मोदी कैबिनेट के महिला आरक्षण विधेयक पर सोनिया क्यों बोलीं- 'अपना है'

12:31 pm Sep 19, 2023 | सत्य ब्यूरो

सोनिया गांधी ने कहा कि महिला आरक्षण विधेयक 'अपना है..'। उनकी यह प्रतिक्रिया इस विधेयक के संसद में पेश किए जाने की संभावना के बीच आई है। एक दिन पहले राज्य मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल ने एक्स पर पोस्ट किया था कि कैबिनेट ने महिला आरक्षण विधेयक को मंजूरी दे दी है, लेकिन एक घंटे के भीतर उस पोस्ट को उन्होंने हटा दिया।

हालाँकि जब यह ख़बर आई तो कांग्रेस ने कहा कि वह इस कथित कदम का स्वागत करती है। पार्टी लंबे समय से यह मांग उठाती रही है। एक दिन पहले 'एक्स' पर एक पोस्ट में कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा, 'हम केंद्रीय मंत्रिमंडल के कथित फैसले का स्वागत करते हैं और विधेयक के विवरण का इंतजार है। विशेष सत्र से पहले सर्वदलीय बैठक में इस पर बहुत अच्छी तरह से चर्चा की जा सकती थी और गोपनीयता के पर्दे में काम करने के बजाय आम सहमति बनाई जा सकती थी।'

इस बीच मंगलवार को जब सोनिया गांधी संसद में प्रवेश कर रही थीं तो विधेयक के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, 'यह हमारा है, अपना है।' सोनिया गांधी का यह बयान उस संदर्भ में है जिसमें वह लगातार महिला आरक्षण की बात करती रही है। 

राहुल गांधी का एक ख़त भी सोशल मीडिया पर साझा किया जा रहा है जिसमें उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को महिला आरक्षण विधेयक लाने को कहा था और यह भी कहा था कि कांग्रेस बिना शर्त समर्थन देने को तैयार है। वह ख़त 2018 का है जब प्रधानमंत्री मोदी का पहला कार्यकाल था।

राहुल ने उस ख़त को ट्विटर पर साझा करते हुए लिखा था, 'हमारे प्रधानमंत्री कहते हैं कि वह महिला सशक्तिकरण के लिए योद्धा हैं? उनके लिए दलगत राजनीति से ऊपर उठने, अपनी बात कहने और महिला आरक्षण विधेयक को संसद से पारित कराने का समय आ गया है। कांग्रेस उन्हें बिना शर्त समर्थन की पेशकश करती है। प्रधानमंत्री को लिखा मेरा पत्र संलग्न है।' 

इस बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने कांग्रेस सरकार में महिलाओं के लिए आरक्षण के लिए लिये गए फैसलों को गिनाया है। उन्होंने कहा है कि कांग्रेस पार्टी पिछले नौ साल से मांग कर रही है कि महिला आरक्षण विधेयक, जो पहले ही राज्यसभा से पारित हो चुका है, उसे लोकसभा से भी पारित कराया जाना चाहिए।

इसके साथ ही उन्होंने कहा, 'सबसे पहले राजीव गांधी ने 1989 के मई महीने में पंचायतों और नगर पालिकाओं में महिलाओं के एक तिहाई आरक्षण के लिए संविधान संशोधन विधेयक पेश किया। वह विधेयक लोकसभा में पारित हो गया था लेकिन सितंबर 1989 में राज्यसभा में पास नहीं हो सका। अप्रैल 1993 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव ने पंचायतों और नगर पालिकाओं में महिलाओं के एक तिहाई आरक्षण के लिए संविधान संशोधन विधेयक को फिर से पेश किया। दोनों विधेयक पारित हुए और कानून बन गए।'

रमेश ने कहा है कि आज पंचायतों और नगर पालिकाओं में 15 लाख से अधिक निर्वाचित महिला प्रतिनिधि हैं और यह 40% के आसपास है।

कांग्रेस नेता ने दावा किया कि महिलाओं के लिए संसद और राज्यों की विधानसभाओं में एक तिहाई आरक्षण के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह संविधान संशोधन विधेयक लाए। उन्होंने कहा कि विधेयक 9 मार्च 2010 को राज्यसभा में पारित हुआ, लेकिन लोकसभा में नहीं ले जाया जा सका।  

उन्होंने कहा कि राज्यसभा में पेश या पारित किए गए विधेयक समाप्त नहीं होते हैं, इसलिए महिला आरक्षण विधेयक अभी भी सक्रिए है।

बहरहाल, अब मोदी सरकार द्वारा महिला आरक्षण विधेयक पेश किए जाने के कयास लगाए जा रहे हैं। हालाँकि, सोमवार शाम को 90 मिनट से अधिक समय तक चली कैबिनेट बैठक में क्या हुआ, इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया, लेकिन अटकलें थीं कि इसमें महिला आरक्षण विधेयक को मंजूरी दे दी गई।

इस पर कपिल सिब्बल ने कहा, 'आश्चर्य है कि मोदी जी, अगर पेश किए गए तो लगभग 10 वर्षों तक इंतजार क्यों किया जब लगभग सभी राजनीतिक दल समर्थन में हैं? शायद 2024 वो कारण है, लेकिन अगर सरकार ओबीसी महिलाओं के लिए कोटा नहीं देती है तो 2024 में बीजेपी यूपी भी हार सकती है! इसके बारे में सोचो!'

इससे पहले सोमवार को राज्यसभा सदस्य और कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा, 'भारत को वास्तव में समृद्ध बनाने के लिए वह 50% आबादी को निर्णय लेने की प्रक्रियाओं से बाहर नहीं छोड़ सकता। सोनिया गांधी जी और डॉ. मनमोहन सिंह ने इसे पहचाना और 2010 में महिला आरक्षण विधेयक लाया और इसे राज्यसभा में पारित किया। यदि भाजपा गंभीर है, तो वह इसे तुरंत लोकसभा में पारित करे।'