तमिलनाडु, केरल व पुडुचेरी में किस करवट ऊँट बैठेगा?

08:41 pm Apr 05, 2021 | सत्य ब्यूरो - सत्य हिन्दी

मतदान के एक दिन पहले तमिलनाडु के सत्तारूढ़ दल एआईएडीएमके ने धांधली का आरोप लगा कर पाँच सीटों पर चुनाव टालने की माँग की है। पार्टी ने चुनाव आयोग को लिखी चिट्ठी में कोलातुर, चेपक, कटपदी, तिरुवन्नमलाई, और त्रिची पश्चिम पर अभी चुनाव नहीं कराने को कहा है। मंगलवार को तमिलनाडु की सभी 234 विधानसभा सीटों पर मतदान हैं। इसके अलावा केरल विधानसभा की सभी 140 और पुडुचेरी की सभी 30 सीटों पर लोग अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। 

इसके अलावा असम के तीसरे और अंतिम चरण का मतदान भी मंगलवार को ही होगा, जिसमें 40 विधानसभा सीटों पर मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। 27 मार्च को पहले चरण में 47 और 31 मार्च को दूसरे चरण में 39 सीटों पर मतदान हुआ। 

पश्चिम बंगाल में तीसरे चरण का मतदान भी मंगलवार को ही होगा, जिसमें 31 सीटों के लिए वोट पड़ेंगे। ये विधानसभा सीटें हुगली, हावड़ा और दक्षिण चौबीस परगना इलाक़ों में हैं। पश्चिम बंगाल में इसके अलावा और पाँच चरण का मतदान होना है। 

तमिलनाडु

तो तमिलनाडु विधानसभा चुनाव 2021 के ठीक पहले सत्तारूढ़ दल की ओर से मतदान टालने की गुजारिश करने का क्या अर्थ है? आलोचक यह कह सकते हैं कि यह सरकार विरोधी हवा से डरा हुआ शासक दल है। 

यह सच हो या न हो, लेकिन यह सच ज़रूर है कि तमिलनाडु में एंटी इनकम्बेन्सी यानी सरकार विरोधी भावनाएं हैं।  बीजेपी भी उस गठजोड़ में है, केंद्र में बड़ी पार्टी होने के बावजूद राज्य में छोटे भाई की भूमिका में है। 

सरकार को चुनौती देने वाली डीएमके अपने नेता स्टालिन की अगुआई में मैदान में है। लेकिन डीएमके के अभियान को मतदान से कुछ दिनों पहले झटका लगा जब पूर्व केंद्रीय मंत्री ए. राजा ने मुख्यमंत्री पलानीस्वामी को 'प्री-मेच्योर बर्थ' यानी 'अपरिपक्व पैदाइश' क़रार दिया था। 

आलोचना के घेरे में डीएमके

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस बयान की निंदा करते हुए कहा कि ''लोग महिलाओं की तौहीन क़त्तई बर्दाश्त नहीं करेंगे। आज कांग्रेस और डीएमके ने मुख्यमंत्री की माँ का अपमान किया है, अगर ये लोग सत्ता में आ गए तो ये लोग तमिलनाडु की बाक़ी महिलाओं का भी अपमान करेंगे.''

राजा के इस बयान पर डीएमके पार्टी प्रमुख एमके स्टालिन और कनिमोझी ने भी आपत्ति दर्ज की जिसके बाद उन्हें माफ़ी माँगनी पड़ी। स्टालिन ने सभी पार्टी के लोगों को इस तरह की टिप्पणी नहीं करने की चेतावनी दी है।

कमल हासन फ़ैक्टर

मशहूर फ़िल्म अभिनेता कमल हासन ने मक्कल निधि मैयम पार्टी बनाई और कोयम्बटूर से चुनाव लड़ रहे हैं। वे सरकार पर भ्रष्टाचार और अकुशलता के आरोप लगाते हैं और राज्य सरकार को सीधे घेरते हैं। 

उनका कहना है कि सरकार पूरी तरह से भ्रष्टाचार में लिप्त है, मशीनरी फेल नहीं हुई है, लेकिन उन्हें नाकाम कर दिया गया है। इसकी सबसे बड़ी वजह है 30 फ़ीसदी कमीशन। तमिलनाडु की हालत आईसीयू में भर्ती मरीज जैसी हो गई है।

कमल हासन द्रविड़वाद का मुद्दा भी उठाते हैं और कहते हैं कि यह केवल एक विचारधारा नहीं है। यह भौगोलिक स्थिति दर्शाता है और जीवन का अहम हिस्सा है। वह कहते हैं कि अगर लोग अखंड भारत की बात कर सकते हैं तो वह अखंड द्रविड़वाद की बात नहीं क्यों कर सकते।

बीजेपी का जाति कार्ड!

