स्टैंड-अप कॉमेडियन कुणाल कामरा एक बार फिर सुर्खियों में हैं। इस बार वजह है उनका टी-सीरीज के ख़िलाफ़ तीखा हमला। कामरा ने दावा किया है कि उनकी एक पैरोडी वीडियो को म्यूजिक कंपनी टी-सीरीज ने कॉपीराइट उल्लंघन के चलते यूट्यूब पर ब्लॉक करवा दिया। इसके जवाब में उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स पर टी-सीरीज को 'कठपुतली बनना बंद करो' कहकर निशाना साधा और इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बताया।
कामरा ने इसके ख़िलाफ़ एक्स पर लिखा, 'हाय टी-सीरीज, कठपुतली बनना बंद करो। पैरोडी और व्यंग्य क़ानूनी तौर पर 'फ़ेयर यूज़' के दायरे में आते हैं। मैंने न तो गाने के मूल बोल इस्तेमाल किए और न ही इसका मूल संगीत। अगर यह वीडियो हटाया गया तो हर कवर सॉन्ग और डांस वीडियो हटाया जा सकता है।'
यह विवाद तब शुरू हुआ जब कामरा ने अपने हालिया शो 'नया भारत' में महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पर तंज कसते हुए फ़िल्म 'मिस्टर इंडिया' के गाने 'हवा हवाई' की पैरोडी प्रस्तुत की। लेकिन इस घटना के पीछे की कहानी क्या है और इससे क्या संदेश निकलता है?
कुणाल कामरा का शो 'नया भारत' पहले ही एकनाथ शिंदे पर की गई टिप्पणियों के चलते विवादों में घिर चुका था। शो के दौरान उन्होंने शिंदे को 'गद्दार' कहकर संबोधित किया। इसके बाद शिंदे समर्थक शिवसेना कार्यकर्ताओं ने मुंबई के हबीब स्टूडियो पर हमला कर दिया। इस बीच, कामरा ने अपने प्रदर्शन का एक हिस्सा यू-ट्यूब पर अपलोड किया, जिसमें 'हवा हवाई' की पैरोडी शामिल थी। इस गाने की मूल रिकॉर्डिंग की मालिक टी-सीरीज ने इसे कॉपीराइट उल्लंघन का हवाला देकर हटवा दिया।
अब कामरा का कहना है कि उनकी पैरोडी 'फ़ेयर यूज़' के तहत आती है, जो कॉपीराइट क़ानून में एक मान्य अपवाद है। भारत में कॉपीराइट एक्ट, 1957 की धारा 52 के तहत, व्यंग्य, आलोचना या समीक्षा के लिए मूल सामग्री का सीमित उपयोग अनुमति देता है, बशर्ते यह व्यावसायिक लाभ के लिए न हो। कामरा ने जोर देकर कहा कि उन्होंने न तो गाने के बोल और न ही मूल संगीत का इस्तेमाल किया, बल्कि सिर्फ इसके ढांचे पर आधारित एक व्यंग्यात्मक प्रस्तुति दी। उनके इस दावे ने एक बड़ा सवाल खड़ा किया है- क्या टी-सीरीज ने जल्दबाजी में कार्रवाई की, या यह कोई बड़ी साज़िश का हिस्सा है?
टी-सीरीज ने ख़बर लिखे जाने तक इस मामले पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है। हालाँकि, सोशल मीडिया पर लोग जिस तरह की प्रतिक्रिया दे रहे हैं उसका संकेत साफ़ है कि यह क़दम सिर्फ़ कॉपीराइट की रक्षा से ज़्दाया कुछ हो सकता है। टी-सीरीज का बॉलीवुड और राजनीतिक हलकों में गहरा प्रभाव है, और एकनाथ शिंदे पर कामरा की टिप्पणी को देखते हुए यह संभव है कि यह कार्रवाई सत्ता के दबाव में उठाई गई हो।
दूसरी ओर, यह भी हो सकता है कि टी-सीरीज अपनी बौद्धिक संपदा को लेकर सख़्त रुख अपनाना चाहती हो, जैसा कि वह पहले भी कई कवर वीडियो के ख़िलाफ़ कर चुकी है। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह पैरोडी वास्तव में उनकी व्यावसायिक हितों को नुक़सान पहुंचा रही थी?
यह घटना भारत में हास्य और व्यंग्य की सीमाओं पर बहस को फिर से ज़िंदा करती है। कामरा जैसे कलाकार अक्सर सत्ता और प्रभावशाली लोगों पर निशाना साधते हैं, और उनकी यह शैली उन्हें प्रशंसकों के साथ-साथ आलोचकों का भी ध्यान खींचती है। उनकी गिरफ्तारी की मांग से लेकर अब वीडियो पर कॉपीराइट स्ट्राइक तक, यह सिलसिला बताता है कि असहमति को दबाने के लिए कई तरीके अपनाए जा सकते हैं। कामरा ने अपने पोस्ट में क्रिएटर्स को भी चेतावनी दी कि अगर इस तरह की कार्रवाइयां जारी रहीं, तो यूट्यूब पर हर कवर सॉन्ग या रचनात्मक सामग्री ख़तरे में पड़ सकती है।
टी-सीरीज की कार्रवाई को कुछ लोग किसी के इशारे पर उठाया गया कदम मान रहे हैं, खासकर तब जब यह शिंदे जैसे बीजेपी समर्थित नेता से जुड़ा हो। यह न केवल कामरा, बल्कि अन्य हास्य कलाकारों और पत्रकारों के लिए भी एक चेतावनी हो सकती है कि सत्ता के खिलाफ बोलने की कीमत चुकानी पड़ सकती है। दूसरी ओर, कामरा का जवाबी हमला यह दिखाता है कि वे इस दबाव के आगे झुकने को तैयार नहीं हैं।
कुणाल कामरा और टी-सीरीज का यह विवाद महज एक कॉपीराइट मुद्दे से कहीं आगे जाता है। यदि कामरा का दावा सही है कि यह पैरोडी 'फेयर यूज' के तहत थी, तो टी-सीरीज की कार्रवाई सवालों के घेरे में आती है। वहीं, अगर यह सत्ता के दबाव का नतीजा है, तो यह लोकतंत्र के लिए चिंता की बात है।
(इस रिपोर्ट का संपादन अमित कुमार सिंह ने किया है)