कांग्रेस पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व और कथित असंतुष्टों की शनिवार को हुई उच्च-स्तरीय बैठक और उसमें 'सबकी इच्छा के अनुरूप' ज़िम्मेदारी उठाने की राहुल गांधी की रज़ामंदी के बाद सवा सौ साल पुरानी पार्टी में बदलाव के लक्षण दिख रहे हैं। कांग्रेस ने गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और तेलंगाना के राज्य स्तरीय नेतृत्व समेत पूरी पार्टी में बड़े पैमाने पर बदलाव शुरू कर दिए हैं।
एनडीटीवी के अनुसार, तेलंगाना कांग्रेस के अध्यक्ष उत्तम कुमार रेड्डी ने हैदराबाद स्थानीय चुनावों में हुई पार्टी की हार की ज़िम्मेदारी लेते हुए पद से इस्तीफ़ा दे दिया है। इसी तरह गुजरात कांग्रेस अध्यक्ष अमित चवड़ा ने राज्य में हुए उपचुनावों में पार्टी की हार की ज़िम्मेदारी लेते हुए पद से इस्तीफ़ा दे दिया है।
बैठक के बाद बदलाव!
समझा जाता है कि शनिवार की अहम बैठक के पीछे मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की बड़ी भूमिका थी। उन्होंने ही इस बैठक के लिए सबको राजी कराया था और इसका समन्वय किया था। वे प्रदेश कांग्रेस विधायक दल के नेता भी हैं।पार्टी ने शनिवार को ही महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस में भी बदलाव किए। प्रदेश कांग्रेस विधायक दल के नेता बालासाहेब थोराट को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है।
सोनिया गांधी ने तीन अखिल भारतीय कांग्रेस सचिव नियुक्त किए हैं। उन्होंने असम और केरल के लिए अलग-अलग महासचिव नियुक्त किए हैं। नव-नियुक्त तीनों सचिव पार्टी महासचिव की मदद करेंगे।
असम में अगले साल विधानसभा चुनाव हैं, उसे देखते हुए पार्टी ने यह पहल की है। केरल के स्थानीय निकाय चुनावों में पार्टी की बुरी हार के बाद महासचिव नियुक्त करने का फैसला किया गया है।
सांगठनिक चुनाव कब
कांग्रेस के बड़े पैमाने पर सांगठनिक परिवर्तन होने को हैं, इसकी पूरी संभावना है। इस पर कोई फ़ैसला नहीं लिया गया है, क्योंकि कांग्रेस कार्यकारिणी ही इस पर कोई निर्णय ले सकती है।इसी तरह अध्यक्ष पद पर स्थिति साफ हो गई है। शनिवार की बैठक के बाद राहुल गांधी ने कहा कि वे 'सबकी इच्छाओं के अनुरूप कांग्रेस जैसा कहेगी, वैसा करने को तैयार हैं।' इससे साफ संकेत मिलता है कि वे पार्टी अध्यक्ष बनने को तैयार हैं।
यह पहली बार है कि राहुल गांधी ने पार्टी की तरफ़ से मिलने वाली हर ज़िम्मेदारी को संभालने का भरोसा दिया है। राहुल का यह लचीला रुख़ सामने आने के बाद माना जा रहा है कि देर-सबेर वही दोबारा कांग्रेस अध्यक्ष की ज़िम्मेदारी संभालेंगे।
क्या हुआ था बैठक में
इस बैठक में पहले राहुल ज़िम्मेदारी संभालने को राजी नहीं हो रहे थे। राहुल गांधी के अध्यक्ष पद दोबारा संभालने को राज़ी नहीं होने की स्थिति में कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेताओं ने प्रियंका गांधी वाड्रा से अध्यक्ष पद की ज़िम्मेदारी संभालने की गुज़ारिश की थी।लेकिन प्रियंका ने यह कहते हुए यह ज़िम्मेदारी लेने से साफ़ तौर पर इनकार कर दिया था कि वह उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को मज़बूत करके उसे सत्ता में लाने की ज़िम्मेदारी निभा रही हैं।
