कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भारत की मौजूदा स्थिति और तमाम संस्थाओं के पतन पर अमेरिकी चुप्पी पर सवाल उठाया है। उन्होंने पूर्व राजनय और हार्वर्ड विश्वविद्यालय के केनेडी स्कूल के निकोलस बर्न्स के साथ वर्जु्अल बातचीत में पूछा कि भारत में जो कुछ हो रहा है, उस पर अमेरिकी व्यवस्था चुप क्यों है।
लगभग एक घंटे तक चली बातचीत में राहुल गांधी ने आर्थिक स्थिति, विदेश नीति, घरेलू राजनीति व दूसरे कई मुद्दों पर बेबाक बातचीत की। उस बातचीत में उन्होंने कहा कि बीजेपी ने तमाम संस्थाओं पर नियंत्रण कर लिया है।
राहुल ने इस पर ज़ोर दिया कि चुनाव लड़ने के लिए संस्थागत ढाँचे की ज़रूरत होती है, ये संस्थाएँ एक निष्पक्ष लोकतंत्र के लिए ज़रूरी होती हैं। इन संस्थाओं पर बीजेपी ने कब्जा कर लिया है, जिसकी वजह से विपक्षी पार्टियाँ चुनाव नहीं जीत पा रही हैं।
'न्यायसंगत राजनीतिक प्रतिस्पर्द्धा नहीं'
उन्होंने कहा कि ये संस्थाएं, जिनका उद्देश्य न्यायसंगत राजनीतिक लड़ाई को बढ़ावा देना है, अब ऐसा नहीं करती हैं।
उन्होंने कहा कि किसी भी लोकतंत्र में एक ऐसी न्याय व्यवस्था की ज़रूरत होती है जो सबकी रक्षा करे। इसके अलावा एक ऐसी मीडिया की ज़रूरत होती है जो स्वतंत्र हो। लेकिन इन सब पर सत्तारूढ़ दल ने नियंत्रण कर लिया है।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने कहा,
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भारत में जो कुछ हो रहा है, उस पर अमेरिका की टिप्पणी क्यों नहीं आई है? अगर भारत और अमेरिका के बीच लोकतांत्रिक साझेदारी है तो फिर अमेरिका भारत में घटित हो रही इन घटनाओं पर क्यों नहीं बोलता?
राहुल गांधी, नेता, कांग्रेस
राहुल गांधी ने इसे स्पष्ट करते हुए आगे कहा, "मेरा मतलब है कि भारत में को जो कुछ हो रहा है, उस पर आपके क्या विचार हैं। मैं मूल रूप से मानता हूं कि अमेरिका एक गहन विचार है। स्वतंत्रता का विचार जिस तरह से आपके संविधान में निहित है वह एक बहुत शक्तिशाली विचार है लेकिन आपको उस विचार का बचाव करना चाहिए। यही असली सवाल है।"