संविधान दिवस पर राहुल गांधी ने पीएम मोदी पर तंज कसा है और कहा है कि उन्होंने संविधान नहीं पढ़ा है। राहुल ने मंगलवार को कहा कि 'मैं आपको गारंटी देता हूं कि पीएम मोदी ने संविधान नहीं पढ़ा है।'
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने 75वें संविधान दिवस पर कहा कि संविधान सिर्फ एक किताब नहीं है बल्कि हजारों सालों से भारत की सोच है। यह सत्य और अहिंसा के बारे में है। दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में संविधान रक्षक अभियान को संबोधित करते हुए राहुल ने कहा, 'नरेंद्र मोदी जी और भाजपा सरकार ने संविधान दिवस के अवसर पर संसद में एक समारोह आयोजित किया। यह भारत का संविधान है और मैं आपको गारंटी देता हूं कि नरेंद्र मोदी जी ने इसे नहीं पढ़ा है। अगर उन्होंने यह किताब पढ़ी होती तो वह वो काम नहीं कर रहे होते जो वह हर दिन कर रहे हैं।'
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने कहा, 'क्या संविधान में लिखा है कि सावरकर जी की आवाज है? क्या कहीं लिखा है कि हिंसा का इस्तेमाल किया जाना चाहिए, लोगों को मारा जाना चाहिए या झूठ का इस्तेमाल करके सरकार चलानी चाहिए? यह सत्य और अहिंसा की किताब है।'
भारत के संविधान को अपनाने के 75 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में मंगलवार को देश भर में 'हमारा संविधान, हमारा स्वाभिमान' अभियान के तहत साल भर चलने वाले ऐतिहासिक समारोह की शुरुआत हुई। 26 नवंबर को भारत में संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है क्योंकि इसी दिन 1949 में भारत की संविधान सभा ने संविधान को अपनाया था। यह 26 जनवरी, 1950 को लागू हुआ और भारतीय इतिहास में एक नए युग की शुरुआत हुई।
पीआईबी की एक विज्ञप्ति के अनुसार, सरकार के अभियान 'हमारा संविधान, हमारा स्वाभिमान' का उद्देश्य संविधान निर्माताओं के योगदान का सम्मान करना है और साथ ही इसमें निहित मूल मूल्यों पर जोर देना है। इस अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित किया। यह भारत के संविधान को अपनाने के 75 साल पूरे होने के साल भर चलने वाले समारोह की शुरुआत है।
हाल के दिनों में संविधान और 'संविधान बचाओ' का मुद्दा कांग्रेस और भाजपा के बीच राजनीतिक विवाद का केंद्र बिंदु रहा है।
इससे पहले दिन में राहुल गांधी संसद में संविधान दिवस समारोह में शामिल हुए जहां राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने लोकसभा और राज्यसभा की संयुक्त बैठक को संबोधित किया। कांग्रेस नेता ने एक पोस्ट में कहा, 'हमारे संविधान की मूल भावना यह है कि न्याय और अधिकार सभी के लिए एक समान होने चाहिए। सभी को स्वाभिमान के साथ जीने का अवसर मिलना चाहिए। संविधान समाज के सबसे ग़रीब और कमज़ोर वर्गों की रक्षा के लिए एक शक्तिशाली औजार है। यह जितना मजबूत होगा, हमारा देश उतना ही ताकतवर होगा।'
रणनीति के रूप में अशांति लोकतंत्र के लिए खतरा: धनखड़
उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि रणनीति के रूप में अशांति लोकतांत्रिक संस्थाओं के लिए खतरा है, खासकर तब जब हालिया संसदीय विमर्श में शिष्टाचार और अनुशासन को ताक पर रखा गया है।
धनखड़ ने संसद के संयुक्त अधिवेशन को संबोधित करते हुए कहा, 'मौजूदा समय में संसदीय विमर्श में शिष्टाचार और अनुशासन की कमी के कारण इस दिन हमें अपनी संविधान सभा की शानदार कार्यप्रणाली पर जोर देते हुए इसे हल करने की आवश्यकता है। रणनीति के रूप में अशांति लोकतांत्रिक संस्थाओं के लिए ख़तरा है।'
उपराष्ट्रपति ने यह भी कहा कि रचनात्मक संवाद, बहस और सार्थक चर्चाओं के माध्यम से हमारे लोकतांत्रिक मंदिरों की पवित्रता को बहाल करने का समय आ गया है ताकि हमारे लोगों की प्रभावी रूप से सेवा की जा सके।
संविधान दिवस समारोह कार्यक्रम में भारत के संविधान को अपनाने की 75वीं वर्षगांठ को समर्पित एक स्मारक सिक्का और डाक टिकट जारी किया गया। इसके साथ ही 'भारत के संविधान का निर्माण: एक झलक' और 'भारत के संविधान का निर्माण और इसकी शानदार यात्रा' नामक पुस्तकें भी जारी की गईं। संसद को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा, 'सरकार ने समाज के सभी वर्गों, विशेषकर कमजोर वर्गों को अवसर दिए हैं, ग़रीबों को पक्के घर मिल रहे हैं, बिजली की सुविधा दी जा रही है, देश में बड़े पैमाने पर विश्व स्तरीय बुनियादी ढांचे का निर्माण किया जा रहा है।'