यह बड़ा मुद्दा है और इस पर बड़ी जिच बनी हुई थी। राहुल गांधी ने बीते साल के आम चुनाव में पार्टी की ज़बरदस्त हार के बाद पद से इस्तीफ़ा दे दिया था। उन्होंने इस्तीफ़ा देने के बाद एक चिट्ठी आम कार्यकर्ताओं के नाम लिखी थी, जिसमें कहा था कि अहम मुद्दों पर बड़े नेताओं ने उनकी मदद नहीं की और वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भिड़ते रहे।
इसके बाद कई बार उन्हें मनाने की कोशिशें हुईं, लेकिन उन्होंने अध्यक्ष बनने से साफ इनकार कर दिया। सोनिया गांधी कार्यकारी अध्यक्ष हैं, लेकिन वे उम्र की वजह से पार्टी को पूरा समय नहीं दे पा रही हैं।
'असंतुष्टों' पर चर्चा नहीं
शनिवार की बैठक में कथित अंसतुष्टों के मुद्दे पर भी चर्चा होनी थी। लेकिन इस पर चर्चा की नौबत नहीं आई क्योंकि इन सभी नेताओं ने सोनिया गांधी और राहुल गांधी के नेतृत्व में पूरा विश्वास जताते हुए राहुल गांधी से अध्यक्ष पद संभालने की गुज़ारिश की।शनिवार की बैठक में कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, महासचिव प्रियंका गांधी और दूसरे बड़े केंद्रीय नेता तो थे ही, वे नेता भी थे, जिन्होंने अगस्त महीने में सोनिया गांधी को एक साझा ख़त लिख कर पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व के कामकाज पर सवालिया निशान लगाए थे।
उस चिट्ठी में मूल रूप से यह कहा गया था कि राहुल गांधी पार्टी अध्यक्ष पद संभाल लें और यदि वे ऐसा नहीं ही करते हैं, तो किसी और को अध्यक्ष बनाया जाए। इस बात पर ज़ोर था कि कांग्रेस का एक पूर्णकालिक अध्यक्ष हो और पार्टी अपने कामकाज के तौर-तरीके में बदलाव करे।
पार्टी में हुआ था बवाल!
अगस्त में हुई कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में इस पर काफ़ी बवाल मचा था। तब यह भी कहा गया था कि राहुल गांधी ने सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखने वाले नेताओं पर बीजेपी से सांठगांठ का आरोप लगाया था। इस पर ग़ुलाम नबी आज़ाद ने बीजेपी से सांठगांठ साबित होने पर राजनीति छोड़ने तक की धमकी दी थी।चिट्ठी पर बवाल मचने के बाद इस पर दस्तख़त करने वाले कई नेताओं ने ख़ुद को असंतुष्ट कहे जाने पर सख़्त एतराज़ जताया था। उनका कहना था कि वे पार्टी नेतृत्व से न तो नाराज़ हैं और न ही असंतुष्ट हैं। उन्होंने चिट्ठी के ज़रिए पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष तक सिर्फ़ अपनी बात पहुँचाई है।
सवाल यह उठता है कि कांग्रेस पार्टी का आगे का रास्ता क्या और कैसा है, उसका भविष्य कैसा है बता रहे हैं वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष।
कई नेताओं ने यह सफ़ाई भी दी थी कि उन्हें सोनिया गांधी और राहुल गांधी के नेतृत्व पर पूरा विश्वास है। वे तो सिर्फ़ यह चाहते हैं कि अध्यक्ष पद को और ज़्यादा समय तक खाली रखना पार्टी हित में नहीं है। लिहाज़ा राहुल गांधी अध्यक्ष पद संभाल कर पार्टी को नई दिशा दें।
बहरहाल, इसकी पूरी संभावना है कि आने वाले समय में कांग्रेस में और बदलाव होंगे।