सोनम वांगचुक का 21 दिवसीय अनशन ख़त्म, बोले- लड़ाई जारी रहेगी

08:40 pm Mar 26, 2024 | सत्य ब्यूरो

पर्यावरणविद् और इंजीनियर सोनम वांगचुक ने 21 दिन का अनशन ख़त्म कर दिया है। हालाँकि, इसके साथ ही उन्होंने कहा है कि उनकी लड़ाई जारी रहेगी। लद्दाख को राज्य का दर्जा दिलाने और हिमालयी पारिस्थितिकी की सुरक्षा के लिए दबाव बनाने के लिए उन्होंने भूख हड़ताल की थी। उन्होंने तीन हफ़्ते पहले इसकी शुरुआत की थी तो कहा था कि वह आमरण अनशन कर रहे हैं और इसको चरणों में किया जाएगा। उन्होंने 21 दिन की अनशन की घोषणा करते हुए कहा था कि ज़रूरत पड़ने पर इसको आगे भी बढ़ाया जा सकता है। 

सोनम वांगचुक के अनशन में मंगलवार को 21वें दिन मशहूर अभिनेता प्रकाश राज पहुँचे और उन्होंने इसका समर्थन किया। प्रकाश राज ने कहा, 'आज मेरा जन्मदिन है... और मैं सोनम वांगचुक और लद्दाख के लोगों के साथ एकजुटता दिखाते हुए जश्न मना रहा हूं जो हमारे लिए, हमारे देश के लिए, हमारे पर्यावरण और हमारे भविष्य के लिए लड़ रहे हैं। आइए उनके साथ खड़े रहें।'

इससे पहले मंगलवार सुबह वांगचुक ने अपने अनशन के 21वें दिन इसको लेकर जानकारी दी और सरकार से इस समस्या पर ध्यान देने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि तीन हफ़्ते से अनशन के बावजूद सरकार की ओर से एक शब्द तक नहीं कहा गया है। यानी सरकार ने उनसे बात करने की कोशिश भी नहीं की। 

सोनम वांगचुक ने कहा, 'जलवायु परिवर्तन के 21 दिनों के दौरान 350 लोग -10 डिग्री सेल्सियस में सोए। यहां दिन में 5000 लोग सोए। लेकिन फिर भी सरकार की ओर से एक शब्द भी नहीं बोला गया।' प्रसिद्ध जलवायु कार्यकर्ता और शिक्षा सुधारक सोनम वांगचुक ने केंद्र सरकार से स्टेट्समैन वाला कौशल दिखाने और लोगों की मांगों को पूरा करने का आग्रह किया है।

एक्स पर पोस्ट किए गए एक वीडियो में मुस्कुराते हुए वांगचुक ने कहा कि वह पानी और नमक पर जीवित हैं और तापमान -10 डिग्री सेल्सियस तक गिरने के बावजूद 350 लोग उनके साथ उपवास में शामिल हुए।

वांगचुक ने कहा, 'हम अपने प्रधान मंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की चेतना को याद दिलाने और जागृत करने की कोशिश कर रहे हैं कि लद्दाख में हिमालय के पहाड़ों का नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र और यहां पनपने वाली अद्वितीय स्वदेशी जनजातीय संस्कृतियों को बचाएँ।' उन्होंने कहा, 'हम पीएम मोदी और अमित शाह जी को सिर्फ राजनेता के रूप में नहीं सोचना चाहते, हम उन्हें स्टेट्समैन के रूप में देखना चाहेंगे, लेकिन इसके लिए उन्हें कुछ गुण और दूरदर्शिता दिखानी होगी।'

बता दें कि केंद्र सरकार और लद्दाख के प्रतिनिधियों के बीच वार्ता विफल होने के बाद वांगचुक ने 6 मार्च को अपनी भूख हड़ताल शुरू की थी। वांगचुक लद्दाख के एक जलवायु कार्यकर्ता, मैकेनिकल इंजीनियर और शिक्षक हैं। वह हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव्स, लद्दाख (एचआईएएल) के निदेशक भी हैं। उन्हें साल 2018 में मैग्सेसे अवॉर्ड मिला था। 

लद्दाख स्थित इंजीनियर वांगचुक को अपने इनोवेटिव स्कूल, स्टूडेंट्स एजुकेशनल एंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख यानी एसईसीएमओएल की स्थापना के लिए जाना जाता है। इसका परिसर सौर ऊर्जा पर चलता है और खाना पकाने, रोशनी या हीटिंग के लिए जीवाश्म ईंधन का उपयोग नहीं करता है। यह वांगचुक का व्यक्तित्व ही था जिसने 2009 की फिल्म '3 इडियट्स' में आमिर खान के निभाए किरदार को प्रेरित किया था।

वांगचुक ने 21 दिन की भूख हड़ताल शुरू करते हुए जलवायु से जुड़ी चुनौतियां उठाई थीं। उन्होंने 6 मार्च को कहा था, 'आज हमारा ग्रह बड़ी चुनौतियों, पर्यावरणीय चुनौतियों, ग्लोबल वार्मिंग, जलवायु परिवर्तन से गुजर रहा है और यह चुनौती हिमालय से अधिक, तिब्बती पठार से अधिक कहीं और नहीं देखी जा सकती है।'

इस बीच उन्होंने लद्दाख को राज्य का दर्जा देने और इसे संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग भी उठाई है। अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद लद्दाख जम्मू और कश्मीर से अलग हो गया और इसे केंद्रशासित प्रदेश बना दिया। एक साल के भीतर ही लद्दाखियों को राजनीतिक शून्यता का अहसास हुआ।

इस साल की शुरुआत में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन और भूख हड़तालें होने लगीं, जब बौद्ध बहुल लेह और मुस्लिम बहुल कारगिल के नेताओं ने लेह की सर्वोच्च संस्था और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस के बैनर तले संविधान की छठी अनुसूची के तहत बहुसंख्यक आदिवासी आबादी को देखते हुए राज्य का दर्जा और अपने बहुसंख्यकों के अधिकारों की सुरक्षा की मांग को लेकर हाथ मिलाया। 

केंद्र ने मांगों पर विचार करने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया। कई बैठकों के बाद भी कोई समाधान नहीं निकला। 4 मार्च को लद्दाख के नेताओं ने गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की और कहा कि उन्होंने उनकी मांगों को मानने से इनकार कर दिया है। वांगचुक ने दो दिन बाद लेह में अपना अनशन शुरू किया। वांगचुक दावा करते हैं कि बीजेपी ने चुनाव से पहले उनसे वादा किया था कि लद्दाख के लोगों की मांगें पूरी की जाएँगी और उसने घोषणा पत्र में भी यह बात कही थी, लेकिन ये मांगें पूरी नहीं हुईं।