बदहाल अर्थव्यवस्था पर पड़ेगी कोरोना वायरस की मार, और नीचे जाएगा भारत?

05:40 pm Mar 03, 2020 | सत्य ब्यूरो - सत्य हिन्दी

तेज़ी से सिकुड़ रही और सुस्ती की मार झेल रही भारतीय अर्थव्यवस्था जिस समय इतने नीचे गिर गई कि इसकी सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि दर 4.5 प्रतिशत तक आ गई, उसी समय कोरोना वाइरस ने भी विश्व अर्थव्यवस्था पर हमला कर दिया।

दिसंबर में ख़त्म हो रही तिमाही के दौरान जब जीडीपी वृद्धि दर 4.50 प्रतिशत से बढ़ कर 4.70 प्रतिशत तक पहुँची, लोगों को उम्मीद जगी कि अब अर्थव्यवस्था गहरी खाई से बाहर निकलने की राह पर है।

लेकिन ठीक उस समय ये रिपोर्ट आने लगीं कि भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति पहले से बदतर हो जाएगी, क्योंकि इसके आयात-निर्यात का बड़ा हिस्सा, उस चीन से है, जहाँ से कोरोना वायरस का संक्रमण शुरू हुआ। ऐसे में सवाल यह उठने लगा है कि क्या भारतीय अर्थव्यवस्था सुस्ती से फिसल कर मंदी की चपेट में आ जाएगी 

क्रेडिट रेटिंग एजेन्सी क्रिसिल ने अपनी हालिया रिपोर्ट में कहा है कि वित्तीय वर्ष 2020-2021 की पहली तिमाही पर कोरोना वाइरस के संक्रमण की मार निश्चित तौर पर पड़ेगी।

चीन पर भारत की निर्भरता

पहले इसे हम कुछ आँकड़ों से समझने की कोशिश करते हैं। साल 2019 में भारत-चीन के बीच 115.70 अरब डॉलर का व्यापार हुआ। इसमें भारत ने चीन से 86.20 अरब डॉलर का सामान आयात किया और उसे 29.50 अरब डॉलर का सामान निर्यात किया। कुल मिला कर चीन के साथ भारत को 56.70 अरब डॉलर का व्यापार घाटा हुआ।

भारत चीन से इलेक्ट्रॉनिक्स सामान, उपभोक्ता वस्तु, ऑटो पार्ट्स और दवाएं आयात करता है। भारत का 67 प्रतिशत इलेक्ट्रॉनिक्स सामान और 45 प्रतिशत ऑटो पार्ट्स चीन से आता है। 

क्रिसिल ने कहा है कि कोरोना वाइरस संक्रमण की वजह से चीन में इलेक्ट्रॉनिक्स सामान के कारखाने बंद होने की वजह से भारतीय कंपनियों को उसके पार्ट्स नहीं मिल रहे हैं। इससे इन उद्योगों से जुड़ी कंपनियां संकट में हैं।

हालांकि उन्होंने पहले से कुछ स्टॉक कर रखा था, जो अब ख़त्म हो चुका है। इसके अलावा ताइवान, दक्षिण कोरिया, जापान और जर्मनी से भी कुछ कल-पुर्जे आयात किए जा रहे हैं। पर अहम बात यह है कि इन देशों से आयात महंगा होता है और उस वजह से इन कंपनियों का मार्जिन घट रहा है। इसके अलावा यह भी सच है कि ये सभी देश मिल कर भी चीन की बराबरी नहीं कर सकते। जितना इलेक्ट्रॉनिक्स सामान अकेले चीन बनाता था, ये चारों देश मिल कर भी नहीं बनाते। 

दवा उद्योग

इसी तरह भारत का दवा उद्योग पूरी तरह चीन के आयात पर निर्भर है। भारतीय दवा उद्योग अपने एक्टिव फ़र्मास्यूटिकल इनग्रेडिएंट्स (एपीआई) का 85 प्रतिशत चीन से खरीदता है। उससे ही दवाएं बनती हैं। चीनी दवा उद्योग के बड़े हिस्से के बंद होने की वजह से भारत को ये एपीआई नहीं मिल रहे हैं। 

