वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कई तरह के नए सुधारों का एलान किया है ताकि देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाया जा सके। उन्होंने निर्यात बढ़ाने के लिए कई महत्वपूर्ण स्कीमोें, छूटो और प्रशासनिक बदलावों का एलान भी किया।
वित्त मंत्री ने कहा कि निर्यात अपने लक्ष्य पर सही समय तक पहुँच जाए और इसमें कम समय लगे, इसके लिए एक बड़ी योजना तैयार की जा रही है। निर्यात की क्वालिटी को बेहतर किया जाएगा, सरकार उस पर काम कर रही है। वाणिज्य मंत्रालय में एक समूह का गठन किया जाएगा जो समयबद्ध तरीके से निर्यात की गुणवत्ता बढ़ाने पर काम करेगा। सरकार ने ऑरिजिन मैनेजमेंट सिस्टम चालू करने का फ़ैसला किया है ताकि निर्यातकों को ऑरिजिन सर्टिफिकेट यानी यह सर्टिफिकेट कि वह उत्पाद कहाँ तैयार हुआ, इसके लिए उन्हें परेशान नहीं होना पड़े। इससे ईज ऑफ डुइंग बिज़नेस को बढ़ावा मिलेगा।
फ़्री ट्रेड एग्रीमेंट
निर्मला सीतारमण ने एलान किया कि स्पेशल एफ़टीए अग्रीमेंट मिशन चलाया जाएगा, यानी अलग-अलग देशों से मुक्त व्यापार समझौते किए जाएँगे और उसके लिए ख़ास अभियान चलाया जाएगा। इसके तहत फ़ेडरेशन ऑफ एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन और निर्यातकों के संगठनों से बात की जाएगी कि वे किस तरह के प्रावधान चाहते हैं और उनकी चिंताएँ क्या हैं, इसका ख़्याल रखा जाएगा। इसके तहत आयात शुल्क में छूट के बारे में भी निर्यातकों और आयातकों को जानकारी दी जाएगी।वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि सरकार देश में हर साल दुबई की तरह ट्रेड फ़ेयर आयोजित करेगी। यह वार्षिक मेगा शॉपिंग फेस्टिवल होगा जो हर साल देश के चार जगहों पर किया जाएगा। यह आयोजन मार्च 2020 से शुरू होगा। जेम्स ऐंड जूलरी, योगा और पर्यटन, कपड़ा और चमड़ा उद्योगों पर ज़्यादा ध्यान दिया जाएगा।
निर्यात में समय कम लगे, इसकी कोशिश होगी
निर्मला सीतारमण ने कहा कि निर्यात में कम समय लगे, इस पर ख़ास ध्यान दिया जाएगा। बंदरगाहों पर माल चढ़ाने या उतारने में जहाजों को कम समय लगे, यह कोशिश की जाएगी। उन्होंने उदाहरण देक कहा कि बोस्टन जैसे बंदरगाहों पर कोई जहाज आधे दिन में माल उतार कर और लाद कर चला जाता है। शंघाई बंदरगाह और भी कम समय लेता है। वित्त मंत्री ने कहा कि इस दिशा में बेहतर काम करने के लिए सरकार ने तय किया है कि सभी क्लियरेंस के लिए मैनुअल सर्विसेज खत्म कर दिया जाएगा और ऑटौमैटिक सिस्टम लागू किया जाएगा।निर्यात बढ़ाने के लिए कुछ दूसरी घोषणाएँ भी की गई हैं।
- एक्सपोर्ट फाइनेंस मंत्रिमंडल समूह की निगरानी में काम करेगा। इसमें कई विभागों के मंत्री होंगे।
- निर्यात के लिए कर्ज़ दिए जा सकें, इसके लिए सरकार 36 हज़ार करोड़ से 38 हज़ार करोड़ रुपए लगाएगी।
- अमेरिकी डॉलर में दिए गए क़र्ज़ में कमी आई है। इसकी वजह यह है कि रुपये में गिरावट आई है।
- सितंबर 2019 तक आईटीसी रिफंड के लिए पूरी तरह से इलेक्ट्रॉनिक रिफंड सिस्टम लागू किया जाएगा।
यह अजीब विडंबना ही है कि वित्त मंत्री ने निर्यात से जुड़ी घोषणाएँ जब की हैं, उसके एक दिन पहले ही यह ख़बर आई कि भारत का निर्यात ही नही आयात तक गिर रहा है। भारत के निर्यात में अगस्त महीने में लगातार छठे महीने गिरावट दर्ज की गई थी। इसके अलावा आयात में भी कमी आई है जबकि भारत का व्यापार संतुलन हमेशा उल्टा रहा है, यानी निर्यात कम और आयात अधिक होता रहा है। ऐसा किसी भी विकासशील अर्थव्यवस्था में होता है। पर यदि आयात गिरने लगे तो ज्यादा चिंता की बात है और फ़िलहाल ऐसा ही हो रहा है।