ट्रंप के एल्यूमीनियम आयात पर टैरिफ़ बढ़ाने से भारतीय निर्यातकों पर असर क्या?

04:18 pm Mar 16, 2025 | सत्य ब्यूरो

12 मार्च से एल्यूमीनियम आयात पर टैरिफ़ को 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 25 प्रतिशत करने के ट्रंप प्रशासन के फ़ैसले से भारतीय निर्यातकों पर असर क्या होगा? क्या यह एक बड़ा झटका साबित हो सकता है? अमेरिका हाल के वर्षों में भारतीय एल्यूमीनियम उत्पादों का सबसे बड़ा अंतरराष्ट्रीय बाज़ार बन गया है। आधिकारिक व्यापार डेटा के अनुसार, 2023-24 में भारत के एल्यूमीनियम निर्यात का मूल्य अमेरिका में 7,831 करोड़ रुपये यानी  946 मिलियन डॉलर रहा, जो पिछले दो वित्तीय वर्षों में 1 बिलियन डॉलर से अधिक रहा था। यह निर्यात 2016-17 में केवल 350 मिलियन डॉलर था, जब ट्रंप ने पहली बार अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में कार्यभार संभाला था।

हालाँकि भारत से निर्यात कुल अमेरिकी एल्यूमीनियम आयात का केवल 3 प्रतिशत हिस्सा है, लेकिन यह एल्यूमीनियम कंडक्टरों- बिजली के उपयोग में आने वाले तारों और केबलों- का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है। चीन के बाद, भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा एल्यूमीनियम उत्पादक देश है, हालाँकि इसका अधिकांश उत्पादन घरेलू स्तर पर ख़पत में चला जाता है।

नया 25 प्रतिशत टैरिफ़ 2018 में लगाए गए टैरिफ़ से कहीं अधिक व्यापक है। इससे अमेरिका पर केंद्रित निर्यात वाली कंपनियों का विकास बाधित हो सकता है। हालाँकि, कुछ कंपनियों की आय पर असर पड़ सकता है, लेकिन कुल मिलाकर प्रभाव सीमित रहने की उम्मीद है, क्योंकि अधिकांश कंपनियों के व्यवसाय में एल्यूमीनियम निर्यात का हिस्सा कम है। अमेरिका, भारत का सबसे बड़ा बाजार होने के बावजूद कुल एल्यूमीनियम निर्यात का लगभग 12 प्रतिशत ही है।

2024 में अमेरिका ने भारत से वजन के हिसाब से लगभग 38 प्रतिशत एल्यूमीनियम कंडक्टर आयात किए, जिनका मूल्य 130 मिलियन डॉलर था। 2023 में यह आयात 261 मिलियन डॉलर के शिखर पर पहुंच गया था, जो 2021 में केवल 40 मिलियन डॉलर था। ये कंडक्टर अपने हल्के और टिकाऊ होने के कारण ग्रिड तक बिजली पहुँचाने में बेहतर हैं। कैलिफोर्निया, टेक्सास, नेवादा और एरिजोना जैसे राज्यों में बुनियादी ढाँचे पर ख़र्च और ग्रिड आधुनिकीकरण की बढ़ती मांग ने भारतीय निर्यातकों को अमेरिकी बाज़ार की ओर आकर्षित किया है।

एल्यूमीनियम कंडक्टरों के अलावा, अमेरिका भारत से अनरॉट एल्यूमीनियम, कील व फास्टनर, और तार जैसे उत्पाद भी आयात करता है। 

2018 में ट्रंप ने स्टील पर 25 प्रतिशत और एल्यूमीनियम पर 10 प्रतिशत टैरिफ़ लगाया था। अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, जापान, मैक्सिको, दक्षिण कोरिया, यूरोपीय संघ, यूक्रेन और यूनाइटेड किंगडम जैसे देशों को छूट दी गई थी, जिससे टैरिफ़ का असर कम हुआ। भारत को कोई छूट नहीं मिली, फिर भी एल्यूमीनियम कंडक्टरों का निर्यात बढ़ता रहा।

ताज़ा टैरिफ़ का प्रभाव एल्यूमीनियम उद्योग पर स्टील उद्योग की तुलना में अधिक होने की संभावना है। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार केयरएज रेटिंग ने कहा है, 'भारत अपने घरेलू एल्यूमीनियम उत्पादन का लगभग 40 प्रतिशत निर्यात करता है, जिसमें से 6-8 प्रतिशत अमेरिका को जाता है। इसलिए, अमेरिका में टैरिफ़ वृद्धि का भारतीय एल्यूमीनियम निर्माताओं के निर्यात वॉल्यूम और उनकी आय पर स्टील निर्माताओं की तुलना में अधिक प्रभाव पड़ सकता है।'

इस टैरिफ से भारत में डंपिंग का खतरा बढ़ सकता है, खासकर चीन जैसे बड़े उत्पादकों से। चीन दुनिया का सबसे बड़ा एल्यूमीनियम और स्टील उत्पादक है और अमेरिकी टैरिफ़ से प्रभावित होने पर वह अपनी अतिरिक्त आपूर्ति अन्य बाज़ारों, जैसे भारत, की ओर मोड़ सकता है। यदि ऐसा हुआ, तो भारत में एल्यूमीनियम और स्टील की क़ीमतें गिर सकती हैं, जिससे घरेलू उत्पादकों को नुक़सान होगा। स्टील के संदर्भ में भी यह जोखिम मौजूद है। 

भारत का अमेरिका को स्टील निर्यात कुल निर्यात का केवल 4 प्रतिशत है, इसलिए सीधा असर कम होगा। लेकिन अगर चीन अपनी स्टील आपूर्ति भारत में डंप करता है, तो कीमतों पर दबाव बढ़ेगा।

केयरएज रेटिंग ने कहा है, 'भारत का अमेरिका को स्टील निर्यात कुल निर्यात का केवल 4 प्रतिशत है, इसलिए टैरिफ़ का सीधा असर कम होगा। लेकिन अगर अमेरिका के प्रमुख स्टील निर्यातक भारत में आपूर्ति बढ़ाते हैं तो क़ीमतों पर असर पड़ सकता है।'

ट्रंप प्रशासन का यह क़दम भारतीय एल्यूमीनियम निर्यातकों के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है, खासकर उन कंपनियों के लिए जो अमेरिकी बाजार पर निर्भर हैं। हालांकि, विविध बाजारों और घरेलू मांग के कारण कुल प्रभाव सीमित रह सकता है। दूसरी ओर, स्टील उद्योग पर अप्रत्यक्ष प्रभाव की आशंका बनी हुई है, जो वैश्विक व्यापार पर निर्भर करेगा।

(इस रिपोर्ट का संपादन अमित कुमार सिंह ने किया है)