पहचान की राजनीति में यकीन करने वाली बीजेपी ने तमिलनाडु में भी यह कार्ड खेला है। केंद्र सरकार ने एक क़ानून पारित कर दक्षिण तमिलनाडु की सात अनुसूचित जातियों को 'देवेंद्र कूला वेल्लालुर' नाम देकर एकजुट किया है। क्या जातियों को इस तरह एकजुट करने से बीजेपी को फ़ायदा मिलेगा?

माना जाता है कि कन्याकुमारी और तमिलनाडु के पश्चिमी ज़िलों में बीजेपी मज़बूत हो रही है। यह कहा जा रहा है कि कन्याकुमारी में नाडर समुदाय और पश्चिमी ज़िलों में गोंडर समुदाय को क़रीब लाकर बीजेपी मज़बूत हुई है।

वह अब दक्षिण तमिलनाडु की अनुसूचित जातियों को आकर्षित करने की कोशिश में है। इसी क्रम में जातियों को 'देवेंद्र कूला वेल्लालुर' की संज्ञा दी गई है। लेकिन सवाल यह है कि क्या बीजेपी को दूसरे ज़िलों में भी इस जाति आधारित एकीकरण से मदद मिली है?

केरल 

केरल विधानसभा चुनाव 2021 इस मामले में अलग है कि सत्ता में होने के बावजूद लेफ़्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट यानी एलडीएफ़ की स्थिति मजबूत है और उसके ख़िलाफ़ एंडी इनकम्बेन्सी मजबूत नहीं है। हालांकि कथित सोना तस्करी के मामले में वह घिरी हुई है और उस पर लगातार हमले हो रहे हैं, पर स्थानीय निकायों के चुनावों ने साबित कर दिया है कि उसकी स्थिति मजबूत बनी हुई है। 

सबरीमला

केरल के चुनावों में सबरीमला का महत्व अधिक हो गया है क्योंकि बीजेपी ने इसे हिन्दुत्व की राजनीति से जोड़ा है और यह प्रचारित किया है कि दूसरी पार्टियाँ हिन्दुओं की भावनाओं को नहीं समझती हैं। उसने मास्टर स्ट्रोक करते हुए 83 वर्षीय मेट्रो मैन ई. श्रीधरन को पार्टी में शामिल कर उन्हें चुनाव मैदान में आगे किया। 

बीजेपी की कोशिशों के बावजूद पिछले चुनावों की तरह इस बार भी परंपरागत रूप से वाम दलों के नेतृत्व वाले एलडीएफ़ और कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ़ के बीच सीधा मुक़ाबला होगा। ये दोनों गठबंधन बारी-बारी से केरल में चुनाव जीतते आ रहे हैं, लड़ाई हमेशा दो तरफ़ा रही है।

विशेषज्ञ यह भी स्वीकार करते हैं कि पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 15 प्रतिशत से अधिक मिले थे और इसे नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। इसके अलावा नौ सीटों में पार्टी को 30 प्रतिशत से अधिक वोट मिले थे।

बीजेपी ने ईसाई समुदाय को लुभाने के लिए प्रधानमंत्री और गृह मंत्री की भी मदद ली है। आरएसएस और बीजेपी के नेता कई बार ईसाइयों के धार्मिक नेताओं से मिले हैं। प्रधानमंत्री ने चुनाव प्रचार में ईसाई धर्म के प्रतीकों का इस्तेमाल किया। 

