वर्ल्ड हैपीनेस रिपोर्ट 2021: पाकिस्तान से पीछे रहा भारत 

05:17 pm Mar 20, 2021 | सत्य ब्यूरो - सत्य हिन्दी

संयुक्त राष्ट्र की वर्ल्ड हैपीनेस रिपोर्ट 2021 में भारत को 149 देशों में से 139वां स्थान मिला है जबकि पड़ोसी देश पाकिस्तान 105वें स्थान पर रहा। फिनलैंड पहले स्थान पर रहा है। इस रिपोर्ट से पता चलता है कि किसी देश के लोग कितने ख़ुश हैं। 

संयुक्त राष्ट्र का एक संस्थान 'सस्टेनेबल डेवलपमेंट सॉल्यूशन नेटवर्क’ (एसडीएसएन) हर साल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सर्वे करके वर्ल्ड हैपिनेस रिपोर्ट को जारी करता है। इस बार इस रिपोर्ट को तैयार करते वक़्त कोरोना महामारी के लोगों पर प्रभाव और देश भर की सरकारों ने इस महामारी से लड़ने में कैसा काम किया, इसे ध्यान में रखा गया था। 

संस्थान ने अपनी रिपोर्ट में यह समझाने की कोशिश की है कि कुछ देशों ने इस मामले में दूसरों से कैसे बेहतर काम किया है। 

संस्थान की ओर से कहा गया है कि भारत में इस रिपोर्ट को तैयार करते वक़्त लोगों से आमने-सामने और टेलीफ़ोन पर बात की गई। हालांकि सामने आकर जवाब देने वालों की संख्या टेलीफ़ोन पर जवाब देने वालों के मुक़ाबले कम रही जबकि 2019 में यह ज़्यादा थी। 

खुशहाल देशों की सूची में फिनलैंड के बाद आइसलैंड, डेनमार्क, स्विट्जरलैंड, नीदरलैंड, स्वीडन, जर्मनी और नॉर्वे हैं। बांग्लादेश 101वें और चीन 84 वें स्थान पर है। जबकि जिंबाब्वे 148वें, रवांडा 147वें, बोत्सवाना 146वें स्थान पर है। 

साल 2020 की वर्ल्ड हैपिनेस रिपोर्ट में भारत को 144 वां स्थान मिला था। इस लिहाज से इस साल वह पांच अंक आगे आया है। 2019 में भारत 140वें स्थान पर था और 2018 में भारत 133 वें और 2017 में 122 वें पायदान पर था। इस हिसाब से कहा जा सकता है कि बीते कुछ सालों में भारत इस सूची में लगातार पिछड़ता जा रहा है। 

फिनलैंड को दुनिया का सबसे खुशहाल मुल्क बताया गया है। वह लगातार चार साल से शीर्ष पर बना हुआ है। फिनलैंड के बारे में कहा जाता है कि वह सबसे सुरक्षित और सुशासन वाला देश है। वहां भ्रष्टाचार कम है और वह सामाजिक तौर पर प्रगतिशील है। इसके अलावा उसकी पुलिस दुनिया में सबसे ज्यादा भरोसेमंद है और वहां हर नागरिक को मुफ्त इलाज की सुविधा प्राप्त है, जो देश के लोगों की खुशहाली की बड़ी वजह है।

लॉकडाउन से बिगड़े आर्थिक हालात

कहा जा सकता है कि वर्ल्ड हैपिनेस रिपोर्ट में शुरुआती 10 स्थानों पर आए देशों के लोगों पर आर्थिक मामलों में दबाव कम है, जबकि भारत में ऐसी स्थिति नहीं है। कोरोना महामारी के कारण लगे लॉकडाउन की वजह से भारत में करोड़ों लोगों की नौकरियां गई हैं और काम-धंधों पर बुरा असर पड़ा है। ऐसे में केंद्र, राज्य की सरकारों पर एक बड़ी जिम्मेदारी है कि वे देशवासियों को ख़ुशहाल बनाने में पूरी ताक़त झोंक दें।