केंद्र सरकार ने कोरोना टीका नीति में बड़ा बदलाव करते हुए गर्भवती महिलाओं को भी टीका देने का एलान किया है। इसके तहत अब गर्भवती महिलाएं कोविन वेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन करा सकती हैं या सीधे टीका केंद्रों पर जाकर टीका लगवा सकती हैं।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि गर्भवती महिलाओं का 'टीकाकरण किया जा सकता है' और उनका 'टीकाकरण किया जाना चाहिए।' गर्भवती महिलाओं और उनके बच्चों की सेहत के लिए यह ज़रूरी है।
कुछ दिन पहले तक दूध पिलाती माताओं को तो टीकाकरण किया जा रहा था, पर गर्भवती महिलाओं को टीका नहीं दिया जा रहा था। इसकी वजह यह है कि गर्भवती महिलाओं पर टीके के असर का कोई परीक्षण नहीं हुआ था और टीके के प्रभाव का कोई आँकड़ा नहीं था।
क्या कहना है आईसीएमआर का?
इंडियन कौंसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के महानिदेशक डॉक्टर बलराम भार्गव ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा, स्वास्थ्य मंत्रालय ने दिशा -निर्देश दिए हैं और अब गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण किया जा सकता है। उनके लिए भी टीका उपयोगी है।
गर्भवती महिलाओं पर अध्ययन
इसके पहले एक अध्ययन में पाया गया था कि कोरोना संक्रमण से गर्भवती महलाओं के स्वास्थ्य पर बुरा असर हो रहा था और उनमें कई गम्भीर बीमारियों का खतरा बढ़ रहा था। भ्रूण पर भी असर पड़ने की आशंका थी।
अध्ययन में यह भी पाया गया था कि दूसरी महिलाओं की तुलना में गर्भवती महिलाओं में गम्भीर संक्रमण का खतरा अधिक है। कोरोना संक्रमित गर्भवती महिलाओं में प्रीम्च्योर बर्थ का ख़तरा भी देखा गया।
स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक गर्भवती महिलाएं गर्भावस्था के दौरान किसी समय कोरोना टीका ले सकती हैं।
महिलाओं का टीकाकरण कम
ब्रिटिश समाचार एजेंसी 'रॉयटर्स' के अनुसार, भारत में जितने पुरुषों को कोरोना टीका दिया गया है, उससे 17 प्रतिशत कम महिलाओं को यह यह टीका मिला है।
उसका कहना है कि भारत में अब तक 10 करोड़ से ज़्यादा लोगों का आंशिक या पूर्ण टीकाकरण हो चुका है। आंशिक टीकाकरण का मतलब टीके की एक खुराक़ और पूर्ण टीकाकरण का मतलब टीके की दो खुराक़ें मिलना।
दिल्ली और उत्त प्रदेश जैसी जगहों पर यह असमानता अधिक गहरी देखी गई है। केरल और छत्तीसगढ़ ही वे राज्य है, जहाँ टीकाकरण के मामले में महिलाएँ थोड़ा आगे हैं।
कोरोना टीकाकरण से जुड़ी सरकारी वेबसाइट 'कोविन' से लिए गए आँकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि सबसे ज़्यादा 52 प्रतिशत महिलाओं को केरल, 51 प्रतिशत महिलाओं को छत्तीसगढ़ और 50 प्रतिशत महिलाओं को हिमाचल प्रदेश में कोरोना वैक्सीन दिया गया है।