अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर लगातार झटके खा रही मोदी सरकार को एक और झटका लगा है। सितंबर के जीएसटी संग्रह के आंकड़ों में गिरावट देखने को मिली है। आंकड़ों के मुताबिक़, यह 19 महीने में सबसे बड़ी गिरावट है। सितंबर में जीएसटी संग्रह घटकर 91,916 करोड़ रुपये रहा है। जबकि अगस्त के महीने में यह 98,202 करोड़ रुपये था। पिछले साल सितंबर में जीएसटी संग्रह 94,442 करोड़ रुपये था।
दो दिन पहले ही ख़बर आई थी कि अगस्त महीने में 8 कोर सेक्टर की विकास दर में बड़ी गिरावट दर्ज की गई है। लेकिन इससे भी बड़ी चिंता की बात यह है कि 5 कोर सेक्टर में निगेटिव ग्रोथ हुई है। ये क्षेत्र हैं - बिजली, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, कोयला और सीमेंट। इससे यह साफ़ है कि अर्थव्यवस्था अब मंदी की ओर बढ़ रही है।
जीएसटी संग्रह के आंकड़ों में गिरावट की ख़बर ऐसे समय में सामने आई है, जब ऑटो सेक्टर में ज़बरदस्त मंदी की स्थिति है। वाहनों की बिक्री में गिरावट है, कई प्लांटों में काम बंद होने और लोगों को नौकरी से निकाले जाने की ख़बरें लगातार आ रही हैं। बाक़ी के दूसरे सेक्टर में भी स्थिति काफ़ी ख़राब है। सरकार आर्थिक हालात सुधारने की कोशिश कर रही है लेकिन उसे इसमें सफलता नहीं मिल रही है। हाल के दिनों में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए कई विशेष पैकेजों की घोषणा की है। इसमें ऑटो सेक्टर के लिए रियायतों की घोषणा भी शामिल है।
सरकार ने चालू वित्तीय वर्ष में प्रत्यक्ष कर उगाही राजस्व में 17.30 प्रतिशत की बढ़ोतरी और कुल 13.35 लाख करोड़ रुपये की उगाही का लक्ष्य रखा था लेकिन अप्रैल से 15 सितंबर तक सिर्फ़ 4.40 लाख करोड़ रुपये की कर उगाही हो सकी।
अर्थव्यवस्था की ख़राब हालत का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि केंद्र सरकार ने रिज़र्व बैंक से अंतरिम लाभांश के रूप में 30 हज़ार करोड़ रुपये माँगे हैं। अभी कुछ ही दिन पहले रिज़र्व बैंक ने सरकार को 1,76,051 करोड़ रुपये दिए थे। इसके अलावा रिज़र्व बैंक ने मार्च 2019 में भी 28 हज़ार करोड़ रुपये का लाभांश दिया था।