ट्रंप के 25% टैरिफ से भारत पर डंपिंग का ख़तरा, जानें अब रास्ता क्या बचा

07:10 pm Mar 13, 2025 | सत्य ब्यूरो

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को स्टील और एल्यूमीनियम पर अपनी पहली व्यापक 25% टैरिफ नीति लागू कर दी। इस क़दम से भारत में डंपिंग का दबाव बढ़ सकता है। यहाँ पहले से ही चीन के काफ़ी ज़्यादा उत्पादन के कारण स्टील की आपूर्ति में उछाल देखा जा रहा है। ट्रंप के इस फ़ैसले ने वैश्विक व्यापार में एक नई हलचल पैदा कर दी है, और भारत सहित कई देशों के लिए आर्थिक चुनौतियाँ खड़ी हो सकती हैं।

ट्रंप की यह नीति अमेरिकी बाजार में चीनी स्टील और एल्यूमीनियम पर प्रभावी टैरिफ़ को 45% तक ले जाती है। ऐसा इसलिए क्योंकि इससे पहले उन्होंने चीनी आयात पर 20% का व्यापक टैरिफ़ भी घोषित किया था। इससे चीन के लिए अमेरिका में अपने उत्पाद बेचना मुश्किल हो जाएगा। इस वजह से वह भारत और यूरोप जैसे अन्य बाजारों की ओर रुख कर सकता है। पहले भी अमेरिकी टैरिफ़ बढ़ने पर डंपिंग का दबाव इन क्षेत्रों में बढ़ता है, जहां मांग घरेलू उत्पादन क्षमता से अधिक है। ट्रंप के पहले कार्यकाल में भी यूरोपीय संघ ने ऐसी ही स्थिति से बचने के लिए स्टील और एल्यूमीनियम पर प्रतिबंध लगाए थे, जिससे भारतीय निर्यात को नुक़सान हुआ था।

भारत में पहले से ही सस्ते चीनी स्टील की बाढ़ एक समस्या बनी हुई है। ग्लोबल ट्रेड एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट के अनुसार, भारत अमेरिका से लौह और स्टील में 842 मिलियन डॉलर का आयात करता है जबकि 494.2 मिलियन डॉलर का निर्यात। एल्यूमीनियम में 898.9 मिलियन डॉलर का आयात करता है और 859.8 मिलियन डॉलर का निर्यात। इस तरह भारत व्यापार घाटे में है। अगर चीन अब भारत को सस्ते दामों पर स्टील बेचने की कोशिश करता है, तो घरेलू स्टील उद्योग पर दबाव और बढ़ेगा।

इस संकट के बीच केंद्रीय इस्पात राज्य मंत्री भूपतिराजू श्रीनिवास वर्मा ने संसद में एक सवाल के जवाब में कहा कि सरकार ने पहले से ही कई क़दम उठाए हैं। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने बताया कि सस्ते और घटिया स्टील को रोकने के लिए गुणवत्ता नियंत्रण आदेश को लागू किया गया है। इसके अलावा, चीन से कुछ स्टील उत्पादों जैसे सीमलेस ट्यूब, पाइप और खोखले प्रोफाइल; कोरिया, जापान और सिंगापुर से इलेक्ट्रो-गैल्वनाइज्ड स्टील; और वियतनाम व थाईलैंड से वेल्डेड स्टेनलेस स्टील पाइप और ट्यूब पर एंटी-डंपिंग ड्यूटी लागू है।

वर्मा ने यह भी बताया कि चीन और वियतनाम से वेल्डेड स्टेनलेस स्टील पाइप और ट्यूब पर काउंटरवेलिंग ड्यूटी लागू की गई है। साथ ही, स्टील उद्योग के लिए कच्चे माल पर बेसिक कस्टम्स ड्यूटी को 2.5% से घटाकर शून्य कर दिया गया है। हालांकि, ट्रंप के नए टैरिफ़ के जवाब में भारत अभी तक कोई प्रत्यक्ष प्रतिक्रिया देने से बच रहा है। पहले ऐसा रुख नहीं रहा था। 2019 में भारत ने अमेरिकी सामानों पर जवाबी शुल्क लगाए थे।

