भारतीय रेल को लॉकडाउन के दौरान अपना कामकाज ठप रखने की वजह से तक़रीबन 9 हज़ार करोड़ रुपए का नुक़सान हुआ है। इसमें माल ढुलाई के मद में 8 हज़ार करोड़ और यात्री ट्रेनों के मद में लगभग 1,000 करोड़ रुपए का नुक़सान है।
इंडियन एक्सप्रेस ने एक ख़बर में कहा है कि एक मोटे अनुमान के मुताबिक यह नुक़सान रेलवे को हुआ है। खाद्यान्न छोड़ हर सामान की ढुलाई कम हुई है। इन सामानों की ढुलाई बंद रहने से 8,283 करोड़ रुपए का नुक़सान रेलवे को हुआ।
श्रमिक स्पेशल से कमाई
यात्री ट्रेन के नाम पर श्रमिक स्पेशल ट्रेनें और कुछ दूसरी ट्रेनें चली हैं। श्रमिक स्पेशल से रेलवे को 300 करोड़ रुपए की कमाई हुई है। रेलवे का कहना है कि लेकिन श्रमिक स्पेशल के मुसाफ़िरों को खाने-पीने का सामान दिया गया, उस पर भी अलग से खर्च हुआ।स्वास्थ्य मंत्रालय ने रेल मंत्रालय को कोरोना रोकथाम के मद में खर्च करने के लिए 350 करोड़ रुपए दिए हैं। समझा जाता है कि रेलवे ने यह पूरा पैसा खर्च कर दिया है।
रेलवे को असल कमाई तो माल ढुलाई से ही होती है, मुसाफ़िर ट्रेनों पर बहुत कम पैसे ही बचते हैं, कई रूट तो हमेशा घाटे में ही चलते हैं।
कम ढुलाई, कम कमाई!
भारतीय रेल ने चालू वित्तीय वर्ष में लॉकडाउन के पहले तक 14.80 करोड़ मीट्रिक टन माल की ढुलाई की, जो पिछले साल की तुलना में 60 मीट्रिक टन कम है।
भारतीय रेल को इस साल माल ढुलाई से 13,412 करोड़ रुपए की कमाई हुई। यह पिछले साल की कमाई से 8,283 करोड़ रुपए कम है।
लॉकडाउन के दौरान रेलवे ने 1.19 करोड़ मीट्रिक टन खाद्यान्न की ढुलाई की है, जिससे इसे 606 करोड़ रुपए की कमाई हुई है। पिछले साल की तुलना में खाद्यान्न एक मात्र चीज है, जिसकी ढुलाई बीते साल की तुलना में बढ़ी है।
रेलवे को दूसरे चीजों की ढुलाई न होने से ज़बरदस्त घाटा हुआ है। इसे कोयला ढुलाई में 5,312 करोड़ रुपए कम मिले। इसी तरह उर्वरक ढुलाई में भी 289 करोड़ रुपए कम मिले।
देश की अर्थव्यवस्था पहले से ही सुस्त चल रही है और उसका असर रेलवे पर भी पड़ रहा था। रेलवे का भी समय सुस्त चल रहा था। लॉकडाउन ने बची खुची कसर पूरी कर दी।