पुडुचेरी

पुडुचेरी के कांग्रेस विधायकों के इस्तीफ़े देने से राज्य में राजनीतिक अस्थिरता आई, मुख्यमंत्री वी. नारायणसामी को इस्तीफ़ा देना पड़ा। लेकिन उसके पहले लेफ़्टिनेंट गवर्नर किरण बेदी के साथ मुख्यमंत्री के रिश्ते जिस कदर बिगड़े, उससे केंद्र -राज्य रिश्तों की बात उभर कर सामने आई।

केंद्र-राज्य रिश्ते

इस बार के चुनाव में नारायणसामी खुद चुनाव नहीं लड़ रहे हैं और मुख्यमंत्री बनने की संभावनाओं को खारिज कर चुके हैं, लेकिन उन्होंने केंद्र-राज्य रिश्तों को उठाया है। इसलिए इस बार पुडुचेरी चुनाव में केंद्र-राज्य रिश्ता निश्चित तौर पर एक मुद्दा बना कर उभरा है। 

पिछले चुनाव में अकेले कांग्रेस को 15 सीटें मिली थीं, उसके सहयोगियों को दो सीटें मिली थीं। इस तरह उसके पास 17 सीटें थीं, लेकिन विधायकों के इस्तीफ़े से उसकी स्थिति कमजोर हुई। पुडुचेरी विधानसभा चुनाव 2021 में क्या होता है, सबकी निगाहें इस पर टिकी हुई हैं। 

पश्चिम बंगाल

पश्चिम बंगाल के जिन 31 सीटों पर मतदान तीसरे चरण में मंगलवार को है, वे मोटे तौर पर तृणमूल कांग्रेस के गढ़ में स्थित हैं। हुगली, हावड़ा और उत्तर चौबीस परगना ज़िलों की ये सीटें परंपरागत रूप से तृणमूल कांग्रेस के पास रही हैं। इन इलाक़ों में मुसलमानों की आबादी लगभग 40 प्रतिशत है जो चुनाव नतीजों को प्रभावित करने के लिए काफी है।

फुरफुरा शरीफ़ दरगाह के पीरज़ादा अब्बास सिद्दीक़ी ने अलग इंडियन सेक्युलर फ्रंट खड़ा कर ममता बनर्जी को चुनौती दी है। यदि वे मुसलमान वोट काट ले जाते हैं तो टीएमसी की मुसीबतें बढ़ेंगी। इसलिए ही इस चरण के मतदान के लिए चुनाव प्रचार के अंतिम दिन रविवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मुसलमानों से अपील की कि वे अपना वोट न बँटने दें।

पर्यवेक्षकों का कहना है कि बीजेपी को रोकने की कोशिश में मुसलमानों के पास टीएमसी का कोई विकल्प नहीं है। ऐसे में आईएसएफ़ को कितना समर्थन मुसलमानों का मिलेगा, इस पर तीसरे चरण के मतदान का नतीजा निर्भर है। 

अब्बास सिद्दीक़ी, नेता, इंडियन सेक्युलर फ्रंट

असम

असम के तीसरे व अंतिम चरण में मंगलवार को जिन 40 सीटों पर मतदान है, वहाँ कांग्रेस अगुआई वाले गठबंधन की स्थिति मजबूत है। बोडोलैंड इलाक़े, बराक वैली और निचले असम के कुछ हिस्सों में यह अहम होगा कि बोडो नस्ल के मतदाता इस बार क्या रुख अपनाते हैं। 

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को असम में कहा था कि बीजेपी सत्ता में आएगी तो राज्य का विकास होगा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस रास्ते से भटक चुकी है और वह विकास कार्य नहीं कर सकती। 

ये सीटें निचले असम और बोडोलैंड टेरीटोरियल रीजन में स्थित हैं। साल 2016 के विधानसभा चुनावों में असम के इन इलाकों में एनडीए और यूपीए दोनों को 11-11 सीटें मिली थीं। 

करीमगंज के ज़िला मजिस्ट्रेट ने एक बीजेपी उम्मीदवार की पत्नी की गाड़ी में ईवीएम पाए जाने की जाँच का आदेश शनिवार को दिया। एडीएम राजेशन तेरांग इस मामले की जाँच कर तीन दिनों में अपनी रिपोर्ट सौंपेंगे।