बड़ा ख़ुलासा - वॉट्सऐप भी सुरक्षित नहीं, 1400 पत्रकारों, एक्टिविस्टों की जासूसी

02:19 pm Nov 03, 2019 | सत्य ब्यूरो - सत्य हिन्दी

क्या आप चाहेंगे कि सोशल मीडिया पर आपकी चैटिंग पर कोई निगाह रखे, क़तई नहीं। सोशल मीडिया चैटिंग से जुड़ा कोई भी ऐप डाउनलोड करते समय आप इस बात को सुनिश्चित करते हैं कि आप जो बात (चैट) इस ऐप के जरिये किसी से करेंगे, वह किसी दूसरे को पता नहीं चलेगी, और ऐप इस बात का दावा भी करते हैं। लेकिन दुनिया भर में सबसे ज़्यादा पॉपुलर ऐप वॉट्सऐप ने स्वीकार किया है कि लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान दो हफ़्ते के लिये भारत में कई पत्रकारों, शिक्षाविदों, वकीलों, मानवाधिकार और दलित कार्यकर्ताओं पर नज़र रखी गई। फ़ेसबुक के स्वामित्व वाले वॉट्सऐप ने कहा है कि इजरायली एनएसओ समूह ने पेगासस स्पाइवेयर का इस्तेमाल कर 1400 वॉट्सऐप यूजर्स की निगरानी की थी। जबकि वॉट्सऐप यह दावा करता है कि उसके प्लेटफ़ॉर्म पर जो चैटिंग होती है, वह पूरी तरह इनक्रिप्टेड है यानी चैटिंग कर रहे दो लोगों के सिवा कोई तीसरा शख़्स इसे नहीं पढ़ सकता है। 

अंग्रेजी अख़बार ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के मुताबिक़, यह हैरान करने वाली जानकारी सैन फ़्रांसिस्को की एक अमेरिकी संघीय अदालत में एक मुक़दमे की सुनवाई के दौरान सामने आई। इस मुक़दमे में वॉट्सऐप ने आरोप लगाया कि इजरायली एनएसओ समूह ने पेगासस स्पाइवेयर का इस्तेमाल कर 1400 वॉट्सऐप यूजर्स पर नजर रखी थी। मुक़दमे के दौरान वॉट्सऐप ने इन यूजर्स की पहचान और फ़ोन नंबर बताने से इनकार कर दिया। वॉट्सऐप के प्रवक्ता ने ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ को बताया कि जिन लोगों पर निगाह रखी जा रही थी, वॉट्सऐप उनके बारे में जानता था और उनमें से सभी से संपर्क किया गया। 

वॉट्सऐप के प्रवक्ता ने ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ से कहा, ‘भारतीय पत्रकार और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं पर नज़र रखी गई। मैं उनकी पहचान और फ़ोन नंबर्स को उजागर नहीं कर सकता। मैं यह कह सकता हूँ कि यह कम संख्या नहीं थी।’ 

एनएसओ समूह और क्यू साइबर टेक्नोलॉजीज के ख़िलाफ़ मुक़दमे में, वॉट्सऐप ने आरोप लगाया था कि इन कंपनियों ने अमेरिका और कैलिफ़ोर्निया के क़ानूनों के साथ-साथ वॉट्सऐप की सेवा की शर्तों का भी उल्लंघन किया है। यह भी दावा किया गया है कि मिस्ड कॉल के जरिये इन लोगों के स्मार्टफ़ोन में घुसकर इन पर नजर रखी गई। 

‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के मुताबिक़, वॉट्सऐप के प्रवक्ता ने कहा, ‘हम मानते हैं कि इस हमले ने कम से कम 100 आम लोगों को निशाना बनाया और यह बेहद ख़राब है। यह संख्या बढ़ सकती है क्योंकि और अधिक पीड़ित सामने आ सकते हैं।’ 

‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के मुताबिक़, एनएसओ समूह ने इस पूरे मामले में सफाई देते हुए कहा है कि वह इन आरोपों के ख़िलाफ़ लड़ाई लड़ेगा। समूह ने कहा, ‘हमने मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और पत्रकारों के ख़िलाफ़ इस्तेमाल होने के लिए तकनीक नहीं बनाई है।’ एनएसओ समूह ने कहा कि इस तकनीक के बारे में मई में पहली बार सवाल खड़े होने पर सितंबर में उसने एक मानवाधिकार नीति लागू की थी। 

एनएसओ समूह ने यह भी दावा किया कि पेगासस को सिर्फ़ वैध सरकारी एजेंसियों को ही बेचा जाता है। ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के मुताबिक़, इस मामले में प्रतिक्रिया देने के लिये गृह सचिव एके भल्ला और इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी सचिव पी. साहनी से ई-मेल, फ़ोन कॉल और मैसेज के जरिये प्रतिक्रिया लेने की कोशिश की गई लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।