दिल्ली पुलिस के आर्थिक अपराध शाखा ने रैनबैक्सी और रेलिगेयर अंटरप्राइजेज के पूर्व प्रमोटर शिविंदर सिंह को कथित धोखाधड़ी के मामले में गिरफ़्तार किया है। यह 740 करोड़ रुपये के हेरफेर का मामला है। शिविंदर के बड़े भाई मालविंदर के ख़िलाफ़ लुकआउट नोटिस जारी किया गया है। दिसंबर में रेलिगेयर फिनवेस्ट के एक सीनियर मैनेजर की शिकायत पर दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने एफ़आईआर दर्ज की थी। इस शिकायत में आरोप लगाया गया है कि सिंह ब्रदर्स ने सह-आरोपियों से साँठगाँठ कर 2016 में वित्तीय घोटाला किया।
यह गिरफ़्तारी इन्फ़ोर्समेंट डायरेक्टरेट यानी ईडी द्वारा अगस्त में उनके आवास पर छापा मारे जाने के बाद हुई है। यह छापा मॉरिशस लीक्स के मामले से जुड़ा था जिसमें करोड़ों रुपये के हेरफेर का आरोप लगाया गया था। ईडी ने भी उनके ख़िलाफ़ मनी लाउंड्रिंग का केस दर्ज किया है।
शिविंदर और मालविंदर अपने पिता द्वारा स्थापित रैनबेक्सी के वारिस थे। उन्होंने 2008 में इसे एक जापानी कंपनी डायची संक्यो को बेच दिया था और अपने फ़ोर्टिस हेल्थकेयर और रेलिगेयर अंटरप्राइजेज पर ध्यान केंद्रित करना तय किया।
हालाँकि रैनबेक्सी के ख़िलाफ़ केस चलने की जानकारी छुपाने के लिए डायची ने कोर्ट में सिंह बंधुओं के ख़िलाफ़ केस किया। आख़िर में उन्हें इसका हर्ज़ाना देना पड़ा।
बाद में दोनों भाइयों के बीच तब विवाद होने लगा जब उनका फ़ोर्टिस और रेलिगेयर पर कब्जा नहीं रहा। सेक्योरिटीज़ एंड एक्सचेंज बोर्ड ने सिंह बंधुओं को 403 करोड़ रुपये फ़ोर्टिस को देने को कहा। जाँच के दौरान पता चला कि उन्होंने फ़ोर्टिस से ग़लत तरीक़े से भी फ़ंड ट्रांसफ़र किए थे।
पहले ऐसे आरोप लगे थे कि फ़ंड को कथित तौर पर भारत में रजिस्टर्ड रेलिगेयर अंटरप्राइजेज लिमिटेड से मालविंदर सिंह और शिविंदर सिंह की विदेश में स्थित अपनी कंपनी में ट्रांसफ़र किए गए थे। बता दें कि 2007-08 में ज़बरदस्त मुनाफ़ा कमाने वाली कंपनी रेलिगेयर 2017-18 आते-आते ज़बरदस्त नुक़सान में पहुँच गई।