लॉकडाउन, प्रवासी मज़दूरों का अपने गृह राज्यों के लिए पलायन और बड़े पैमाने पर लोगों की नौकरी जाने के बीच अर्थव्यवस्था के बहुत ही धीमी गति से ही सही, पर पटरी पर लौटने के संकेत मिल रहे हैं।
इसका मतलब यह नहीं कि अर्थव्यवस्था ठीक हो रही है या लॉकडाउन के असर से बाहर निकल रही है। लेकिन इसका यह अर्थ निकाला जा सकता है कि अर्थव्यवस्था को इस अंधेरी सुरंग में जहाँ तक जाना था, जा चुकी है और अब वह वहाँ से लौटने की दिशा में है।
2.1 करोड़ रोज़गार
इसे इससे समझा जा सकता है कि जून के पहले हफ़्ते में रोज़गार की स्थिति में थोड़ा सुधार हुआ है।सेंटर फ़ॉर मॉनीटरिंग इंडियन इकॉनमी (सीएमआईई) ने कहा है कि 7 जून को ख़त्म हुए सप्ताह में ग्रामीण बेरोज़गारी की दर 17.71 प्रतिशत थी, जो 31 मई को ख़त्म हुए सप्ताह के 19.92 प्रतिशत से बेहतर है। इसी तरह 31 मई को जहाँ शहरी बेरोज़गारी दर 25.14 प्रतिशत थी, इसमें सुधार हुआ और यह 7 जून को ख़त्म हुए सप्ताह में 17.07 प्रतिशत पर आ गई।
सीएमआईई के प्रबंध निदेशक महेश व्यास ने कहा है कि मई में रोज़गार में लगे लोगों की संख्या में 2.10 करोड़ की वृद्धि हुई है। यानी इतने लोगों को काम मिला है।
अभी भी बेरोज़गार, पर हालत में सुधार
महेश व्यास ने लाइवमिंट से कहा, 'साल 2019-2020 की तुलना में अभी भी 10 करोड़ लोगों के पास रोज़गार नहीं है। पर अप्रैल की तुलना में स्थिति में सुधार हुआ है। अप्रैल 2020 में 28.20 करोड़ लोगों के पास काम था, जो 2019-2020 के औसत रोज़गार से 12.20 करोड़ कम है। यानी अप्रैल में 12.20 लोगों के पास काम नहीं था।'महेश व्यास ने यह भी कहा कि जिन लोगों को इस दौरान रोजी रोटी मिली है, उनमें 1.44 करोड़ लोग छोटे व्यापारी और दिहाड़ी मज़दूर हैं।
इस दौरान महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी स्कीम (मनरेगा) के तहत रोज़गार में ज़बरदस्त इजाफा हुआ है। मई महीने में मनरेगा में 41.77 करोड़ कार्य दिवस का सृजन हुआ।
मनरेगा का सहारा
यह एक महीने का अब तक का रिकार्ड है। उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में मनरेगा में सबसे ज़्यादा रोज़गार की सृष्टि हुई। इस मामले में उत्तर प्रदेश सबसे आगे है, जहाँ 5 करोड़ कार्य दिवस का सृजन हुआ।अमेरिका में नई नौकरियाँँ
रोज़गार के मामले में इस तरह का सुधार अमेरिका में भी देखा जा रहा है। अमेरिकी श्रम विभाग ने कहा है कि शुक्रवार को वहाँ बेरोज़गारी दर 13.30 प्रतिशत थी। अप्रैल के अंत में अमेरिका में बेरोज़गारी की दर 14.70 प्रतिशत थी।ईटी ऑटो.कॉम की एक ख़बर के मुताबिक़, श्रम विभाग के आँकड़ों के हिसाब से अप्रैल में अमेरिका में 2 करोड़ लोगों की नौकरी जाने के बाद स्थिति सुधरी। मई में अमेरिका में 25 लाख लोगों को नई नौकरी मिली है।
राजस्व में वृद्धि
राज्यों के राजस्व में भी बढ़ोतरी हुई है। फाइनेंशियल एक्सप्रेस ने एक अध्ययन मे पाया है कि देश के 20 राज्यों में शराब की बिक्री शुरू होने से उस पर मिलने वाला टैक्स पहले से ज़्यादा है। शराब से मिलने वाले इस टैक्स में 10 प्रतिशत से 75 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है।इसके अलावा जीएसटी से मिलने वाला पैसा भी बढ़ा है। माल एक राज्य से दूसरे राज्य ले जाने के लिए जीएसटीएन पोर्टल पर जो ई-बिल बनाया जाता है और उससे पैसे मिलते हैं, वह बढा है।
अप्रैल में जहाँ रोज़ाना औसत 2.90 लाख का ई-बिल बनता था, मई में रोज़ाना 8.20 लाख का ई-बिल बनने लगा। यानी राज्यों की कमाई इस मद में लगभग ढाई गुना बढ़ा गई।
केरल, छत्तीसगढ़, ओडिशा इस मामले में आगे रहे हैं। लेकिन उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश का भी राजस्व बढ़ा है।
पेट्रोल-डीज़ल पर टैक्स बढ़ा
केंद्र सरकार ने 5 मई को पेट्रोल पर 10 रुपए और डीज़ल पर 13 रुपए प्रति लीटर की दर से कर बढ़ा दिया। इस मद में राज्य सरकारों को 20 हज़ार करोड़ रुपए की अतिरिक्त कमाई हुई है।शेयर बाज़ार में विदेशी निवेश
शेयर बाज़ार भी अर्थव्यवस्था के सुधरने का संकेत दे रहा है। 'अनलॉक' के पहले दिन यानी 8 जून को बंबई स्टॉक एक्सचेंज के संवेदनशील सूचकांक यानी सेनसेक्स 83 अंक ऊपर खिसका और 34,370.58 अंक पर बंद हुआ। तेल, आईटी, प्रौद्योगिकी और उद्योग से जुड़ी कंपनियों के शेयर ऊँचाई के साथ बंद हुए।
कई महीनों के बाद शेयर बाज़ार में प्रत्यक्ष विदेश निवेश हुआ है। विदेशी कंपनियों ने जून के पहले हफ्ते में भारतीय शेयर बाज़ार में 18,613 करोड़ रुपए का निवेश किया।
बिजली की खपत बढ़ी
अर्थव्यवस्था के दूसरे इंडीकेटर भी संकेत दे रहे हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था का सबसे बुरा समय निकल गया है। इसका एक इंडीकेटर बिजली की मांग है। 'द हिन्दू' की एक ख़बर के अनुसार, बिजली की माँग और खपत बढ़ी है।
मई में 103.02 अरब यूनिट बिजली की मांग रही, जबकि अप्रैल में यह 85.16 अरब यूनिट थी। लेकिन यह अभी भी मई 2019 से कम है। उस समय बिजली की मांग 120.02 अरब यूनिट थी।
अप्रैल में पीक पावर डिमांड 132.77 गीगा वॉट थी, जो मई में 176.81 हो गई। बिजली की मांग में हो रही गिरावट पर मई के दूसरे हफ्त में ही लगाम लग गई थी।
कुछ उद्योगपतियों ने भी उम्मीद जताई है कि भारत के दिन सुधर रहे हैं। अडानी समूह के प्रमुख गौतम अडानी ने कहा है कि 'भारत में जल्द ही व्यापारिक संभावनाएं बनेंगी, नए किस्म के उद्योग पनपेंगे, यहां निवेश होगा और भारत की स्थिति जल्द ही सुधरेगी।'