जाट खाप पंचायत के नेताओं ने सोमवार को दिल्ली में एनडीए के उपराष्ट्रपति पद के प्रत्याशी जगदीप धनखड़ से मुलाकात की। इनमें हरियाणा, राजस्थान और पश्चिमी यूपी के जाट नेता शामिल थे। बीजेपी ने जब पश्चिम बंगाल के मौजूदा राज्यपाल धनखड़ का नाम इस पद के लिए चलाया था, तभी साफ हो गया था कि बीजेपी जाटों को खुश करने के लिए यह कदम उठा रही है। महत्वपूर्ण यह है कि पहले राष्ट्रपति और उप राष्ट्रपति पदों के लिए प्रत्याशी एनडीए ने उतारा लेकिन फायदा बीजेपी को मिल रहा है। इस आयोजन के जरिए बीजेपी जाटों को संदेश भेजना चाह रही है। अगले महीने होने वाले चुनाव तक जाट सम्मेलनों की भरमार होने वाली है।
समझा जाता है कि सोमवार को दिल्ली में जमा हुए जाट नेताओं को बुलाने की पहल बीजेपी ने ही अप्रत्यक्ष ढंग से की थी। हालांकि जाट नेताओं ने कहा कि हम लोग उन्हें उनकी उम्मीदवारी के लिए शुभकामनाएं देने आए थे। धनखड़ का एनडीए के बाकी नेताओं से भी मिलने वाले हैं। वो अब दिल्ली में ही रुके हुए हैं।
तेवतिया, चौहान, मलिक और जाट समुदाय के अन्य खापों के नेताओं ने बीजेपी के राष्ट्रीय सचिव सुनील देवधर और पार्टी के किसान विंग के प्रमुख राज कुमार चाहर की मौजूदगी में धनखड़ से मुलाकात की।
चाहर ने कहा, विभिन्न खापों से खाप चौधरी और उत्तर प्रदेश और हरियाणा के विभिन्न हिस्सों से किसान धनखड़ को बधाई देने आए और उनकी उम्मीदवारी पर उन्हें शुभकामनाएं देने आए थे। हालांकि इस मौके पर जो फोटो न्यूज एजेंसियों ने जारी किए, उसमें बहुत कम जाट खाप पंचायतों के नेता नजर आए।
बीजेपी नेता देवधर ने कहा कि धनखड़ एनडीए के सांसदों और आने वाले दिनों में अन्य दलों के सांसदों से मुलाकात करेंगे। चाहर ने कहा कि एनडीए के उपाध्यक्ष पद के उम्मीदवार के भी इस सप्ताह के अंत में सुप्रीम कोर्ट के वकीलों और रिटायर्ड जजों से मिलने की संभावना है।
राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, पश्चिम यूपी में जाट वोटरों की भरमार है। किसान आंदोलन के दौरान बड़ी संख्या में जाट नेताओं ने मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। हरियाणा, राजस्थान, पश्चिम उत्तर प्रदेश, पंजाब में यह आंदोलन बहुत ताकतवर था और यहां पर बड़े जाट नेताओं ने इस आंदोलन की कमान संभाली थी। तब हालात इतने खराब थे कि बीजेपी के नेता अपनी ही जाट बिरादरी के लोगों के बीच में जाने में कांपते थे।
जबरदस्त विरोध के बाद मोदी सरकार को कृषि क़ानून वापस लेने पड़े थे। लेकिन बीजेपी और आरएसएस को यह समझ आ गया कि जाटों को साथ लेना ही होगा वरना कुछ राज्यों में सियासत कर पाना बेहद मुश्किल हो जाएगा। इसलिए जब मौका उप राष्ट्रपति के चुनाव का आया तो शायद इसे ही ध्यान में रखते हुए बीजेपी ने जगदीप धनखड़ के नाम पर दांव लगाया। लेकिन जगदीप धनखड़ अगर उप राष्ट्रपति बन जाते हैं तो क्या बीजेपी से जाटों की नाराजगी दूर होगी? यह अहम सवाल है, जिसका जवाब देर से आएगा।
किस राज्य में कितनी ताकत?
राजस्थान में जाट सबसे बड़ी आबादी वाला समुदाय है यहां जाटों की आबादी 10 फीसद से ज्यादा है और 200 विधानसभा सीटों में से 80 से 90 सीटों पर इनका असर है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में चौधरी चरण सिंह, चौधरी अजीत सिंह उनके बेटे जयंत चौधरी, केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान जाट सियासत के बड़े नाम हैं। यहां जाट समुदाय की आबादी 18 फीसद है।दिल्ली में द्वारका से लेकर पालम, महरौली,नजफगढ़, बिजवासन, मुंडका, नांगलोई, नरेला, बवाना, मुनिरका आदि इलाकों में जाटों के गांव हैं। साहिब सिंह वर्मा जाट बिरादरी से थे और अब उनके बेटे प्रवेश वर्मा जाट चेहरे के तौर पर बीजेपी के सांसद हैं। राजधानी में जाट 6 फीसद के आसपास हैं।
हरियाणा को तो जाटों का गढ़ कहा जाता है और यहां अधिकतर मुख्यमंत्री जाट बिरादरी से ही रहे हैं। लेकिन पिछले दो विधानसभा चुनाव में हरियाणा में बीजेपी ने गैर जाट मुख्यमंत्री का दांव खेला। इसे लेकर जाट समुदाय की नाराजगी खुलकर भी सामने आई। हरियाणा में जाटों की आबादी 25 फीसद है। पंजाब में सिख जाटों की आबादी 22 से 25 फीसदी है। अधिकतर मुख्यमंत्री वहां जाट समुदाय से ही रहे हैं।