पीएनबी घोटाला: लंदन के कोर्ट से नीरव मोदी के प्रत्यर्पण को मंजूरी

05:19 pm Feb 25, 2021 | सत्य ब्यूरो - सत्य हिन्दी

नीरव मोदी को आख़िरकार अब भारत लाया जा सकता है। लंदन की अदालत ने उनके प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी है। पंजाब नेशनल बैंक यानी पीएनबी में हुए 14 हज़ार करोड़ के घोटाले के आरोपी नीरव मोदी की दलीलों को अदालत ने खारिज कर दिया। इसने कहा कि नीरव को भारत को प्रत्यर्पित किए जाने में कोई समस्या नहीं है। इस तरह उन्हें प्रत्यर्पित तो किया जा सकता है, लेकिन नीरव मोदी के पास अधिकार है कि वह अदालत के इस फ़ैसले को ब्रिटेन की ऊँची अदालत में चुनौती दे। 

मजिस्ट्रेट की अदालत के फ़ैसले को ब्रिटेन के गृह सचिव प्रीति पटेल को एक हस्ताक्षर के लिए वापस भेजा जाएगा। इसका जो परिणाम होगा उसके आधार पर दोनों तरफ़ से यानी नीरव मोदी और भारत सरकार वहाँ के उच्च न्यायालय में अपील की संभावना है।

नीरव मोदी को मार्च, 2019 में गिरफ़्तार किया गया था और तब से उन्हें भारत लाने की कोशिशें चल रही हैं। पीएनबी मामले में नीरव के ख़िलाफ़ सीबीआई और ईडी दोनों ही जांच कर रही हैं। उन पर सबूतों से छेड़छाड़ करने और गवाहों को धमकाने के भी मुक़दमे दर्ज हैं। कई बार की कोशिशों के बाद भी नीरव मोदी को जमानत नहीं मिल सकी थी। 

49 वर्षीय नीरव मोदी वेस्टमिंस्टर जेल से वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट कोर्ट में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश हुए। न्यायाधीश ने महामारी के दौरान नीरव मोदी के मानसिक स्वास्थ्य ख़राब होते रहने और भारतीय जेलों की स्थिति को लेकर दिए गए नीरव मोदी के तर्कों को खारिज कर दिया।

ज़िला न्यायाधीश सैमुअल गूजी ने कहा, 'मैं इस बात से संतुष्ट हूँ कि नीरव मोदी का भारत में प्रत्यर्पण मानवाधिकारों के अनुपालन में है।' जज ने यह भी कहा, 'इस बात का कोई सबूत नहीं है कि अगर नीरव मोदी को प्रत्यर्पित नहीं किया गया तो उसे न्याय नहीं मिलेगा।'

न्यायाधीश ने कहा कि भारत में ट्रायल का सामना करने के लिए नीरव के लिए केस मज़बूत है। उन्होंने कहा कि नीरव मोदी और बैंक अधिकारियों सहित जुड़े लोगों के बीच स्पष्ट रूप से लेटर ऑफ़ अंडरटेकिंग में स्पष्ट संबंध थे।

लंदन की अदालत ने यह भी ग़ौर किया कि नीरव मोदी ने व्यक्तिगत तौर पर पीएनबी को कर्ज के लिए लिखा और चुकाने का दावा किया। इसने यह भी कहा कि सीबीआई नीरव के फर्मों की जाँच कर रही है कि वे डम्मी सहयोगी थीं। जज ने कहा कि ये कंपनियाँ नीरव मोदी द्वारा संचालित फर्जी कंपनियाँ थीं। 

कोर्ट ने साफ़ तौर पर कह दिया कि 'मैं यह नहीं मानता कि नीरव मोदी वैध व्यवसाय कर रहे थे। मुझे कोई वास्तविक लेनदेन नहीं मिला और विश्वास है कि बेईमानी की प्रक्रिया की गई है।'

अदालत ने कहा कि 'मैं फिर से संतुष्ट हूँ कि इस बात के सबूत हैं कि उन्हें दोषी ठहराया जा सकता है। प्रथम दृष्टया मनी लॉन्ड्रिंग का मामला है।'  न्यायाधीश ने कहा कि उन्हें भारत से सबूत के 16 वॉल्यूम मिले हैं।

पीएनबी घोटाले के मास्टरमाइंड कहे जाने वाले मेहुल चौकसी ने एंटिगा की नागरिकता ले ली है। मेहुल चौकसी का प्रत्यर्पण होना मुश्किल है क्योंकि एंटिगा के साथ भारत की प्रत्यर्पण संधि नहीं है। फरवरी, 2019 में 'द टेलीग्राफ़' अख़बार ने नीरव मोदी को ढूंढ निकाला था। अख़बार का कहना था कि ब्रिटेन के वर्क एंड पेंशन विभाग ने नीरव मोदी को नया बीमा नंबर दिया है, इसका मतलब यह है कि वह ब्रिटेन में रह सकते हैं और कारोबार भी कर सकते हैं। 

सरकार पर उठे थे सवाल

2019 में नीरव मोदी के पकड़े जाने के बाद ब्रिटेन के अधिकारियों ने कहा था कि लंदन स्थित सीरियस फ़्रॉड ऑफ़िस (एसएफ़ओ) की ओर से नीरव मोदी को भारत वापस लाने के संबंध में कई बार जानकारियां मांगी गईं, लेकिन उन्हें कोई जवाब नहीं दिया गया। 

ब्रिटेन की ओर से एक क़ानूनी टीम ने भी नीरव मोदी के ख़िलाफ़ कार्रवाई में मदद करने के लिए भारत आने की पेशकश की थी, लेकिन भारत की ओर से उन्हें कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली थी। 

38 डिफ़ॉल्टर देश छोड़कर भागे

सितंबर, 2020 में मोदी सरकार ने संसद में आर्थिक अपराध कर भागने वाले लोगों के बारे में बताया था कि 5 साल में 38 विलफुल डिफ़ॉल्टर बैंकों को चूना लगाकर विदेश भाग गए हैं। विलफुल डिफ़ॉल्टर का मतलब कि जान-बूझकर अपराध करने वाले। 

सरकार ने कहा था कि आर्थिक अपराध करने वाले 20 भगोड़ों के ख़िलाफ़ मनी लांड्रिंग एक्ट के तहत रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया गया है और 14 देशों से ऐसे अपराधियों का प्रत्यर्पण करने का अनुरोध किया गया है। 

2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान अपनी लगभग हर रैली में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी मंच से विजय माल्या, नीरव मोदी, मेहुल चौकसी जैसे कई और विदेश भाग जाने वालों का जिक्र करते रहे। राहुल गांधी इन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मित्र भी बताते रहे। इन तीनों का ही नाम इन 38 डिफ़ॉल्टर्स की सूची में शामिल है। 

मोदी सरकार इसे लेकर हमेशा घिरी रही कि आख़िर कैसे ये डिफ़ाल्टर्स देश का पैसा हड़पकर आसानी से भाग गए और अब आने के लिए तैयार नहीं दिखते।