पैरोल पर बाहर आए राम रहीम ने जारी किया दीवाली म्यूजिक वीडियो

09:34 am Oct 26, 2022 | सत्य ब्यूरो

हत्या और बलात्कार के मामलों में सजा काट रहे डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह को पैरोल क्या मिली उसने इस मौके पर नया म्यूजिक वीडियो ही जारी कर दिया। इस वीडियो में गुरमीत राम रहीम सिंह के आध्यात्मिक गुरु बनने के शुरुआती दिनों को दिखाया गया है। साथ ही उसे दिवाली मनाते हुए भी दिखाया गया है। कुछ दिन पहले गुरमीत राम रहीम सिंह का एक वीडियो और आया था जिसमें उसने कहा था कि वही गुरु है और वही रहेगा।  

गुरमीत राम रहीम सिंह को कुछ दिन पहले 40 दिन की पैरोल दी गई थी। राम रहीम सिंह को पैरोल मिलने को लेकर इसलिए सवाल उठे थे क्योंकि हरियाणा में आदमपुर सीट पर उपचुनाव होने वाला है और साथ ही राज्य में जिला परिषद और पंचायत समितियों के चुनाव भी होने वाले हैं।

हरियाणा के 10 जिलों में जिला परिषद और पंचायत समिति के सदस्यों के चुनाव 30 अक्टूबर को होंगे। सरपंच के चुनाव के लिए मतदान 2 नवंबर और 9 नवंबर को होगा जबकि आदमपुर सीट पर उपचुनाव 3 नवंबर को होगा। राम रहीम सिंह इन दिनों बागपत में स्थित डेरे से ऑनलाइन सत्संग कर रहा है। 

साडी नित दीवाली

पंजाबी भाषा में बनाए गए इस वीडियो का शीर्षक है साडी नित दीवाली। यानी डेरे के अनुयायियों की हर दिन दीवाली है। वीडियो में कहा जा रहा है कि साईं का हाथ हमारे साथ है। इस वीडियो को डेरे के समर्थक सोशल मीडिया पर वायरल कर रहे हैं। वीडियो में गुरमीत राम रहीम सिंह के 2 गुरुओं शाह सतनाम और शाह मस्ताना को भी दिखाया गया है। 

दीवाली की रात को जारी किए गए इस वीडियो के बाद गुरमीत राम रहीम सिंह ने अपने अनुयायियों से कहा है कि उसने 800 भजन लिखे हैं और यह जल्द ही रिलीज होने वाले हैं। गुरमीत राम रहीम सिंह ने किताब भी जारी की है जिसका शीर्षक है अंदाजा लगाइए मेरा नाम क्या है, इस किताब को इसलिए जारी किया गया है कि डेरे के अनुयायियों को अपने बच्चों के नाम रखने में मदद मिल सके। 

गुरमीत राम रहीम सिंह के इस वीडियो के सामने आने के बाद टीएमसी की सांसद महुआ मोइत्रा ने ट्वीट किया है। महुआ मोइत्रा ने कहा है कि पैरोल देने के फैसले को पिक एंड चॉइस के आधार पर पक्षपाती राज्य सरकार के अफसरों पर नहीं छोड़ा जा सकता है। 

बीजेपी नेता ले रहे ‘आशीर्वाद’ 

गुरमीत राम रहीम सिंह के ऑनलाइन सत्संग के दौरान बीजेपी के कई नेता डेरा प्रमुख से ‘आशीर्वाद’ लेते दिखाई दिए थे। डेरा प्रमुख से ‘आशीर्वाद’ लेने वाले बीजेपी के नेताओं में करनाल की मेयर रेणु बाला गुप्ता, उप महापौर नवीन कुमार, वरिष्ठ उप महापौर राजेश अग्गी सहित चुनाव लड़ने वाले कुछ उम्मीदवार भी शामिल थे। 

पैरोल पर सवाल 

इससे पहले गुरमीत राम रहीम सिंह को इस साल जून में 1 महीने की पैरोल दी गई थी। इस साल फरवरी में भी गुरमीत राम रहीम सिंह 21 दिन के लिए जेल से बाहर आया था और तब भी उसके जेल से बाहर आने पर सवाल उठाए गए थे क्योंकि उस दौरान पंजाब और उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान होने वाला था। 

हरियाणा के साथ ही पंजाब में भी गुरमीत राम रहीम सिंह के अनुयायी हैं। पंजाब के मालवा क्षेत्र में बड़ी संख्या में उसके अनुयायी हैं। उत्तर प्रदेश में भी डेरे के अनुयायी हैं।

सुनारिया जेल में है राम रहीम 

गुरमीत राम रहीम सिंह वर्तमान में पूर्व पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की हत्या और डेरों की दो साध्वियों से बलात्कार के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहा है। वह रोहतक की सुनारिया जेल में बंद है। इसके अलावा डेरे के एक मैनेजर रंजीत सिंह की हत्या के मामले में भी उसे दोषी ठहराया जा चुका है और उम्र कैद की सजा सुनाई गई थी।

डेरा समर्थकों ने मचाया था तांडव

साध्वियों से दुष्कर्म के मामले में सजा सुनाए जाने के बाद साल 2017 में उसके समर्थकों ने जबरदस्त तांडव किया था। उस दौरान पंचकूला समेत कई जगहों पर दंगे, आगजनी और तोड़फोड़ हुई थी और राम रहीम के समर्थकों ने बड़े पैमाने पर हिंसा को अंजाम दिया था।

रामचंद्र ने किया था ख़ुलासा

पत्रकार रामचंद्र छत्रपति के ज़रिए ही साध्वी यौन शोषण का मामला सामने आया था। इस मामले में छत्रपति ने डेरा से जुड़ी कई ख़बरें अपने अख़बार में प्रकाशित की थीं। मामले में छत्रपति पर पहले काफ़ी दबाव बनाया गया। लेकिन जब वह धमकियों के आगे नहीं झुके तो 24 अक्टूबर 2002 को उन पर हमला कर दिया गया था। 21 नवंबर 2002 को उनकी मौत हो गई थी। सीबीआई ने 2007 में इस मामले में चार्जशीट दाख़िल की थी।

एसजीपीसी ने जताया था एतराज

गुरमीत राम रहीम सिंह को पैरोल दिए जाने के फैसले पर शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) ने एतराज जताया था। एसजीपीसी के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी ने शुक्रवार को कहा कि हरियाणा की सरकार सिखों के साथ दोहरे मापदंड अपना रही है। एक ओर वह जघन्य अपराधों में सजा काट रहे गुरमीत राम रहीम सिंह के लिए विशेष कृपा दिखा रही है तो दूसरी ओर तीन दशक से जेलों में बंद सिखों को सजा पूरी होने के बाद भी रिहा नहीं किया जा रहा है। एसजीपीसी के अध्यक्ष ने कहा है कि बड़ी संख्या में ऐसे सिख कैदी हैं जिन्हें पैरोल नहीं दी गई है।