कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने गुरुवार को एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर जोरदार हमला बोला है। राहुल ने ट्वीट कर कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी इमेज बनाने के लिए ही 100 फ़ीसदी फ़ोकस्ड हैं और भारत में कब्जा किए गए संस्थान भी इसी काम को करने में जुटे हैं। राहुल ने कहा है कि किसी एक आदमी की छवि राष्ट्रीय दृष्टिकोण का विकल्प नहीं हो सकती है।
राहुल ने पिछली बार की ही तरह एक वीडियो भी जारी किया है। इसमें वह कहते हैं कि चीनियों से आपको मानसिक मजबूती के साथ निपटना पड़ेगा क्योंकि अगर उन्होंने आपकी कमजोरी पकड़ ली तो आपको परेशानी होगी।
राहुल ने कहा है कि भारत को वैश्विक दृष्टिकोण अपनाना होगा और अपनी सोच बदलनी होगी। वायनाड से सांसद राहुल ने कहा, ‘एक बड़ा अवसर गंवाया जा रहा है, हमें बड़े स्तर पर सोचने की ज़रूरत है। भारत के लोग आपस में लड़ रहे हैं और इसका कारण यही है कि हमारे पास आगे बढ़ने के लिए कोई स्पष्ट दृष्टिकोण नहीं है।’ मंगलवार को राहुल गांधी ने ‘कोरोना काल में सरकार की उपलब्धियां’ ट्वीट कर तंज कसा था। इसमें उन्होंने फरवरी से लेकर जुलाई तक की कुछ घटनाओं का जिक्र किया था।
राहुल ने प्वाइंट बनाकर लिखा था, ‘फरवरी में नमस्ते ट्रंप किया गया, मार्च में मध्य प्रदेश में सरकार गिराई, अप्रैल में मोमबत्ती जलवाई गईं, मई में सरकार की छठी सालगिरह मनाई गई, जून में बिहार में वर्चुअल रैली की गईं और जुलाई में राजस्थान सरकार गिराने की कोशिश की गई।’ राहुल ने कटाक्ष करते हुए आगे लिखा है कि इसीलिए देश कोरोना की लड़ाई में 'आत्मनिर्भर' है।
सूचना व प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने राहुल को उन्हीं के अंदाज़ में जवाब दिया था और ट्वीट कर कहा था कि राहुल पिछले छह महीनों में अपनी उपलब्धियों को नोट करें। उन्होंने लिखा था, ‘फरवरी में शाहीन बाग़ और दंगे, मार्च में ज़्योतिरादित्य सिंधिया और मध्य प्रदेश को खोना, अप्रैल में प्रवासी मज़दूरों को भड़काना, मई में कांग्रेस की एतिहासिक हार की छठी वर्षगांठ, जून में चीन का बचाव करना और जुलाई में राजस्थान में कांग्रेस के गिरने की आहट।’
जावड़ेकर ने लिखा था कि भारत में अमेरिका, यूरोप और ब्राज़ील के मुक़ाबले औसत मामले, एक्टिव मामले और मृत्यु दर कम है। उन्होंने आगे लिखा है कि राहुल जी आपने मोमबत्ती जलाने का मजाक उड़ाकर भारत के लोगों और कोरोना वॉरियर्स का अपमान किया है।
गलवान में चीनी घुसपैठ और जवानों की शहादत को लेकर भी कांग्रेस का रूख़ बेहद आक्रामक रहा। कांग्रेस कह चुकी है कि 15 जून की रात के बाद से ही सीमाओं की ज़मीनी हक़ीक़त को लेकर देश के लोगों को अंधेरे में रखा जा रहा है। इसे लेकर समय-समय पर बीजेपी की ओर से भी जवाब आते रहे।