कोरोना के ख़िलाफ़ देश पिछले चार महीने से जंग लड़ रहा है। इतने वक़्त में इस वायरस से संक्रमित मरीज़ों के लिए इलाज की बेहतर व्यवस्था आसानी से हो सकती थी। लेकिन अभी भी जिस तरह के वीडियो सोशल मीडिया में आ रहे हैं, उससे साफ दिखाई दे रहा है कि बेहतर व्यवस्थाओं के मामले में हम बहुत पीछे हैं। आने वाले समय में हालात के बेहद ख़राब होने की आशंका है और डॉक्टर्स इसे लेकर लगातार चेता रहे हैं।
पहला वीडियो जो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है, वह उत्तर प्रदेश के बरेली के राजश्री अस्पताल का है। बताया गया है यह अस्पताल पूरी तरह कोरोना संक्रमितों के इलाज के लिए ही है लेकिन यहां बरसात में झरने से भी तेज पानी अस्पताल के वार्ड के अंदर आ रहा है।
लोग बेबस हैं और अस्पताल के प्रशासन को इसके लिए कोस रहे हैं। वीडियो के वायरल होने के बाद अस्पताल प्रशासन को सुध आई और उसने इसकी मरम्मत कराई।
समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने इस वीडियो को ट्वीट करते हुए लिखा - ‘ये है उप्र में क्वारेंटीन सेंटर का हाल, पानी नहीं पर झरना बह रहा लगातार।’
कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने इसे लेकर राज्य की योगी सरकार पर तंज कसा। प्रियंका ने लिखा - ‘बरेली कोविड अस्पताल का हाल देखिए। कोविड वार्ड में झरना फूट पड़ा है।’
उत्तर प्रदेश में अस्पतालों की बदतर हालत, कम टेस्टिंग और क्वारेंटीन सेंटर्स में बदइंतजामी के कारण मरीज़ों के भाग जाने की ख़बरें आ चुकी हैं।
दूसरा वीडियो कर्नाटक का है। इस अस्पताल के प्रशासन के लिए तो हद ही हो गई है क्योंकि यहां का जो वीडियो सामने आया है, उसमें अस्पताल के अंदर सुअर घूम रहे हैं। यह राज्य सरकार का अस्पताल है और यहां भी कोरोना संक्रमितों का इलाज चल रहा है। यह अस्पताल गुलबर्गा जिले में है।
वीडियो में दिख रहा है कि सुअर इधर से उधर भाग रहे हैं और वहां कई लोग भी दिख रहे हैं। गुलबर्गा जिले के डेप्युटी कमिश्नर ने अस्पताल का दौरा करने के बाद पुलिस को इन सुअरों के मालिक के ख़िलाफ़ केस दर्ज करने के आदेश दिए हैं। लेकिन सवाल तो यह है कि सुअरों का झुंड अस्पताल के अंदर कैसे पहुंच गया। क्या वहां कोई गार्ड तक नहीं था। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री बी. श्रीरामुलु का कहना है कि उन्होंने अधिकारियों को आदेश दिए हैं कि ऐसा फिर से नहीं होना चाहिए।
ऐसा नहीं है कि ऐसे हालात कर्नाटक और उत्तर प्रदेश में ही हैं। देश की राजधानी दिल्ली से भी ऐसी ख़बरें सामने आई हैं जिनमें कोरोना संक्रमितों को इलाज नहीं मिला।
दिल्ली के अस्पतालों में बदइंतजामी को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट को कहना पड़ा कि ‘जानवरों से बदतर ढंग से कोरोना के मरीजों का इलाज हो रहा है।’ यही हाल गुजरात का है, जहां हाई कोर्ट ने कहा कि ‘अहमदाबाद सिविल अस्पताल काल कोठरी से बदतर है।’
इतना समय बीत जाने के बाद भी केंद्र व राज्य सरकारें हालात को अगर दुरुस्त नहीं कर पाई हैं तो इसके लिए उन्हें कठघरे में खड़ा किया जाना चाहिए। आने वाले समय में बिहार, मध्य प्रदेश और कुछ अन्य राज्य कोरोना संक्रमण के हॉट स्पॉट के रूप में उभर सकते हैं। ऐसी लचर व्यवस्थाओं के लिए जिम्मेदार लोगों पर सख़्त एक्शन होना चाहिए।