बीजेपी संघ के निशाने पर है! संघ से जुड़े लोगों के एक के बाद एक बयान बीजेपी को आईना दिखा रहे हैं। पहले मोहन भागवत ने अहंकार को लेकर नसीहत दी थी। फिर संघ के मुखपत्र ऑर्गनाइज़र में बीजेपी के ख़राब प्रदर्शन के लिए बीजेपी नेताओं के अति आत्मविश्वास को वजह बताया गया। और अब आरएसएस नेता इंद्रेश कुमार ने हाल के लोकसभा चुनावों में बीजेपी के खराब प्रदर्शन के लिए अहंकार को जिम्मेदार ठहराया है।
जयपुर के पास कनोता में एक कार्यक्रम में इंद्रेश कुमार ने गुरुवार को कहा, 'जो लोग भगवान राम की भक्ति करते थे, वे धीरे-धीरे अहंकारी हो गए। उस पार्टी को सबसे बड़ी पार्टी घोषित किया गया था, लेकिन अहंकार के कारण भगवान राम ने उन्हें 241 पर रोक दिया।'
आरएसएस नेता इंद्रेश कुमार ने सत्तारूढ़ भाजपा के 'अहंकार' के साथ ही विपक्षी दल इंडिया ब्लॉक की 'राम विरोधी' के रूप में पहचान की आलोचना की। आरएसएस के राष्ट्रीय कार्यकारी सदस्य कुमार ने साफ़ तौर पर किसी भी पार्टी का नाम नहीं लिया, लेकिन संकेत दिया कि चुनाव के नतीजों में उनके रवैये की झलक मिलती है।
उन्होंने कहा कि जिस पार्टी ने भगवान राम की भक्ति की, लेकिन अहंकारी हो गई, उसे 241 पर रोक दिया गया, लेकिन उसे सबसे बड़ी पार्टी बना दिया गया। उनका इशारा नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा की ओर था। बीजेपी को लोकसभा में 240 सीटें मिली हैं। उन्होंने स्पष्ट रूप से इंडिया ब्लॉक का हवाला देते हुए कहा कि जिन लोगों को राम में कोई आस्था नहीं थी, उन्हें एक साथ 234 पर रोक दिया गया।'
उन्होंने कहा, 'लोकतंत्र में रामराज्य का विधान देखिए, जिन्होंने राम की भक्ति की, लेकिन धीरे-धीरे अहंकारी हो गए, वह पार्टी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी, लेकिन जो वोट और सत्ता मिलनी चाहिए थी, वह उनके अहंकार के कारण भगवान ने रोक दी।' उन्होंने कहा, 'जो लोग राम का विरोध करते थे, उनमें से किसी को भी सत्ता नहीं दी गई। यहां तक कि सभी को मिलाकर नंबर दो बना दिया गया। भगवान का न्याय सच्चा और आनंददायक है।'
इंद्रेश कुमार ने कहा कि भगवान राम न तो भेदभाव करते हैं और न ही दंड देते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि भगवान राम ने लोगों की रक्षा की और यहां तक कि रावण का भी भला किया।
उन्होंने कहा, 'राम किसी को दुखी नहीं करते। राम सभी को न्याय प्रदान करते हैं। वे हमेशा न्याय करते रहे हैं और आगे भी करते रहेंगे।'
सच्चे सेवक में अहंकार नहीं होता: भागवत
इंद्रेश कुमार की यह टिप्पणी आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के हाल के बयान के बाद आई है जिसमें उन्होंने कहा था कि एक सच्चा 'सेवक' विनम्र होता है और लोगों की 'गरिमा' के साथ सेवा करता है। भागवत ने कहा कि एक सच्चे सेवक में अहंकार नहीं होता और वह दूसरों को कोई नुकसान पहुंचाए बिना काम करता है।
चुनाव अभियान को लेकर भागवत ने कहा कि चुनाव के दौरान मर्यादा नहीं रखी गई। भागवत ने कहा, 'चुनाव लोकतंत्र की एक आवश्यक प्रक्रिया है। इसमें दो पक्ष होने के कारण प्रतिस्पर्धा होती है। चूंकि यह प्रतिस्पर्धा है, इसलिए खुद को आगे बढ़ाने का प्रयास किया जाता है। ...झूठ का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए। संसद में जाने और देश चलाने के लिए लोगों को चुना जा रहा है। वे सहमति बनाकर ऐसा करेंगे, यह प्रतिस्पर्धा कोई युद्ध नहीं है।'
भागवत ने आगे कहा, 'एक-दूसरे की जिस तरह की आलोचना की गई, जिस तरह से अभियान चलाने से समाज में मतभेद पैदा होगा और विभाजन होगा - इस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। आरएसएस जैसे संगठनों को भी इसमें बेवजह घसीटा गया। तकनीक की मदद से झूठ को पेश किया गया। झूठ को प्रचारित करने के लिए आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया गया। ऐसा देश कैसे चलेगा? इसे विपक्ष कहते हैं। इसे विरोधी नहीं माना जाना चाहिए। वे विपक्ष हैं, एक पक्ष को उजागर कर रहे हैं। उनकी राय भी सामने आनी चाहिए। चुनाव लड़ने की एक गरिमा होती है। उस गरिमा को बनाए नहीं रखा गया।'
संघ से जुड़ी एक पत्रिका ऑर्गनाइजर ने एक लेख छापा है जिसमें कहा गया है कि भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं ने लोकसभा चुनाव में मदद के लिए आरएसएस से संपर्क नहीं किया और इस वजह से पार्टी का प्रदर्शन निराशाजनक रहा।
संघ से जुड़ी एक पत्रिका ऑर्गनाइजर ने एक लेख छापा है जिसमें कहा गया है कि भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं ने लोकसभा चुनाव में मदद के लिए आरएसएस से संपर्क नहीं किया और इस वजह से पार्टी का प्रदर्शन निराशाजनक रहा। पत्रिका में छपे लेख में संपर्क नहीं करने की जो बात कही गई है उसकी पुष्टि एक इंटरव्यू में बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी लोकसभा चुनाव के दौरान ही की थी।
बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा था कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के समय और मौजूदा समय में काफी कुछ बदल चुका है। उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस से इंटरव्यू में कहा था कि 'पहले हम इतनी बड़ी पार्टी नहीं थे और अक्षम थे, हमें आरएसएस की जरूरत पड़ती थी, लेकिन आज हम काफी आगे बढ़ चुके हैं और अकेले दम पर आगे बढ़ने में सक्षम हैं।'