भारतीय महिला पहलवान विनेश फोगाट और साक्षी मलिक ने बुधवार को भाजपा सांसद और भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया। विनेश फोगट का कहना है महिला पहलवानों को राष्ट्रीय शिविरों में कोच और डब्ल्यूएफआई के अध्यक्ष बृज भूषण शरण सिंह द्वारा यौन उत्पीड़न का सामना करना पड़ा। राष्ट्रीय शिविरों में नियुक्त कोचों में से कुछ, वर्षों से महिला पहलवानों का यौन उत्पीड़न कर रहे हैं।
कई युवा महिला पहलवानों ने मुझसे राष्ट्रीय शिविरों में यौन उत्पीड़न की शिकायत की है। मैं कम से कम 20 लड़कियों को जानती हूं जिन्हें राष्ट्रीय शिविर में यौन उत्पीड़न का सामना करना पड़ा। आज मैंने यह कह रही हूं, मुझे नहीं पता कि मैं कल जीवित रहूंगी या नहीं। डब्ल्यूएफआई के लोग काफी ताकतवर हैं।
डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष बृजभूषण ने अपने ऊपर लगे आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि विनेश के अलावा कोई और कह रहा है क्या है कि डब्ल्यूएफआई में एक पहलवान का यौन उत्पीड़न हुआ? किसी ने सामने आकर कहा है कि उनका निजी तौर पर यौन उत्पीड़न किया गया है? अगर एक भी पहलवान सामने आकर कह दे कि उसका यौन उत्पीड़न किया गया है, तो उस दिन मुझे फांसी लटका देना।
भारत के शीर्ष महिला पहलवान विनेश फोगट, साक्षी मलिक, संगीता फोगट, बजरंग, सोनम मलिक और अंशु ने WFI के कामकाज के खिलाफ जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन किया।
बजरंग पुनिया ने इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए कहा हमारा विरोध कुश्ती महासंघ के खिलाफ है जो पहलवानों के सर्वोत्तम हितों को ध्यान में रखे बिना काम कर रहा है। इस विरोध का राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है। हमने यहां किसी राजनेता को आमंत्रित नहीं किया है। यह विशुद्ध रूप से पहलवानों का विरोध है।
ओलंपिक पदक विजेता ने यह भी कहा, "हम यहां उन पहलवानों के मुद्दे को उठाने के लिए हैं, जिनकी निर्णय प्रक्रिया में शामिल नहीं किया जाता है। पहलवानों ने चुपचाप बहुत कुछ झेला है लेकिन अब हमने तय किया है कि भारतीय कुश्ती महासंघ द्वारा लिए जा रहे एकतरफा फैसलों के खिलाफ अब हम चुप नहीं रहेंगे। भारत के सभी शीर्ष पहलवान तब तक राष्ट्रीय या अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग नहीं लेंगे जब तक कि हमारी मांगें पूरी नहीं हो जातीं और भारतीय कुश्ती महासंघ द्वारा हमारे साथ बेहतर व्यवहार नहीं किया जाता। हमारा प्रधानमंत्री और गृह मंत्री कार्यालय से अनुरोध है कि वे हमारी और खेल की मदद करें।
जब हम पदक जीतते हैं, तो हर कोई जश्न मनाता है। उसके बाद किसी को परवाह नहीं होती कि हमारे साथ कैसा व्यवहार किया जा रहा है, खासकर महासंघ द्वारा। जब तक हमें प्रधानमंत्री और गृह मंत्री द्वारा मदद का भरोसा नहीं मिलता, तब तक हम अपना विरोध जारी रखेंगे। पहलवान भारतीय कुश्ती महासंघ के गुलाम नहीं हैं। जबकि विनेश फोगट ने कहा कि मैं लगभग 10 वर्षों से महासंघ से बात करने और उन्हें मेरे और अन्य पहलवानों के मुद्दों को समझने की कोशिश कर रही हूं। लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं है।