शुक्रवार को संविधान दिवस पर होने वाले कार्यक्रम का कई विपक्षी दलों ने बहिष्कार कर दिया है। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस ने भी कार्यक्रम में न जाने का फ़ैसला किया है। इस कार्यक्रम को उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने संबोधित किया। यह कार्यक्रम संसद के सेंट्रल हॉल में हुआ।
दूसरे विपक्षी दल जैसे आरजेडी, डीएमके और वाम दल भी इस कार्यक्रम से दूर रह सकते हैं। इससे समझा जा सकता है कि 29 नवंबर से शुरू होने वाले संसद के शीतकालीन सत्र में सरकार और विपक्ष के बीच तनातनी बनी रहेगी।
विपक्षी एकता पर जोर
दूसरी ओर, कांग्रेस ने संसद सत्र में सरकार को घेरने के लिए विपक्षी एकता पर जोर दिया है। इस संबंध में गुरूवार को कांग्रेस की एक अहम बैठक हुई। इसमें पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी भी मौजूद रहीं। इसमें संसद सत्र के दौरान उठाए जाने वाले मुद्दों को लेकर बातचीत हुई। टीएमसी के साथ रिश्तों में खटास आने के बाद भी कांग्रेस विपक्षी एकता पर जोर देने जा रही है।
दूसरी ओर, सरकार भी संसद सत्र में होने वाले कामकाज के लिए ज़रूरी होम वर्क कर रही है। सत्र के पहले दिन कृषि क़ानूनों को रद्द करने की संवैधानिक प्रक्रिया को पूरा किया जाएगा। मोदी कैबिनेट की बैठक में कृषि क़ानूनों को रद्द किए जाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई है।
संसद में अभी इन कृषि क़ानूनों को रद्द किए जाने की संवैधानिक प्रक्रिया बाक़ी है। किसानों ने भी कहा है कि वे संसद में इन क़ानूनों के रद्द होने पर ही सरकार की बात पर भरोसा करेंगे।
सर्वदलीय बैठक होगी
संसद सत्र से पहले सर्वदलीय बैठक बुलाई जाएगी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इसमें हिस्सा लेंगे। यह बैठक 28 नवंबर को होगी। इसमें कृषि क़ानूनों की वापसी और एमएसपी को लेकर गारंटी क़ानून बनाए जाने पर बातचीत हो सकती है।
बीते संसद सत्र के दौरान कृषि क़ानूनों व पेगासस जासूसी मामले को लेकर खासा हंगामा हुआ था और सदन का कामकाज बुरी तरह प्रभावित हुआ था। इसलिए सरकार की कोशिश है कि इस बार वैसे हालात न बनें।