क़ानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने रफ़ाल खरीद सौदे पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद सरकार का पक्ष रखते हुए कांग्रेस पर ज़बरदस्त हमला किया है। उन्होंने राहुल गाँधी का नाम लेकर उन्हें निशाने पर लेते हुए उनसे सवाल पूछे।
प्रसाद ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फ़ैसले में यह माना है कि देश की सुरक्षा के लिए यह ज़रूरी है कि सेना को अच्छे हथियार मिले, अत्याधुनिक तकनीक मिले। प्रसाद के अनुसार, अदालत ने यह भी कहा है कि इस सौदे की जाँच की कोई ज़रूरत नहीं है, इस मामले में कोई दम नहीं है।
उन्होंने राहुल पर हमला करते हुए कहा कि इस कांग्रेस नेता ने जानबूझ कर सुप्रीम कोर्ट को ग़लत ढंग से उद्धृत किया, इससे अधिक शर्म की बात नहीं हो सकती। सुप्रीम कोर्ट को ग़लत ढंग से पेश करने की वजह से राहुल के ख़िलाफ़ अदालत की अवमानना का मामला चला था।
प्रसाद के मुताबिक़, फ़ैसले में कहा गया कि राहुल ने प्रधानमंत्री के ख़िलाफ़ जानबूझ कर गलत बातें कही थीं। कोर्ट ने यह भी कहा कि राहुल ने माफ़ी माँग ली है, इसलिए उन्हें छोड़ा जा रहा है, वे भविष्य में सजग रहें।
प्रसाद ने ज़ोर देकर कहा कि राहुल को अपने कहे पर देश से माफ़ी माँगनी चाहिए। उन्होंने इसकी वजह भी बताईं। प्रसाद ने कहा कि राहुल ने कहा था कि फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रास्वां ओलांद ने कहा है कि रफ़ाल का ऑफ़सेट पार्टनर सरकार के कहने पर रिलायंस को बनाया गया था, पर ओलांद ने इससे इनकार कर दिया।
राहुल ने कहा था कि सुरक्षा पर बनी समिति को रफ़ाल सौदे पर जानकारी नहीं दी गई, पर फ़ैसले में कहा गया है कि उस समिति को जानकारी थी।
प्रसाद ने चोट करते हुए कहा कि राहुल को रफ़ाल की कीमत की कोई जानकारी नहीं थी, वे जानबूझ कर भ्रम फैलाते रहे, अलग-अलग जगह पर रफ़ाल की अलग-अलग कीमत बताते रहे।
क़ानून मंत्री का कहना है कि राहुल गाँधी ने सिर्फ़ अदालत की सज़ा से बचने के लिए कोर्ट से माफ़ी माँग ली थी। क्या वे जनता से माफ़ी मांगेगे, प्रसाद ने पूछा। रविशंकर प्रसाद ने कहा:
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रफ़ाल के मुद्दे पर आक्रामक, ज़ोरदार और तीखा हमला जानबूझ कर किया गया और इसके पीछे वजहें हैं, कुछ विदेशी ताक़तें थीं जो राहुल के पीछे खड़ी थीं और कांग्रेस पार्टी उन ताक़तों के हितों की रक्षा कर रही थी। कांग्रेस का इतिहास ही रहा है कि वह रक्षा सौदे पर भी सौदे करती है।
रविशंकर प्रसाद, क़ानून मंत्री
बता दें कि रफ़ाल सौदा मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पुनर्विचार याचिका ख़ारिज कर दी है। इसके साथ ही अदालत ने इस सौदे की जाँच सीबीआई से कराने के आग्रह को भी ठुकरा दिया है। यानी, सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले में एक बार फिर नरेंद्र मोदी सरकार को क्लीन चिट दे दी है। अदालत ने पुनर्विचार याचिकाओं को यह कह कर खारिज किया है कि उनमें कोई 'मेरिट' नहीं है, यानी मामले में दम नहीं है। ।
इन याचिकाओं पर सुनवाई 10 मई को पूरी कर ली गई थी। पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा, पूर्व दूरसंचार मंत्री अरुण शौरी और मशहूर वकील प्रशांत भूषण ने याचिका दायर कर कहा था कि इस फ़ैसले पर फिर से विचार किया जाए, जिसमें सर्वोच्च अदालत ने कहा था कि 36 लड़ाकू विमान खरीदने के मामले में सरकार के फ़ैसले की प्रक्रिया पर संदेह की कोई गुंजाइश नहीं है।
इसके अलावा वकील विनीत धंधा और आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने भी इसी तरह की अलग-अलग याचिकाएँ दायर की थीं।