किसान आंदोलन अपडेटः SKM का SC कमेटी से मिलने से इंकार, उड़ीसा में खुदकुशी
शंभू और खनौरी बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन को लेकर 3 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित हाई पावर कमेटी की बैठक में संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के नेता शामिल नहीं होंगे। यह फैसला इसलिए लिया गया है क्योंकि दोनों बॉर्डर पर आंदोलन चला रहे किसानों के मामले में सुप्रीम कोर्ट की कोई भूमिका नहीं है। केंद्र सरकार को किसानों की मांगों पर फैसला लेना है। हालांकि, पहले दावा किया गया था कि संयुक्त किसान मोर्चा के नेता 3 जनवरी की बैठक में शामिल होंगे।
बुधवार को पत्रकारों से बात करते हुए किसान नेता हरिंदर सिंह लाखोवाल ने कहा कि जो पत्र आया है, उसमें किसानों को सड़कें खोलने के लिए मनाने जैसे मुद्दे हैं। जबकि किसानों की मांगों का कोई जिक्र नहीं है। ऐसे में हमने बैठक में नहीं जाने का फैसला किया है। जबकि ये गलत तथ्य है कि सड़कें किसानों ने बंद की हैं, सड़कें सरकार ने बंद की हैं। यहां बता दें कि दिल्ली में महिलाओं के शाहीनबाग आंदोलन के दौरान दिल्ली पुलिस ने सड़क बंद की, जबकि आरोप महिलाओं पर लगाया गया। मीडिया में यही आया था कि सड़क महिलाओं ने बंद की। उसी आधार पर सरिता विहार और आसपास के लोगों ने शाहीनबाग आंदोलन के खिलाफ प्रदर्शन किया था। यही रणनीति किसानों के मामले में अपनाई जा रही है। कहा जा रहा है कि राष्ट्रीय राजमार्ग किसानों ने बंद कर रखा है, जबकि हकीकत यह है कि हरियाणा पुलिस ने दोनों बॉर्डर पर हाईवे को बंद कर रखा है।
करीब 4 दिन पहले यह बात सामने आई कि हाई पावर कमेटी ने 3 जनवरी को पंचकुला के रेस्ट हाउस में मीटिंग बुलाई है। यह निमंत्रण आते ही संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने बैठक में शामिल होने की घोषणा कर दी। साथ ही यह भी कहा कि किसानों से जुड़े सभी तथ्य कमेटी के सामने रखे जाएंगे।
हालांकि, सूत्रों ने बताया कि सोशल मीडिया पर यह चर्चा थी कि एसकेएम आंदोलन में शामिल नहीं है। ऐसे में वह बैठक में क्यों जा रहे हैं? वहीं एसकेएम नेता भी इससे सहमत नहीं थे। ऐसे में किसान नेताओं ने पीछे हटने का फैसला किया है। क्योंकि आंदोलन एसकेएम (अराजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा चला रहा है। एसकेएम इस बार दूर है। बीजेपी नेता हरजीत सिंह ग्रेवाल ने खुद को किसान नेता बताते हुए सुप्रीम कोर्ट की कमेटी के सामने पेश होने की बात कही थी। उधर, गैर राजनीतिक दल एसकेएम ने पहले ही साफ कर दिया है कि वे बैठक में शामिल नहीं होंगे। इस तरह किसानों ने सारी पहल की मिट्टी पलीत कर दी।
इस कमेटी का गठन सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व जज नवाब सिंह के नेतृत्व में किया है। समिति की ओर से सुप्रीम कोर्ट ने दिसंबर में अंतरिम रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपी थी। जिसमें उन्होंने कहा कि आंदोलनकारी किसान बातचीत के लिए नहीं आ रहे हैं। किसानों से उनकी सुविधा के अनुसार तारीख और समय भी पूछा गया। लेकिन उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं आया। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने हाई पावर कमेटी के प्रयासों की सराहना की।