पहले से ही कई गड़बड़ियों के आरोप झेल रहा अनिल अंबानी का रिलायंस समूह अब अपनी दो फ़र्मों के कोयला आयात की कथित गड़बड़ियों में फँसता दिख रहा है। आरोप है कि आयातित कोयले की क़ीमत को बढ़ाचढ़ाकर दिखाया गया, जिससे विदेश में पैसा भेजा जा सके और बिजली के लिए ऊँचा शुल्क वसूल किया जा सके। दरअसल, डाइरेक्टरेट ऑफ़ रेवेन्यु इंटेलिजेंस यानी डीआरआई ने केंद्रीय जाँच ब्यूरो (सीबीआई) को रिलायंस एडीएजी की दो फर्मों, रिलायंस इन्फ़्रास्ट्रक्चर और रोजा पावर सप्लाई कंपनी की जाँच करने के लिए कहा है। यह 2010 से 2015 के बीच इंडोनेशिया से कोयला आयात पर वास्तविक क़ीमत से ज़्यादा बताने के मामले से जुड़ा है। इस पर ‘इंडियन एक्सप्रेस’ ने रिपोर्ट प्रकाशित की है। बता दें कि अनिल अंबानी की रिलायंस पहले से ही काफ़ी मुश्किल दौर से गुजर रही है और इस पर कांग्रेस रफ़ाल सौदे में गड़बड़ी करने का आरोप लगाती रही है। रिलायंस कम्युनिकेशंस भी दिवालिया होने के कगार पर पहुँच गया था, लेकिन मुकेश अंबानी ने फ़ौरी राहत दिला दी।
ऐसे ही मुश्किल दौर में अब आयातित कोयले में गड़बड़ी को लेकर रिलायंस एडीएजी की दो फ़र्मों का नाम आना अनिल अंबानी के लिए परेशानी पैदा करने वाला है। ‘इंडियन एक्सप्रेस’ की रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि डीआरआई ने 21 दिसंबर, 2018 को लिखे पत्र में सीबीआई से कहा है कि वह रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर और रोजा पावर के ख़िलाफ़ क़ानून के तहत ‘उपयुक्त कार्रवाई’ करे। पत्र में कहा गया है कि आयातित इंडोनेशियाई कोयले के कम से कम 73 खेप में क़ीमत को बढ़ाचढ़ाकर बताया गया और इसमें क़रीब 386 करोड़ रुपये की कथित तौर पर गड़बड़ी की गई है।
सीबीआई की जाँच बाक़ी
अख़बार ने कहा है कि सीबीआई को मामले में प्रारंभिक जाँच दर्ज करना बाक़ी है, लेकिन सूत्रों ने कहा कि वह भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के उल्लंघन पर ग़ौर कर सकती है। डीआरआई का आरोप है कि आयातित कोयले की बढ़ाचढ़ाकर क़ीमत बताने से कोयले की लागत बढ़ती है। इसका सीधा असर बिजली दरों में वृद्धि और आख़िरकार बिजली उपभोक्ताओं पर पड़ता है। ‘इंडियन एक्सप्रेस’ ने लिखा है कि न तो रिलायंस एडीएजी के प्रवक्ता और न ही सीबीआई, डीआरआई ने फ़ोन कॉल और मैसेज का जवाब दिया।
हलाँकि अख़बार ने यह भी लिखा है कि डीआरआई की शिकायत के बाद सीबीआई ने दो अन्य कंपनियों- कोस्टल एनर्जी और नॉलेज इन्फ़्रास्ट्रक्चर सिस्टम्स के ख़िलाफ़ आयातित कोयले की ऊँची क़ीमत चुकाने के लिए जाँच शुरू कर दी है।
डीआरआई कम से कम 40 कंपनियों की जाँच कर रही है जिसमें अडानी ग्रुप की दो फ़र्मों, एस्सार ग्रुप की दो फ़र्मों और बिजली से जुड़ी कुछ सरकारी फ़र्मों पर आरोप है कि इन्होंने इंडोनेशिया से आयातित कोयले के लिए ऊँची क़ीमत बतायी। इससे क़रीब 29 हज़ार करोड़ रुपये का नुक़सान हुआ।
रिलायंस कम्युनिकेशंस की हालत ख़राब
सुप्रीम कोर्ट ने इसी साल फ़रवरी में रिलायंस कम्युनिकेशंस के चेयरमैन अनिल अंबानी को एरिक्सन कंपनी को 550 करोड़ रुपये ना देने की वजह से अदालत की अवमानना का दोषी ठहराया था। कोर्ट ने अंबानी को एरिक्सन इंडिया को 4 हफ़्ते में 453 करोड़ रुपये देने का आदेश दिया था। कोर्ट ने तो यहाँ तक कह दिया था कि आदेश का पालन नहीं होने पर उन्हें 3 महीने की जेल की सज़ा भुगतनी होगी। हालाँकि तब उनके बड़े भाई मुकेश अंबानी ने सहायता की और उन्हें इस मुश्किल घड़ी से बाहर निकाला था।
इसके पहले अनिल अंबानी और उनकी कंपनी रिलायंस एडीएजी ग्रुप रफ़ाल मामले में फँस कर अच्छा ख़ासा बदनाम हो चुके हैं। इस मामले में सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर सवाल उठे थे। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी ने कहा था कि नरेंद्र मोदी ने रिलायंस को 30,000 करोड़ रुपए का फ़ायदा पहुँचाया। इसके लिए उन्होंने नियम क़ानूनों का उल्लंघ किया, रफ़ाल क़रार की शर्तें बदलीं और फ्रांसीसी कंपनी को ऑर्डर दिया और उस पर यह दबाव भी डाला कि ऑफ़शोर कंपनी के रूप में रिलायंस को चुने।
सवाल यह है कि आखिर इस कंपनी के साथ क्या दिक्क़त है? एक ओर जहाँ बड़े भाई मुकेश अंबानी की कंपनी तेज़ी से आगे बढ़ी और उसके कारोबार और कुल संपत्ति में ज़बरदस्त इज़ाफ़ा हुआ, छोटे भाई एक के बाद विवादों में फँलते चले गए। इसके बावजूद उनका कामकाज तेज़ी से नीचे गिरा।