तिहाड़ जेल क्या अपराध को अंजाम देने के लिए एक अड्डा बन गया है? सुप्रीम कोर्ट ने देश की राजधानी के इस जेल और जेल प्रशासन के बारे में जो टिप्पणी की है वह बेहद गंभीर है। इसने कहा है कि इसने जेल अधिकारियों में विश्वास खो दिया है और यह भी कहा कि 'तिहाड़ जेल के अधीक्षक की पूरी तरह बेशर्मी है'।
अदालत ने यह टिप्पणी तब की जब उसे बताया गया कि जेल से किस-किस तरह के गोरखधंधे हो रहे हैं। किस तरह जेल के अंदर बंद अपराधी जेल के बाहर भी गतिविधियाँ निर्बाध रूप से संचालित करते रहते हैं। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को यूनिटेक लिमिटेड के पूर्व प्रमोटर अजय चंद्रा और संजय चंद्रा के मामले की सुनवाई कर रहा था। जस्टिस चंद्रचूड़ और एमआर शाह की बेंच ने जेल मैनुअल का उल्लंघन कर अवैध गतिविधियाँ चलाने और जाँच को पटरी से उतारने के लिए जेल अधिकारियों की जमकर आलोचना की।
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने यह टिप्पणी तब की जब यूनिटेक के पूर्व प्रमोटरों अजय व संजय चंद्रा के ख़िलाफ़ ईडी की ओर से पेश एएसजी माधवी दीवान ने कई नये खुलासे किए। लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, दीवान की ओर से अदालत को यह बताया गया कि चंद्रा बंधु जेल से कैसे काम कर रहे हैं, ईडी ने दक्षिण दिल्ली में उनका एक गुप्त भूमिगत कार्यालय ढूंढा है, गुप्त कार्यालय से सैकड़ों मूल संपत्ति बिक्री दस्तावेज, डिजिटल हस्ताक्षर और संवेदनशील जानकारी वाले कंप्यूटर जब्त किए गए हैं। अदालत को यह भी बताया गया कि कैसे दोनों ने तिहाड़ जेल परिसर के बाहर कर्मचारियों को बाहरी दुनिया के साथ संपर्क और संवाद करने व संपत्तियों के निपटारे के लिए प्रतिनियुक्त किया है। ईडी की तरफ़ से वकील ने यह भी आरोप लगाया कि एजेंसी द्वारा पूछताछ किए गए एक डमी निदेशक को दोनों ने जेल से भी प्रभावित करने की कोशिश की।
इस पर अदालत ने कहा, 'तिहाड़ जेल अधिकारियों ने उनके साथ पूरी तरह से मिलीभगत से काम किया है! जेल ग़ैरक़ानूनी गतिविधियों को अंजाम देने और सुप्रीम कोर्ट के आदेश को विफल करने के लिए क़रीब-क़रीब एक आश्रय स्थल बन गयी है! हमने तिहाड़ जेल अधिकारियों से विश्वास खो दिया है! वे राजधानी के शहर के अंदर बैठे हैं और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की पालना करा रहे हैं और ये सब उनकी नाक के नीचे हो रहा है। तिहाड़ जेल के अधीक्षक के लिए हम बस इतना कहना चाहते हैं कि बिल्कुल बेशर्मी है! हम आज अजय और संजय चंद्रा को कहीं और स्थानांतरित करने का आदेश पारित करने का प्रस्ताव कर रहे हैं।'
सुप्रीम कोर्ट ने संजय चंद्रा और अजय चंद्रा को तुरंत तिहाड़ जेल से मुंबई की ऑर्थर रॉड जेल और तलोजा सेंटर जेल में ट्रांसफर करने का निर्देश दिया। दोनों को जेल में कोई भी अतरिक्त सुविधा नहीं मिलेगी।
इस मामले में तिहाड़ जेल अधिकारियों की भूमिका की जांच के लिए दिल्ली पुलिस कमिश्नर को आदेश दिया गया है।
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने यह भी कहा कि कार्यवाही के दौरान प्रवर्तन निदेशालय ने 5 अप्रैल, 2021 और 16 अगस्त, 2021 की दो स्टेटस रिपोर्ट दायर की हैं। स्टेटस रिपोर्ट उस प्रगति को दर्शाती है जो जाँच के दौरान हुई है। 16 अगस्त की स्टेटस रिपोर्ट में कहा गया था कि जेल परिसर को ग़ैर क़ानूनी गतिविधियों के लिए इस्तेमाल किया गया, गवाहों को प्रभावित करने और जाँच को प्रभावित करने के लिए तिहाड़ परिसर का इस्तेमाल किया गया। इसमें तिहाड़ जेल के लोग भी शामिल हैं।
इसको लेकर कोर्ट ने टिप्पणी की, 'हमारा विचार है कि अब तक के रिकॉर्ड से संकेत मिलता है कि इस अदालत के आदेशों के बावजूद, तिहाड़ सेंट्रल जेल की सीमा के भीतर गतिविधियाँ हो रही हैं, जहाँ 2 आरोपी बंद हैं, जिनमें अदालत के अधिकार को कमजोर करने और जांच को पटरी से उतारने की प्रवृत्ति है।'
अदालत ने दिल्ली पुलिस के कमिश्नर से भी पूछा कि ईडी द्वारा जेल कर्मचारियों के ख़िलाफ़ कुछ आरोप लगाने के बावजूद दिल्ली पुलिस आयुक्त ने 10 दिनों तक कोई कार्रवाई क्यों नहीं की। पीठ ने पुलिस आयुक्त को व्यक्तिगत रूप से इसकी जांच करने और 4 सप्ताह के भीतर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।