राहुल को सुप्रीम कोर्ट का अवमानना नोटिस

06:12 pm Apr 23, 2019 | सत्य ब्यूरो - सत्य हिन्दी

अदालत की अवमानना के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी को नोटिस जारी कर दिया है। रफ़ाल सौदे से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद राहुल गाँधी ने अपनी टिप्पणी को सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी बता दिया था। इसके ख़िलाफ़ भारतीय जनता पार्टी सांसद मीनाक्षी लेखी ने अदालत की अवमानना का मामला किया था। इस मामले से जुड़ी तमाम याचिकाओं पर एक साथ अगली सुनवाई 30 अप्रैल को होगी।

राहुल गाँधी का पक्ष रखते हुए वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष ने अदालत से ख़ेद जता दिया है। लेखी की ओर से अदालत में पेश हुए मुकुल रोहतगी ने कहा कि क़ानून की नज़र में यह माफ़ीनामा नहीं है।

कांग्रेस अध्यक्ष ने सोमवार को अदालत में पेश होकर खेद जताया था और कहा था कि चुनाव प्रचार के दौरान उनकी बातें सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले से मिल गई थीं। उन्होंने यह भी कहा कि चुनाव प्रचार की गहमागहमी के बीच उन्होंने यह बात कह दी थी।

मीनाक्षी लेखी ने अपनी याचिका में कहा था कि राहुल गाँधी ने ‘चौकीदार चोर है’ की अपनी टिप्पणी को सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला बताया था। यह अदालत की अवमानना है।

मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, एस. के. कौल और के. एम. जोजफ़ ने अपने फ़ैसले में कहा था कि मीडिया में छपे काग़ज़ात को अदालत में सबूत के रूप में स्वीकार किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसल के बाद राहुल गाँधी ने कहा था, ‘सुप्रीम कोर्ट ने भी मान लिया है कि चौकीदारजी ने चोरी करवाई है।’ सारा बवाल इसी बयान पर मचा हुआ है।

कांग्रेस अध्यक्ष ने अमेठी से लोकसभा चुनाव का पर्चा भरने के बाद पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने मान लिया है कि चौकीदार चोर है। रफ़ाल पर दायर की गयी पुनर्विचार याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले को लेकर उत्साहित दिखे राहुल गाँधी पूरे रोड शो के दौरान ‘चौकीदार चोर है’ के नारों पर मुस्कुराते नज़र आए। नामांकन पत्र दाख़िल करने के ठीक बाद मीडिया से बातचीत में राहुल गाँधी ने पीएम मोदी को भ्रष्टाचार पर बहस की चुनौती देते हुए कहा कि वह उनके साथ कहीं भी बैठने को तैयार हैं। 

क्या था फ़ैसला?

वह कौन सा फ़ैसला था, जिसे कांग्रेस अध्यक्ष ने ग़लत ढंग से उद्धृत किया था और इतना बड़ा बवाल मचा? 

सुप्रीम कोर्ट ने कुछ दिन पहले रफ़ाल डील पर केंद्र सरकार की सभी आपत्तियों को खारिज करते हुए लीक हुए दस्तावेज़ों की वैधता को मंजूरी दे दी थी। ये दस्तावेज़ रक्षा मंत्रालय से लीक हुए थे। 

कोर्ट ने अपने फ़ैसले में कहा था कि रफ़ाल मामले में रक्षा मंत्रालय से लीक हुए गोपनीय दस्तावेजों का भी वह परीक्षण करेगा। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 3 सदस्यों की बेंच ने सर्वसम्मति से दिए फ़ैसले में कहा था कि जो नए दस्तावेज सामने आए हैं, उस आधार पर मामले में दायर पुनर्विचार याचिकाओं पर सुनवाई होगी। इस बेंच में सीजेआई के अलावा जस्टिस एस. के. कौल और जस्टिस के. एम. जोसेफ़ शामिल हैं।