सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को धर्म संसदों के आयोजनों को लेकर उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश की सरकारों को चेताया है। कोर्ट ने कहा कि बुधवार को रुड़की में होने वाली धर्म संसद में किसी भी तरह की हेट स्पीच नहीं होनी चाहिए। अदालत ने उत्तराखंड सरकार से कहा कि आपको तुरंत कदम उठाने चाहिए और हमें बार-बार कुछ कहना ना पड़े।
जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस अभय श्रीनिवास ओका की बेंच पत्रकार कुर्बान अली और पटना हाई कोर्ट की पूर्व जज अंजना प्रकाश की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
याचिका में धर्म संसदों में जहरीले भाषण देने वालों के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई की मांग की गई थी।
बीते साल अक्टूबर में उत्तराखंड के हरिद्वार में हुई धर्म संसद और दिल्ली में आयोजित ऐसे ही कार्यक्रम में मुसलमानों के खिलाफ जहरीली बयानबाजी की गई थी।
कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार के वकील से कहा कि राज्य के मुख्य सचिव अदालत के सामने इसे रिकॉर्ड पर दें कि रुड़की में होने वाली धर्म संसद में खराब माहौल नहीं बनना चाहिए और अस्वीकार्य बयानबाजी भी नहीं होनी चाहिए और अदालत के आदेश के मुताबिक संबंधित प्रशासन व सरकार जरूरी कदम उठाए।
ऊना की धर्म संसद
याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने कहा कि समय-समय पर कई जगहों पर धर्म संसदों का आयोजन किया जा रहा है। ऐसी ही धर्म संसद हिमाचल प्रदेश के ऊना में हुई और वहां जो कुछ हुआ वह हिला देने वाला है। सिब्बल ने कहा कि उन्होंने ऊना की धर्म संसद को रोकने के लिए याचिका दायर की थी लेकिन अदालत ने कहा कि वह संबंधित जिले के एसपी और कलेक्टर से संपर्क करें। लेकिन कलेक्टर और एसपी ने कुछ नहीं किया।
इस पर जस्टिस खानविलकर ने पूछा, तो आप अब क्या चाहते हैं। सिब्बल ने कहा कि धर्म संसद में भाषण देने वाले वालों ने क्या कहा है वह उसे नहीं पढ़ेंगे। जस्टिस खानविलकर ने कहा कि हमने उसे पढ़ा है।
जस्टिस खानविलकर ने हिमाचल प्रदेश सरकार के वकील से कहा कि आपको सुप्रीम कोर्ट के द्वारा बनाई गई गाइडलाइन का पालन करना होगा, क्या आप ऐसा कर रहे हैं?
इस पर हिमाचल सरकार के वकील ने कहा कि हमने इस दिशा में कदम उठाए हैं और हम जांच कर रहे हैं। जस्टिस खानविलकर ने कहा कि आपको इस तरह की हरकतों को रोकना होगा कि न सिर्फ जांच करनी होगी। आप अदालत के सामने हलफनामा देकर बताएं कि आपने ऐसे कार्यक्रमों को रोकने के लिए पहले और बाद में क्या कदम उठाए हैं।
हलफनामा दे सरकार
हिमाचल सरकार के वकील ने कहा कि उन्होंने हिमाचल प्रदेश पुलिस एक्ट के तहत नोटिस जारी किया था। इस पर जस्टिस खानविलकर ने कहा, “ऐसी घटनाएं अचानक नहीं होती हैं, इनका पहले से एलान किया जाता है। स्थानीय पुलिस को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए। आप एक हलफनामा दायर कर सारी जानकारी अदालत के सामने रखें कि आपने तुरंत कार्रवाई की या नहीं?”
याचिकाकर्ताओं के वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि धर्म संसद में भाषण देने वालों को गिरफ्तार नहीं किया गया है और उत्तराखंड के रुड़की में एक और धर्म संसद की जा रही है।
इस पर उत्तराखंड सरकार के वकील ने अदालत से कहा कि सरकार धर्म संसद के आयोजकों से ऐसा कार्यक्रम न करने का अनुरोध कर रही है और जरूरी कदम भी उठा रही है।
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हम उसे जिम्मेदार ठहराएंगे जो आपको निर्देश दे रहा है, आपको किस स्तर से निर्देश मिल रहे हैं। आप सचिव से बात करें, आप आईजी से बात करें और उसके बाद बयान दें।”
जस्टिस खानविलकर
उत्तराखंड सरकार के वकील ने कहा कि अगर धर्म संसद होती है तो हम इस पर नजर रखेंगे।
इस पर जस्टिस खानविलकर ने कहा कि अगर आपके भरोसा देने के बाद भी कोई अप्रिय स्थिति बनती है तो हम मुख्य सचिव, गृह सचिव, इलाके के आईजी को इसके लिए जिम्मेदार ठहराएंगे। हमें भरोसा है कि आप कुछ गलत नहीं होने देंगे। आपको पता है कि क्या कदम उठाए जाने हैं और हमें बार-बार इस बारे में ना कहना पड़े।
'मुख्य सचिव को बुलाएंगे'
उत्तराखंड सरकार के वकील ने कहा कि हां हम ऐसा जरूर करेंगे। जस्टिस खानविलकर ने कहा कि हम आपको ऐसा करने का निर्देश दे रहे हैं, हम आपसे किसी तरह का आश्वासन नहीं चाहते, अगर ऐसा होता है तो हम मुख्य सचिव को यहां बुलाएंगे। जस्टिस खानविलकर ने कहा कि आपको हमारे निर्देशों का पालन करना ही होगा।
धर्म संसदों में हुई जहरीली बयानबाजी की वजह से दुनिया भर में भारत की छवि खराब हुई थी और अदालत से इसमें दखल देने और जहरीली बयानबाजी करने वालों के खिलाफ कठोर से कठोर कार्रवाई करने की मांग लगातार की जा रही थी।
अदालत ने स्पष्ट शब्दों में उत्तराखंड और हिमाचल की सरकार को चेता दिया है। देखना होगा कि यह सरकारें क्या कोई कदम उठाती हैं।