नए कृषि विधेयकों के विरोध में शिरोमणि अकाली दल की नेता हरसिमरत बादल के इस्तीफ़े के बाद अब प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि इन विधेयकों को लेकर ग़लत सूचना फैलाई जा रही है। उन्होंने कहा कि इन विधेयकों से किसानों को सिर्फ़ फ़ायदा होगा और जो इसका विरोध कर रहे हैं वे असल में बिचौलिए के पक्षधर हैं और 'किसानों को धोखा' दे रहे हैं।
प्रधानमंत्री मोदी का यह बयान ऐसे समय में आया है जब पंजाब और हरियाणा के किसानों में कृषि से जुड़े इन विधेयकों के ख़िलाफ़ ज़बरदस्त ग़ुस्सा है और वे क़रीब 3 महीने से इसके ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे हैं। अकालियों ने शुरू में इन विधेयकों का समर्थन किया था, लेकिन जब देखा कि पंजाब और हरियाणा में किसानों में इसको लेकर ज़बरदस्त ग़ुस्सा है तो अपनी रणनीति बदली। अब अकाली मोदी सरकार के ख़िलाफ़ हो गए हैं। इस बीच गुरुवार देर शाम को ही लोकसभा में कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक, मूल्य आश्वासन और कृषि सेवाओं पर किसान (संरक्षण एवं सशक्तिकरण बिल) 2020 पास हो गया है।
मोदी सरकार जो नए कृषि विधेयक लेकर आई उनको लेकर कहा जा रहा है कि किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य ही आमदनी का एकमात्र ज़रिया है, विधेयक इसे भी ख़त्म कर देगा। इसके अलावा कहा जा रहा है कि ये मौजूदा मंडी व्यवस्था का ख़ात्मा करने वाले हैं। पंजाब और हरियाणा में इसको लेकर ज़बरदस्त विरोध हो रहा है। शिरोमणि अकाली दल के साथ ही दूसरी विपक्षी पार्टियाँ भी इस मुद्दे को ज़ोर-शोर से उठा रही हैं। नये कृषि विधेयक पर मोदी सरकार को तीखी आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है।
इन्हीं बातों को लेकर प्रधानमंत्री मोदी ने आज सफ़ाई दी है। उन्होंने बिहार के कोसी में रेल पुल का ऑनलाइन उद्घाटन करते हुए नये कृषि विधेयकों के बारे में कहा कि कल विश्वकर्मा जयंती के दिन लोकसभा में ऐतिहासिक कृषि सुधार विधेयक पारित किए गए हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इन विधेयकों ने हमारे अन्नदाता किसानों को अनेक बंधनों से मुक्ति दिलाई है, उन्हें आज़ाद किया है। प्रधानमंत्री ने किसानों के नुक़सान होने के दावे पर कहा कि इन सुधारों से किसानों को अपनी उपज बेचने में और ज़्यादा विकल्प मिलेंगे, और ज़्यादा अवसर मिलेंगे।
इन विधेयकों से किसानों को भारी नुक़सान होने के आरोपों पर प्रधानमंत्री ने विरोधियों पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि किसान और ग्राहक के बीच जो बिचौलिए होते हैं जो किसानों की कमाई का बड़ा हिस्सा ख़ुद ले लेते हैं उनसे बचाने के लिए ये विधेयक लाए जाने बहुत आवश्यक थे। प्रधानमंत्री मोदी ने इन विधेयकों को किसानों के लिए रक्षा कवच क़रार दिया है। उन्होंने बिना कांग्रेस पार्टी का नाम लिए निशाना साधा और कहा, 'कुछ लोग जो दशकों तक सत्ता में रहे हैं, देश पर राज किया है, वो लोग किसानों को इस विषय पर भ्रमित करने की कोशिश कर रहे हैं, किसानों से झूठ बोल रहे हैं।' एक दिन पहले ही यानी कल देर शाम को भी प्रधानमंत्री ने इसको लेकर ट्वीट किया था।
मोदी मंत्रिमंडल से इस्तीफ़ा देने के बाद हरसिमरत कौर ने कहा, 'मैंने कहा कि सरकार को हितधारकों के साथ सलाह-मशविरा के बाद विधेयक लाना चाहिए। न केवल पंजाब में बल्कि हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में भी किसान आंदोलन कर रहे हैं। दक्षिण भारत में विरोध हो रहा है।'
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बता दें कि शिरोमणि अकाली दल की हरसिमरत कौर के इस्तीफ़े के बाद बीजेपी की सहयोगी जेजेपी पर अब दबाव बढ़ गया है। पंजाब और हरियाणा में शिरोमणि अकाली दल और जेजेपी का वोट बैंक किसान ही रहे हैं। किसानों के ग़ुस्से और विरोध प्रदर्शन के बाद ही अकाली दल ने मोदी मंत्रिमंडल से अलग होने का फ़ैसला लिया है। लेकिन दुष्यंत चौटाला की जेजेपी अभी भी हरियाणा सरकार में हिस्सेदार है। जेजेपी तो फ़िलहाल कृषि विधेयकों को किसानों का हितैषी बता रही है, लेकिन किसानों के लगातार बढ़ते विरोध के बीच उसके लिए भी किसानों का ग़ुस्सा ज़्यादा समय तक झेलना मुश्किल होगा।