PM केयर्स: पीएमओ के स्टाफ़ ने कितना पैसा दिया, नहीं पता

10:09 am Oct 15, 2020 | सत्य ब्यूरो - सत्य हिन्दी

कोरोना काल में मोदी सरकार द्वारा लांच किए गए पीएम केयर्स फ़ंड में केंद्र सरकार के 50 सरकारी विभागों के स्टाफ़ की सैलरी से भी पैसा गया है। इन विभागों ने मिलकर 157.23 करोड़ रुपये इस फ़ंड में दिए। ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ को आरटीआई के जरिये यह जानकारी मिली है। 

इस राशि में से 146.72 करोड़ तो अकेले रेलवे ने दिए हैं, यानी 93 फ़ीसदी से ज़्यादा। जबकि कोरोना और लॉकडाउन के दौरान सबसे ज़्यादा नुक़सान रेलवे को ही हुआ है। इसके बाद डिपार्टमेंट ऑफ़ स्पेस यानी अंतरिक्ष विभाग ने 5.18 करोड़ की राशि दी। 

कुछ महीने पहले केंद्र सरकार ने पीएम केयर्स फ़ंड को लेकर कहा था कि नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक यानी सीएजी इसका ऑडिट नहीं कर सकता। इसके बाद सरकार ने एक के बाद एक कई आरटीआई आवेदनों को खारिज करते हुए साफ़ शब्दों में कहा था कि वह इस फ़ंड के बारे में कुछ भी बताने के लिए बाध्य नहीं है।

इस बार ऐसा फिर से हुआ, जब कुछ जानकारियों को छुपा लिया गया। आरटीआई के तहत प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ), गृह मंत्रालय के अधीन काम करने वाले स्टाफ़, डाक विभाग जैसे बड़े विभागों, जिनमें बड़ी संख्या में लोग काम करते हैं, उनके स्टाफ़ ने इसमें कितना पैसा दिया, इसका जवाब नहीं दिया गया। 

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कुछ विभागों द्वारा आरटीआई से मांगी गई इस जानकारी को पीएमओ को भेज दिया गया और इसमें इसी बात को दोहराया गया कि पीएम केयर्स फ़ंड पब्लिक अथॉरिटी नहीं है। हालांकि पर्यावरण मंत्रालय के स्टाफ़ ने 1.14 करोड़ और विदेश मंत्रालय के स्टाफ़ ने 43.26 लाख रुपये इस फ़ंड में दिए, इसकी जानकारी दी गई है। 

इसके अलावा रक्षा मंत्रालय के स्टाफ़ की ओर से 26.20 लाख रुपये दिए गए। लोकसभा सचिवालय के स्टाफ़ की ओर से 52.54 लाख और राज्यसभा सचिवालय के स्टाफ़ की ओर से 36.39 लाख रुपये पीएम केयर्स फ़ंड में दिए गए। 

पीएम केयर्स फ़ंड की वेबसाइट पर डाली गई जानकारियों के अनुसार, इसे फ़ॉरेन करेंसी रेग्युलेशन एक्ट, 2010, के सभी प्रावधानों से छूट मिल गई है। यानी विदेशों से चंदा उगाहने में इस क़ानून के तहत सरकार को किसी तरह का हिसाब-किताब नहीं देना होगा और न ही इससे किसी तरह की पूछताछ की जाएगी।

विपक्ष ने पूछा था सवाल

विपक्ष भी पीएम केयर्स फ़ंड में आने वाली राशि को लेकर सवाल उठाता रहा है। कुछ दिन पहले इस फ़ंड को लेकर जानकारी सामने आई थी कि 27 मार्च से लेकर 31 मार्च तक यानी सिर्फ 5 दिन में इस कोष में 3,076 करोड़ रुपये जमा कराए गए। इस पर पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने सरकार से पूछा था कि वह इन दानदाताओं के नाम क्यों नहीं उजागर करती।