति होने की आशंका है। और इसी बीच हाल ही में मशहूर अर्थशास्त्री नूरील रूबिनी ने 2022 में भयावह आर्थिक मंदी की चेतावनी दी है।
विश्व बैंक ने इससे पहले जून महीने में इस वित्त वर्ष का जो आकलन पेश किया था उसमें इसने भारत के आर्थिक विकास दर को 7.5 फ़ीसदी रहने का अनुमान लगाया था। हालाँकि यह भी उसके पहले के अनुमान से घटाया गया था। अप्रैल में इसने पूर्वानुमान को 8.7 प्रतिशत से घटाकर 8 प्रतिशत कर दिया था। और अब यह 6.5 फ़ीसदी हो गया है।
कहा जा रहा है कि यह पूर्वानुमान बढ़ती महंगाई, आपूर्ति श्रृंखला में रुकावट और भू-राजनीतिक तनाव से आर्थिक गतिविधियों के सुधार पर असर पड़ने की वजह से है। समझा जा रहा था कि कोरोना महामारी से उबर रही अर्थव्यवस्था तेज़ रफ़्तार पकड़ेगी, लेकिन बेकाबू होती महंगाई इस उम्मीद पर पानी फेरती नज़र आ रही है।
पिछले वर्ष भारतीय अर्थव्यवस्था में 8.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। और अर्थव्यवस्था के उबरने की रफ़्तार को देखते हुए ही बेहतर हालात का अनुमान लगाया गया था। लेकिन ये अनुमान अब घटता जा रहा है।
भारत की अर्थव्यवस्था एक साल पहले की तुलना में अप्रैल-जून तिमाही में 13.5 प्रतिशत बढ़ी थी, जबकि आरबीआई ने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर लगभग 16.2 प्रतिशत होगी।
यानी पहली तिमाही में अनुमान से कम विकास दर रही। यही वजह है कि आगे की तिमाहियों में भी अब विकास दर के अनुमान से कम होने की संभावना है।
बहरहाल, पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार दक्षिण एशिया के विश्व बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री हैंस टिमर ने कहा, 'भारतीय अर्थव्यवस्था ने दक्षिण एशिया के अन्य देशों की तुलना में अपेक्षाकृत मज़बूत विकास के साथ अच्छा प्रदर्शन किया है...।' उन्होंने कहा, 'भारत ने इस लाभ के साथ अपेक्षाकृत अच्छा प्रदर्शन किया है कि उसके पास एक बड़ा बाहरी ऋण नहीं है, उस तरफ से कोई समस्या नहीं आ रही है, और यह कि विवेकपूर्ण मौद्रिक नीति है।'
उन्होंने कहा, 'लेकिन हमने अभी शुरू हुए वित्तीय वर्ष के लिए पूर्वानुमान को डाउनग्रेड कर दिया है और इसका मुख्य कारण है- भारत और सभी देशों के लिए अंतरराष्ट्रीय वातावरण बिगड़ रहा है।'