सुप्रीम कोर्ट के द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के दोषियों को रिहा किए जाने के मामले में कांग्रेस ने कहा है कि वह इस मामले में कानूनी उपाय तलाशेगी। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की 21 मई 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में एक चुनावी रैली में लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम यानी LTTE की एक महिला आत्मघाती हमलावर द्वारा हत्या कर दी गई थी। इस मामले में सात लोगों को दोषी ठहराया गया था।
कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने प्रेस कॉन्फ्रेन्स में कहा कि इस मामले में कांग्रेस सोनिया गांधी के विचारों से सहमत नहीं है और कांग्रेस का विचार स्पष्ट है और वह बीते कई सालों से इस विचार को स्पष्ट करती आई है।
प्रियंका, सोनिया ने क्या कहा था?
बता दें कि कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने 19 मार्च 2008 को अपने पिता की हत्या के मामले में दोषी नलिनी से वेल्लोर जेल में मुलाकात की थी। साल 2009 में प्रियंका गांधी ने एक टीवी इंटरव्यू में कहा था कि अपने पिता की हत्या के शुरुआती सालों में वह बेहद गुस्से में थीं।
वरिष्ठ पत्रकार राशिद किदवई इंडिया टुडे के लिए लिखते हैं कि 1992-94 के दौरान प्रियंका गांधी अक्सर दिल्ली के विज्ञान भवन में दिखाई देती थीं और तब वह राजीव गांधी की हत्या के मामले की जांच के लिए गठित जेएस वर्मा आयोग की बातों को ध्यान से सुनती थीं। इस मामले में प्रियंका गांधी ने एमसी जैन आयोग की कुछ बैठकों में भी भाग लिया था। एमसी जैन आयोग भी राजीव गांधी की हत्या के मामले में हुई साजिश की जांच के लिए बनाया गया था।
राशिद किदवई के मुताबिक, प्रियंका गांधी हमेशा LTTE की भूमिका के बारे में जानना चाहती थीं, विशेष रूप से उस बैठक के बारे में जो मार्च 1991 में राजीव गांधी और LTTE के एक शीर्ष नेता के बीच हुई थी। LTTE के प्रमुख प्रभाकरण ने LTTE के एक नेता कासी आनंदन से कहा था कि वह राजीव गांधी से मुलाकात करें और अगले चुनाव में उनकी जीत के लिए उन्हें शुभकामनाएं दें। यह मुलाकात 5 मार्च 1991 को हुई थी।
राशिद किदवई के मुताबिक, नवंबर 1999 में जब तत्कालीन राष्ट्रपति केआर नारायणन विदेश की यात्रा से भारत लौटे तो सोनिया गांधी ने उनसे मुलाकात की। इस दौरान सोनिया गांधी ने केआर नारायणन को बताया था कि कि वह और उनके बच्चे राजीव गांधी की हत्या के मामले में मौत की सजा पाने वाली महिला के लिए दया की गुहार लगाना चाहते हैं। इसके पीछे आधार यह दिया गया था कि कोई और बच्चा अनाथ नहीं होना चाहिए। राजीव गांधी की हत्या के मामले में मौत की सजा पाने वाली नलिनी की एक बेटी थी।
फांसी देने की थी तैयारी
सोनिया, प्रियंका और राहुल की याचिका ऐसे समय पर सामने आई थी जब नलिनी के परिवार ने उसके बचने की उम्मीद पूरी तरह छोड़ दी थी और नलिनी की फांसी को लेकर वेल्लोर के जेल में जल्लाद ने तैयारियां भी शुरू कर दी थी। राशिद किदवई के मुताबिक, प्रियंका ने नलिनी की फांसी के बारे में एक रिपोर्ट पढ़ी थी और उसके बाद नवंबर, 1999 में उन्होंने इस मामले को फिर से सोनिया गांधी के सामने रखा था। प्रियंका गांधी का कहना था कि नलिनी की फांसी से उन्हें कोई सुकून नहीं मिलेगा।
गांधी परिवार ने प्रियंका की नलिनी के साथ 2008 में हुई मुलाकात की ही तरह 1999 में भी दया याचिका को गुप्त रखने का फैसला किया था लेकिन जब सोनिया गांधी ने राष्ट्रीय महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष मोहिनी गिरी को पूर्व राष्ट्रपति नारायणन के साथ हुई मुलाकात के बारे में बताया तो यह बात चर्चा में आ गई।
मोहिनी गिरी ने एक गैर सरकारी संगठन गिल्ड ऑफ सर्विस द्वारा दायर की गई दया याचिका पर सोनिया गांधी के क्या विचार हैं, इस बारे में पता लगाने के लिए उन्हें बुलाया था। गिल्ड ऑफ सर्विस ने राजीव गांधी की हत्या के लिए न केवल नलिनी बल्कि अन्य दोषियों को भी राहत देने की मांग की थी। केआर नारायणन गिल्ड ऑफ सर्विस के मुख्य संरक्षक थे।