उद्योगपति अनिल अंबानी एक और विवाद में फँस गए हैं। अनिल अंबानी से जुड़े एक मामले में फ़ैसले में गड़बड़ी करने के आरोप में सुप्रीम कोर्ट के दो कर्मचारी बर्खास्त कर दिए गए हैं। दोनों पर आरोप हैं कि उन्होंने न्यायिक आदेश में ऐसी छेड़छाड़ की जिससे ऐसी धारणा बनी कि अंबानी को मानहानि के मामले में निजी तौर पर पेश होने से छूट मिल गई थी। हालाँकि, इन दोनों कर्मचारियों के अलावा इसमें किसकी मिलीभगत है, इसकी जानकारी नहीं मिल पायी है। यहाँ सवाल उठता है कि क्या इन दो कर्मचारियों ने अपने मन से न्यायिक आदेश में गड़बड़ी की क्या अनिल अंबानी की तरफ़ से कोई दबाव था यह सब तो तभी साफ़ हो पाएगा जब इसकी पूरी जाँच हो।
अंग्रेजी अख़बार टेलिग्राफ़ ने यह ख़बर कोर्ट के सूत्रों के हवाले से दी है। रिपोर्ट के मुताबिक़, इन दोनों कर्मचारियों कोर्ट मास्टर मानव शर्मा और तपन कुमार चक्रवर्ती के ख़िलाफ़ यह कार्रवाई की गई है। दोनों असिस्टेंट रजिस्ट्रार के पद पर कार्यरत थे। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगाई ने बुधवार देर शाम यह फ़ैसला किया। शुरुआती जाँच में ज्यूडीशियल ऑर्डर में छेड़छाड़ किए जाने के संकेत मिलने के बाद मुख्य न्यायाधीश ने दोनों अधिकारियों को बर्खास्त करने के आदेश पर हस्ताक्षर किए। कोर्ट मास्टर की ओपन कोर्ट या जजों के चैंबर्स में दिए गए सभी फ़ैसलों को लिखने में भूमिका होती है।- अलग-अलग निचली अदालतों में भ्रष्टाचार के मामले जब-तब आते रहे हैं। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश में गड़बड़ी होना सामान्य बात नहीं है। वह भी एक ऐसे मामले में जिसमें देश के एक बड़े उद्योगपति का नाम जुड़ा हो। क्या यह सामान्य गड़गड़ी थी क्या गड़बड़ी करने वालों की पहुँच सुप्रीम कोर्ट तक हो गई है यदि ऐसा है तो यह काफ़ी ख़तरनाक स्थिति है। बेहतर है कि इसकी पूरी जाँच-पड़ताल हो।
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क्या है पूरा मामला
यह पूरा मामला टेलीकॉम कंपनी एरिक्शन और रिलायंस कम्युनिकेशन के बीच विवाद से जुड़े आदेश से है। टेलीकॉम कंपनी एरिक्शन ने रिलायंस कम्युनिकेशन द्वारा 550 करोड़ रुपये का भुगतान न करने के बाद अवमानना के मामले में अनिल अंबानी के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट पहुँची है। जस्टिस आरएफ नरिमन और जस्टिस विनीत सरन ने आदेश दिया था।- इसमें अंबानी को कोर्ट कार्यवाही के दौरान निजी तौर पर मौजूद रहने को कहा गया। इससे जुड़ा आदेश 7 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड किया गया था, लेकिन इसमें से 'not' शब्द हटा दिया गया था। वेबसाइट पर अपलोड आदेश से ऐसा संकेत गया कि अंबानी को निजी तौर पर पेश होने से छूट मिली है। 10 जनवरी को एरिक्शन के प्रतिनिधियों ने इस गड़बड़ी की ओर ध्यान दिलाया, जिसके बाद संशोधित आदेश अपलोड हुआ। इस नये आदेश में 'not' शब्द को जोड़ा गया। इसके बाद, अंबानी इस मामले में 12 और 13 फ़रवरी को कोर्ट में पेश हुए थे।
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