समाजवादी पार्टी के सांसद रामगोपाल यादव ने सोमवार को उस समय बड़ा विवाद खड़ा कर दिया जब उन्होंने सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ के एक बयान को लेकर अपशब्द कह दिया। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने एक दिन पहले कहा था कि उन्होंने भगवान से 2019 में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद का समाधान ढूंढने के लिए प्रार्थन की थी। रामगोपाल यादव से अयोध्या विवाद के संदर्भ में सीजेआई की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया मांगी गई थी। बाद में जब रामगोपाल के बयान की आलोचना की जाने लगी तो उन्होंने यह कहते हुए अपना बयान वापस ले लिया कि किसी ने भी उनसे मुख्य न्यायाधीश के बारे में कुछ नहीं पूछा था।
मीडियार्मियों के एक सवाल के जवाब में रामगोपाल यादव ने कहा, '...कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता। जब भूतों को ज़िंदा करते हो, मुर्दों को जब आप जिंदा करते हो, तो वे भूत बन जाते हैं और न्याय के पीछे पड़ जाते हैं। अब वे कहाँ हैं?...अब आपको बाबरी-मस्जिद और मंदिर दिख रहा है... भूल जाइए, ऐसे सभी ******* ऐसी बातें कहते रहते हैं। क्या मुझे उन पर ध्यान देना चाहिए?'
बाद में उनके बयान पर विवाद हो गया तो सफाई देते हुए उन्होंने कहा कि उन्होंने सीजेआई के खिलाफ ऐसा कोई आपत्तिजनक बयान नहीं दिया है। उन्होंने तर्क दिया कि उनसे बहराइच हिंसा पर प्रतिक्रिया देने के लिए कहा गया था, न कि चंद्रचूड़ की अयोध्या टिप्पणी पर। एएनआई से उन्होंने कहा, 'किसी ने मुझसे सीजेआई के बारे में कुछ नहीं पूछा। सीजेआई बहुत प्रतिष्ठित व्यक्ति हैं। मैंने कभी उन पर कोई टिप्पणी नहीं की। मुझसे बहराइच (हिंसा) के बारे में पूछा गया और मैंने उसका जवाब दिया।'
मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ रामगोपाल यादव की आपत्तिजनक टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए पार्टी सुप्रीमो अखिलेश यादव ने कहा कि उन्हें अपने चाचा के बयान की जानकारी नहीं है और कहा कि हम सभी मुख्य न्यायाधीश का सम्मान करते हैं।
बता दें कि भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि उन्होंने भगवान से 2019 में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद का समाधान ढूंढने के लिए प्रार्थना की थी। उन्होंने कहा कि अगर किसी में आस्था है तो भगवान उसका समाधान निकाल लेंगे। सीजेआई ने कहा था, 'अक्सर हमारे पास मुद्दे होते हैं, लेकिन हम समाधान पर नहीं पहुंच पाते। अयोध्या (राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद) के दौरान भी कुछ ऐसा ही हुआ था, जो तीन महीने तक मेरे सामने था। मैं भगवान के सामने बैठा और उनसे कहा कि उन्हें समाधान खोजने की ज़रूरत है।'
9 नवंबर 2019 को भारत के तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की पांच न्यायाधीशों की पीठ ने अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण का रास्ता साफ़ किया था। इस फ़ैसले से एक सदी से भी अधिक पुराना विवाद सुलट गया। पीठ ने यह भी फ़ैसला सुनाया कि अयोध्या में ही वैकल्पिक पांच एकड़ के भूखंड पर मस्जिद बनाई जाएगी। मंदिर की मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा इस साल 22 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में हुई थी।
सीजेआई पद से सेवानिवृत्त होने के बाद गोगोई राज्यसभा चले गए थे। अयोध्या विवाद का फ़ैसला राम मंदिर के हक़ में सुनाने वाली संविधान पीठ की अध्यक्षता करने वाले रंजन गोगोई को मोदी सरकार ने मार्च 2020 में राज्यसभा के लिए मनोनीत कर दिया। मोदी सरकार के इस फ़ैसले पर सियासी बवाल मच गया था।
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ उस पीठ का हिस्सा थे जिसने ऐतिहासिक फैसला सुनाया। मुख्य न्यायाधीश ने इस साल जुलाई में अयोध्या में राम मंदिर का दौरा किया था और पूजा-अर्चना की थी।
ईडी, सीबीआई के दुरुपयोग पर प्रार्थना की होती: उदित राज
कांग्रेस नेता डॉ. उदित राज ने कहा कि अगर मुख्य न्यायाधीश ने अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों जैसे कि आम नागरिकों को बिना किसी वित्तीय बोझ के न्याय मिलना या ईडी, सीबीआई और आईटी जैसी एजेंसियों के दुरुपयोग के समाधान के लिए प्रार्थना की होती, तो इन मुद्दों का भी समाधान हो सकता था।
पूर्व आईआरएस अधिकारी ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, 'मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ जी ने कहा कि उन्होंने अयोध्या मुद्दे के समाधान के लिए भगवान से प्रार्थना की थी। अगर उन्होंने कुछ अन्य मुद्दों के लिए प्रार्थना की होती, तो वे भी हल हो गए होते जैसे एक आम आदमी को बिना पैसे के उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय से न्याय ले पाता। ईडी, सीबीआई और आईटी का दुरुपयोग बंद हो जाता।'