निर्यात गिरेगा

अब आते हैं भारत से चीन को होने वाले निर्यात पर। भारत का 9 प्रतिशत मर्चेडाइज अकेले चीन को निर्यात होता है। पर्यवेक्षकों को आशंका है कि भारत फ़िलहाल जो 29.50 अरब डॉलर का निर्यात चीन को करता है, उसका बड़ा हिस्सा अब रुक जाएगा। चीन की अर्थव्यवस्था पहले से ही सुस्त चल रही थी, अब कोरोना संक्रमण के बाद उसके उद्योग-धंधों पर बहुत ही बुरा असर पड़ने को है।  

ओईसीडी की चेतावनी

इसी बीच एक दूसरी बड़ी और बुरी ख़बर यह है कि ऑर्गनाइजेशन फ़ॉर इकोनॉमिक कोऑपरेशन एंड डेवलपमेंट यानी ओईसीडी ने साल 2020-21 के दौरान भारत की सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि दर के 110 बेसिस प्वाइंट कम होने की आशंका जताई है। इस संगठन ने भारत के विकास दर का अनुमान 5.1 प्रतिशत कर दिया है। 

ओईसीडी ने यह भी कहा है कि 2003 में चीन में 'सार्स' के संक्रमण के समय जितना आर्थिक नुक़सान हुआ था, इस बार उससे ज़्यादा होगा क्योंकि उस समय दुनिया की अर्थव्यवस्थाएं इस तरह एक दूसरे से जुड़ी हुई नहीं थी।

इसके कुछ दिन पहले ही एक दूसरी क्रेडिट रेटिंग अजेन्सी  मूडीज़ ने भारत की विकास दर का अनुमान 6.6 प्रतिशत से कम कर 5.4 प्रतिशत कर दिया था। उसका भी यही कहना था कि चीन की अर्थव्यवस्था पर संक्रमण का असर पड़ने से भारत अछूता नहीं रह सकता। 

शेयर बाज़ार

कोरोना संक्रमण की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था में फैली अफरातफरी को समझना हो एक नज़र शेयर बाज़ार पर डालिए। बीते हफ्ते के अंतिम कारोबारी दिन शुक्रवार को शेयर बाज़ार औंधे मुँह गिरा। बंबई स्टॉक एक्सचेंज का संवेदनशील सूचकांक यानी सेंसेक्स में 1,448.37 अंकों यानी 3.64 फ़ीसदी की गिरावट आई और यह 38,297.29 पर बंद हुआ। इससे क़रीब शेयर बाज़ार को छह लाख करोड़ का नुक़सान हुआ है।

इस अफरातफ़री को रिज़र्व बैंक के बयान से समझा जा सकता है। रिज़र्व बैंक ने स्थिति संभालने की कोशिश की है और वाणिज्य जगत, ख़ास कर, पूंजी बाज़ार को आश्वस्त करने की कोशिश की है। इसने एक बयान में कहा है : 

'रिज़र्व बैंक वित्तीय बाज़ारों के कामकाज को सुचारु रखने, बाज़ार के आत्मविश्वास को बरक़रार रखने और वित्तीय स्थायित्व को बरक़रार रखने के लिए तमाम मुमकिन कदम उठाएगी।'


रिज़र्व बैंक के बयान का हिस्सा

77 देशों में संक्रमण

इस बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक टेड्रोस एडेनम ने कहा है कि जैसे यह वायरस विकसित देशों में फैलता जा रहा है, यह महामारी का रूप ले सकता है। 24 घंटे में दस नये देशों में कोरोना वायरस से प्रभावित लोगों की पुष्टि हुई है। 

इससे प्रभावित देशों की संख्या 77 हो गई है। इस वायरस से अब तक 3100 से ज़्यादा मौतें हो गई हैं और 92 हज़ार से ज़्यादा लोगों में इस वायरस की पुष्टि हुई है। कोरोना वायरस ने क़ारोबारी जगत को भी झकझोर कर रख दिया है।

अब सवाल यह उठता है कि ऐसे में भारत चीन से बाहर भी किन देशों से ज़रूरी कच्चा माल या कल-पुर्जे आयात करे और किन देशों को अपने उत्पाद बेचे। भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक और बुरी स्थिति यह है कि यह सरकार की प्राथमिकता में नहीं है। 

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अव्वल तो यह मानने को ही तैयार नहीं है कि सुस्ती का माहौल है। दूसरे, उन्होंने जो भी कदम उठाए हैं, उनका कोई सकारात्मतक नतीजा नहीं दिख रहा है। ऐसे में अर्थव्यवस्था पर संक्रमण की मार पड़ने से कौन रोक सकता है।