भारतीय रिज़र्व बैंक ने चालू वित्तीय वर्ष के लिए अनुमानित सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी वृद्धि दर में एक बार फिर कटौती कर दी है। केंद्रीय बैंक ने गुरुवार को घोषित अपनी मुद्रा नीति में वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए जीडीपी विकास दर का अनुमान 6.1 प्रतिशत से कम कर 5 प्रतिशत कर दिया।
रिज़र्व बैंक ने एक बयान में कहा, ‘दूसरी छमाही की जीडीपी वृद्धि दर अनुमान से काफ़ी कम है। कई महत्वपूर्ण इंडीकेटरों से पता चलता है कि घरेलू और बाहरी माँग कमज़ोर ही रही हैं। लेकिन आउटलुक सर्वे से यह भी संकेत मिलता है कि वित्तीय वर्ष की चौथी तिमाही में स्थिति तेज़ी से सुधरेगी।’
याद दिला दें कि सरकारी एजेन्सी सेंट्रल स्टैटिस्टिकल ऑफ़िस (सीएसओ) ने बीते दिनों इस साल की दूसरी छमाही के लिए जीडीपी वृद्धि दर 4.5 प्रतिशत कर दी थी। अब आरबीआई ने इसका अनुमान 5 प्रतिशत लगाया है।
बैंक का मानना है कि चालू वित्तीय वर्ष की दूसरी छमाही के लिए जीडीपी वृद्धि दर 5.5 प्रतिशत से 4.95 के बीच हो सकती है। अगले वित्तीय वर्ष की पहली छमाही के लिए इसका अनुमान 5.9 से 6.3 प्रतिशत है।
रिज़र्व बैंक के गवर्नर शक्ति कांत दास ने कहा है कि सरकार के बढ़े खर्च से जीडीपी वृद्धि दर को टिकाए रखने में मदद मिली है। उन्होंने कहा, 'जहाँ तक बाहरी बातें हैं, सितंबर-अक्टूबर में निर्यात में कमी आई है। इसकी वजह अंतरराष्ट्रीय व्यापार में कमज़ोरी है।'
उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने और वृद्धि दर फिर से बहाल करने के लिए उपाय किए जा रहे हैं और सरकार स्थितियों पर निगाहें टिकाए हुए हैं।
गुरुवार को केंद्रीय बैंक ने मुद्रा नीति का एलान करते हुए ये बातें कहीं। पर उन्होंने उस ब्याज दर को नहीं बदला, जिस पर वह बैंकों को कर्ज़ देती है।
पर्यवेक्षकों का कहना है कि 4.5 प्रतिशत की जीडीपी वृद्धि दर छह साल में न्यूनतम विकास दर है। इससे रिज़र्व बैंक पर दबाव पड़ेगा कि वह अर्थव्यवस्था में नकदी बढ़ाए। नकदी बढ़ने से खर्च बढ़ेगा, जिससे माँग निकलेगी, खपत बढ़ेगी और धीरे-धीरे पूरी अर्थव्यवस्था पटरी पर लौट आएगी।
सीएसओ ने क्या कहा था
याद दिला दें कि बीते शुक्रवार को जारी आँकड़ों के मुताबिक़, दूसरी छमाही में सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि की दर 4.5 प्रतिशत दर्ज की गई। यह 6 साल की न्यूनतम विकास दर है।इसके पहले चालू वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 5 प्रतिशत थी। दूसरी तिमाही में कुल मिला कर सकल घरेलू उत्पाद 49.64 लाख करोड़ रुपए दर्ज किया गया। सबसे तेज़ गति से विकास कृषि, वाणिकी और मत्स्य पालन में रहा, जहाँ 7.4 प्रतिशत वृद्धि देखी गई। लेकिन सबसे बुरा हाल खनन क्षेत्र का रहा, जिसमें विकास दर -4.4 प्रतिशत देखी गई। इसी तरह उत्पादन क्षेत्र में -1.1 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई। बिजली, गैस, जल आपूर्ति में 2.3 प्रतिशत तो निर्माण में 4.2 प्रतिशत विकास देखा गया।
इसके पहले 2012-13 की जनवरी-मार्च की तिमाही के दौरान सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि की दर 4.3 प्रतिशत देखी गई थी। इसे इसके पहले का न्यूनतम जीडीपी वृद्धि दर माना गया था।
यह जीडीपी वृद्धि दर पहले के अनुमान से भी कम है। केंद्रीय बैंक ने जो अनुमान लगाया था, उससे भी कम जीडीपी यह बताता है कि अर्थव्यवस्था वाकई बहुत ही बुरी हाल में है।