पुरी के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने लोकसभा चुनाव में बीजेपी के ख़राब प्रदर्शन के लिए ज़्यादा लालच को बड़ी वजह बताया है। उन्होंने कहा है कि जब पीएम मोदी ज़्यादा लालच के शिकार हुए तो भारतीय जनता पार्टी उन सभी स्थानों पर हार गई जहां राम अपनी पदयात्रा के दौरान गए थे।
पुरी के शंकराचार्य रविवार को आगरा में एक पूर्व सांसद द्वारा आयोजित धार्मिक कार्यक्रम में श्रोताओं को संबोधित कर रहे थे। जब उनसे अयोध्या में आंशिक रूप से पूर्ण राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह और उसके बाद अयोध्या सहित फैजाबाद सीट से भाजपा की हार के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बीजेपी पर टिप्पणी की।
दि प्रिंट की रिपोर्ट के अनुसार शंकराचार्य ने कहा, 'अयोध्या में क्या हुआ? इसलिए, मैंने तब भी टिप्पणी की थी। श्री राम जी अयोध्या से चित्रकूट की ओर चले... चित्रकूट से नासिक, और सब जगह भाजपा हार गई।' उन्होंने सुंदरकांड की एक चौपाई पढ़ी जिसमें भाजपा के लालच की तुलना बगुले के लालच से की गई। उन्होंने कहा कि चौबे गए छब्बे बनने, दुबे भी नहीं रहे। उन्होंने आगे कहा, 'अब हम इसके बारे में क्या कहें? भाजपा के शासन में 500 वर्षों से अटके हुए काम पूरे हुए हैं। उनके लिए यह पर्याप्त है, लेकिन मैथिली में एक कहावत है। अतिशय लोभ बकुल ने कीना (अधिक लालच ने बगुले को मार डाला)।'
मैथिली कहावत की कहानी सुनाते हुए उन्होंने कहा, 'जब बगुला लालच में आ गया तो उसने केकड़े को खाने की कोशिश की, लेकिन केकड़े ने उसकी गर्दन पकड़ ली और उसे मार डाला।' उन्होंने कहा, 'इसी तरह मोदी जी या भाजपा के दूसरे नेताओं के राज में 500 साल से अटके काम पूरे हुए। लेकिन, अगर मोदी जी ब्राह्मण भी होते तो भी उन्हें राजनेता के तौर पर यह (राम मंदिर निर्माण से पहले प्राण प्रतिष्ठा) नहीं करनी चाहिए थी।' उन्होंने कहा, 'उन्होंने गुजरात की परंपरा को आगे बढ़ाया- जैसे सरदार वल्लभभाई पटेल ने सोमनाथ जी की प्राण प्रतिष्ठा की थी। उन्होंने (मोदी) उनकी नकल की... लेकिन उस समय इतनी जागरूकता नहीं थी। अब मोदी जी बिना वजह नाम कमा रहे हैं।' सोमनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण का आदेश सरदार वल्लभभाई पटेल ने दिया था, लेकिन 1951 में हुए इस प्राण प्रतिष्ठा समारोह में तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद शामिल हुए थे।
सरदार वल्लभभाई पटेल उन नेताओं में से थे जिनकी बदौलत मई 1950 में नए सोमनाथ मंदिर की नींव रखी गई, लेकिन इसका अभिषेक 1951 में तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने किया था। शंकराचार्य ने कहा, 'ज़्यादा लोभ किया तो जहां-जहां राम जी गए, वहां-वहां बीजेपी हार गई।'
यह किसी मौजूदा शंकराचार्य द्वारा भाजपा पर किया गया दूसरा कटाक्ष है। पिछले सप्ताह ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने दि प्रिंट को दिए एक साक्षात्कार में कहा था कि अयोध्या में राम मंदिर की ‘प्राण प्रतिष्ठा’ चुनावों के कारण जल्दबाजी में की गई थी और उनका संप्रदाय इसे एक राजनीतिक घटना मानता है।
इससे पहले आरएसएस के नेता भी बीजेपी के इस तरह के प्रदर्शन को लेकर कड़ी टिप्पणी करते रहे हैं। आरएसएस नेता इंद्रेश कुमार ने हाल के लोकसभा चुनावों में बीजेपी के खराब प्रदर्शन के लिए अहंकार को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने पिछले हफ़्ते कहा, 'जो लोग भगवान राम की भक्ति करते थे, वे धीरे-धीरे अहंकारी हो गए। उस पार्टी को सबसे बड़ी पार्टी घोषित किया गया था, लेकिन अहंकार के कारण भगवान राम ने उन्हें 241 पर रोक दिया।'
मोहन भागवत ने कहा था कि एक सच्चा 'सेवक' विनम्र होता है और लोगों की 'गरिमा' के साथ सेवा करता है। भागवत ने कहा था कि एक सच्चे सेवक में अहंकार नहीं होता और वह दूसरों को कोई नुकसान पहुंचाए बिना काम करता है।
चुनाव अभियान को लेकर भागवत ने कहा था कि चुनाव के दौरान मर्यादा नहीं रखी गई। भागवत ने कहा, 'चुनाव लोकतंत्र की एक आवश्यक प्रक्रिया है। इसमें दो पक्ष होने के कारण प्रतिस्पर्धा होती है। चूंकि यह प्रतिस्पर्धा है, इसलिए खुद को आगे बढ़ाने का प्रयास किया जाता है। ...झूठ का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए। संसद में जाने और देश चलाने के लिए लोगों को चुना जा रहा है। वे सहमति बनाकर ऐसा करेंगे, यह प्रतिस्पर्धा कोई युद्ध नहीं है।'
संघ से जुड़ी एक पत्रिका ऑर्गनाइजर ने एक लेख छापा है जिसमें कहा गया है कि भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं ने लोकसभा चुनाव में मदद के लिए आरएसएस से संपर्क नहीं किया और इस वजह से पार्टी का प्रदर्शन निराशाजनक रहा। पत्रिका में छपे लेख में संपर्क नहीं करने की जो बात कही गई है उसकी पुष्टि एक इंटरव्यू में बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी लोकसभा चुनाव के दौरान ही की थी।
बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा था कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के समय और मौजूदा समय में काफी कुछ बदल चुका है। उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस से इंटरव्यू में कहा था कि 'पहले हम इतनी बड़ी पार्टी नहीं थे और अक्षम थे, हमें आरएसएस की जरूरत पड़ती थी, लेकिन आज हम काफी आगे बढ़ चुके हैं और अकेले दम पर आगे बढ़ने में सक्षम हैं।'