ट्रंप के इस क़दम से वैश्विक व्यापार युद्ध की आशंका बढ़ गई है। दुनिया का सबसे बड़ा व्यापारिक समूह यूरोपीय संघ ने जवाबी कार्रवाई की घोषणा की है।

यूरोपीय संघ यानी ईयू ने कहा कि अमेरिकी टैरिफ़ से उसके 18 बिलियन यूरो के निर्यात प्रभावित होंगे, जिसके जवाब में वह अप्रैल मध्य तक अमेरिकी सामानों पर 26 बिलियन यूरो तक के शुल्क लगा सकता है। चीन ने भी अमेरिकी कृषि उत्पादों पर टैरिफ़ लगाकर जवाब दिया है।

विश्व बैंक ने पहले ही चेतावनी दी थी कि अमेरिका के 10% टैरिफ से 2025 में वैश्विक आर्थिक वृद्धि 0.3 प्रतिशत अंक तक कम हो सकती है, यदि अन्य देश भी जवाबी टैरिफ लगाते हैं। यह पहले से ही 2.7% पर सुस्त है। अब 25% स्टील और एल्यूमीनियम टैरिफ के साथ यह ख़तरा और गहरा गया है।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ?

रेटिंग एजेंसी मूडीज का मानना है कि भारत पर ट्रंप के टैरिफ का असर बाकी एशियाई देशों की तुलना में कम होगा, क्योंकि भारत का निर्यात विविध है और अमेरिका पर इसकी निर्भरता सीमित है। हालांकि, एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने चेतावनी दी है कि भारत उन देशों में शामिल है, जो इस टैरिफ वॉर से सबसे ज्यादा प्रभावित हो सकते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर भारत टैरिफ कम नहीं करता और अमेरिका जवाबी कार्रवाई करता है, तो निर्यातक प्रभावित होंगे। वहीं, टैरिफ कम करने पर डंपिंग का खतरा बढ़ेगा। यह एक दोधारी तलवार जैसी स्थिति है।

भारत के पास रास्ता क्या?

ग्लोबल ट्रेड एंड रिसर्च इंस्टिट्यूट यानी जीटीआरआई ने सुझाव दिया कि भारत को अमेरिका के साथ व्यापार वार्ताओं पर फिर से विचार करना चाहिए, क्योंकि ट्रंप की नीति भारत की चिंताओं को नज़रअंदाज़ करती दिखती है। यदि भारत जवाबी टैरिफ़ नहीं लगाता, तो डंपिंग का जोखिम बढ़ेगा, और अगर लगाता है, तो अमेरिका के साथ व्यापारिक रिश्ते तनावपूर्ण हो सकते हैं।

इस स्थिति में भारत के पास कुछ रास्ते हैं। 

  • पहला, वह अमेरिका के साथ बातचीत कर अपने स्टील और एल्यूमीनियम को छूट दिलाने की कोशिश कर सकता है। 
  • दूसरा, घरेलू उद्योगों को सब्सिडी और तकनीकी सहायता देकर सस्ते आयात से मुक़ाबला करने के लिए तैयार करना। 
  • तीसरा, वैकल्पिक बाजारों जैसे दक्षिण-पूर्व एशिया और अफ्रीका में निर्यात बढ़ाने की रणनीति बनाना।

ट्रंप का यह टैरिफ़ भारत के लिए एक दोहरी चुनौती है- एक तरफ डंपिंग का खतरा, दूसरी तरफ वैश्विक व्यापार में मंदी का असर। यह समय भारत के लिए अपनी आर्थिक नीतियों को परखने और संतुलित रुख अपनाने का है, वरना यह टैरिफ वॉर भारत को अप्रत्याशित नुकसान पहुंचा सकता है।

(इस रिपोर्ट का संपादन अमित कुमार सिंह ने किया है)