गुड्स ऐंड सर्विसेज टैक्स काउंसिल ने छोटे कारोबारियों को बड़ी राहत देते हुए रजिस्ट्रेशन से छूट की सीमा दुगनी कर 40 लाख रुपये कर दिया है। इसके तहत 40 लाख रुपये तक के सालाना कारोबार करने वाली कंपनियों को जीएसटी रजिस्ट्रेशन कराने की ज़रूरत नहीं होगी। काउंसिल ने इसके साथ ही कंपोजिशन स्कीम की सीमा बढ़ा कर डेढ़ करोड़ रुपये कर दी है। यह एक तरह से दुहरा लाभ मिलने जैसा है। पूर्वोत्तर एवं पहाड़ी राज्यों की कंपनियों के लिए जीएसटी रजिस्ट्रेशन से छूट की सीमा 10 लाख रुपये से दोगुना कर 20 लाख रुपये सालाना कर दी गई है।
कंपोजिशन स्कीम के तहत छोटे व्यापारियों और कारोबारियों को कुल वैल्यू एडिशन के बदले कुल कारोबार पर काफ़ी कम दर पर कर चुकाना होता है। इस स्कीम की सीमा पहले 1 करोड़ रुपये थी। वित्त मंत्र अरुण जेटली ने इसका एलान करते हुए कहा कि इससे एमएसएमई यानी सूक्ष्म, लघु और मझोले कारोबारियोें और उद्यमियों को फ़ायदा होगा। काउंसिल ने केरल सरकार को यह छूट दी है कि वह अंतर-राज्य कारोबार पर 1 प्रतिशत कर अलग से लगा सकता है और इसका इस्तेमाल केरल में आई बाढ़ के बाद के पुनिर्माण पर खर्च कर सकता है।
वित्त मंत्री ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, 'पहले 20 लाख रुपये तक के कारोबार वाले उद्यमों को जीएसटी रजिस्ट्रेशन से छूट मिली थी, पूर्वोत्तर और पहाड़ी राज्यों के लिए छूट की सीमा 10 लाख रुपये ही थी। लेकिन, छोटे राज्यों ने अपने-अपने क़ानून बना लिए और यह सीमा 20 लाख रुपये कर ली थी। अब हमने इन्हें दोगुना कर क्रमशः 40 लाख और 20 लाख रुपये कर दी। शेष भारत में जीएसटी स्लैब 20 लाख को दोगुना कर 40 लाख कर दिया गया और पूर्वोत्तर और पहाड़ी राज्यों के लिए 20 लाख रुपये तक के टर्नओवर वाली कंपनियों को जीएसटी रजिस्ट्रेशन से मुक्ति दे दी गई। साथ ही उत्तर-पूर्वी एवं पहाड़ी राज्यों को अपनी ज़रूरत के मुताबिक़ इस सीमा को बढ़ाने-घटाने की छूट दे दी गई है।'