श्रीलंका से अडानी का पवन ऊर्जा सौदा रद्द- रिपोर्ट, समूह ने नकारा

09:56 pm Jan 24, 2025 | सत्य ब्यूरो

अडानी समूह को केन्या से झटके के बाद अब श्रीलंका से भी लगा है। भ्रष्टाचार के आरोपों के मद्देनज़र श्रीलंका ने आधिकारिक तौर पर भारतीय समूह के साथ बिजली खरीद समझौते को रद्द कर दिया है। मीडिया रिपोर्टों ने श्रीलंका के आधिकारिक सूत्रों के हवाले से यह ख़बर दी है। हालाँकि, इन रिपोर्टों के बाद अडानी समूह ने बयान जारी कर इन रिपोर्टों को खारिज कर दिया और कहा कि सौदा रद्द नहीं हुआ है। तो सवाल है कि आख़िर इस सौदे के साथ हुआ क्या है?

पहले घटनाक्रमों को जान लीजिए। राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके के नेतृत्व वाली श्रीलंका सरकार ने पिछले साल अमेरिका में गौतम अडानी के ख़िलाफ़ रिश्वतखोरी के आरोपों के बाद कंपनी की स्थानीय परियोजनाओं की जांच शुरू की थी। अमेरिका में गौतम अडानी पर आरोप लगा है कि उन्होंने भारत में एक बड़ा पावर प्रोजेक्ट हासिल करने के लिए भारतीय अधिकारियों को 250 मिलियन डॉलर यानी क़रीब 2000 करोड़ रुपये की रिश्वत देने की योजना बनाई। हालाँकि, अडानी समूह ने इन आरोपों को खारिज कर दिया और कहा कि इस मामले को क़ानूनी रूप से निपटा जाएगा।

अमेरिका में अभियोग चलने की यह ख़बर आने के बीच ही रिपोर्ट आई थी कि अडानी समूह को केन्या, श्रीलंका और बांग्लादेश में उसके प्रोजेक्ट को झटका लग सकता है। पिछले साल नवंबर में केन्या ने अडानी के साथ एयरपोर्ट और बिजली ट्रांसमिशन समझौता रद्द कर दिया था। केन्या के राष्ट्रपति विलियम रुटो ने 21 नवंबर को कहा था कि हमने हमारी जाँच एजेंसियों और साझेदार देशों द्वारा दी गई नई जानकारी के आधार पर अडानी समूह के साथ कई मिलियन डॉलर के विस्तार और ऊर्जा सौदों को रद्द कर दिया।

अडानी एनर्जी सॉल्यूशंस ने अक्टूबर में केन्या इलेक्ट्रिकल ट्रांसमिशन कंपनी के साथ 30 साल के लिए 736 मिलियन डॉलर का पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप समझौता किया था। उसी महीने एक अदालत ने अनुबंध को निलंबित कर दिया था। अडानी समूह नैरोबी में अपने मुख्य हवाई अड्डे के आधुनिकीकरण के लिए केन्याई सरकार के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर करने की प्रक्रिया में था, जिसमें एक अतिरिक्त रनवे और टर्मिनल का निर्माण किया जाना था। इसके बदले में समूह 30 वर्षों तक हवाई अड्डे का संचालन करता।

इस सौदे के कारण केन्या में विरोध प्रदर्शन हुए और हवाई अड्डे के कर्मचारियों ने हड़ताल कर दी थी। उन्होंने कहा था कि इससे काम करने की स्थिति खराब हो जाएगी और कुछ मामलों में नौकरी चली जाएगी। इसी के बाद सौदे को रद्द करने की घोषणा की गई।

केन्या में अडानी समूह के सौदे रद्द होने के बाद अब श्रीलंका में भी अडानी समूह को झटका लगा है।

डेलीएफटी की रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके की मंत्रिपरिषद ने मन्नार और पूनरी में 484 मेगावाट के विवादास्पद पवन ऊर्जा संयंत्रों को अडानी ग्रीन एनर्जी एसएल लिमिटेड को देने के निर्णय को रद्द कर दिया है। जून 2024 में परियोजना को दिसानायके के पूर्ववर्ती रानिल विक्रमसिंघे द्वारा कंपनी को दिया गया था। स्थानीय बोलीदाताओं द्वारा 4.88 सेंट की पेशकश किए जाने के बावजूद 8.26 अमेरिकी सेंट प्रति किलोवाट घंटे की मनमानी क़ीमत पर चिंता जताई गई। 

इसके अलावा, वन्यजीव और प्रकृति संरक्षण सोसायटी और पर्यावरण फाउंडेशन लिमिटेड सहित कई पर्यावरण संगठनों ने पर्यावरण प्रभाव को लेकर परियोजना का विरोध किया। मन्नार प्रवासी पक्षियों का एक प्रमुख निवास स्थान है। इस परियोजना का विरोध मन्नार के बिशप ने किया, जो स्थानीय समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हैं और प्रस्तावित अडानी परियोजना के कारण स्थानीय उद्योगों और आजीविका को होने वाले संभावित नुकसान पर चिंता जताई। राष्ट्रपति दिसानायके ने चुनाव अभियान के दौरान इस सौदे को रद्द करने और श्रीलंका में पवन ऊर्जा विकसित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय निविदाएँ आमंत्रित करने का वादा किया था।

हालाँकि, ऊर्जा मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने खुलासा किया कि दिसानायके की कैबिनेट ने इस महीने की शुरुआत में समझौते को ख़त्म करने का विकल्प चुना। समाचार एजेंसी एएफपी ने एक अधिकारी के हवाले से कहा, 'सरकार ने बिजली खरीद समझौते को रद्द कर दिया है, लेकिन परियोजना को रद्द नहीं किया गया है। पूरी परियोजना की समीक्षा के लिए एक समिति गठित की गई है।'

अडानी समूह ने क्या कहा

अडानी समूह ने बाद में कहा कि मन्नार और पूनरी में अडानी की 484 मेगावाट की पवन ऊर्जा परियोजनाओं को रद्द किए जाने की ख़बरें झूठी और भ्रामक हैं। समूह के प्रवक्ता ने कहा, 'हम साफ़ तौर पर कहते हैं कि परियोजना को रद्द नहीं किया गया है। मई 2024 में स्वीकृत टैरिफ का पुनर्मूल्यांकन करने के लिए 2 जनवरी 2025 को श्रीलंकाई कैबिनेट का निर्णय एक मानक समीक्षा प्रक्रिया का हिस्सा है, विशेष रूप से एक नई सरकार के साथ, यह सुनिश्चित करने के लिए कि शर्तें उनकी वर्तमान प्राथमिकताओं और ऊर्जा नीतियों के अनुरूप हैं। अडानी श्रीलंका के हरित ऊर्जा क्षेत्र में $1 बिलियन का निवेश करने के लिए प्रतिबद्ध है, जो नवीकरणीय ऊर्जा और आर्थिक विकास को बढ़ावा देगा।'

(इस रिपोर्ट का संपादन अमित कुमार सिंह ने किया है।)