कृषि विधेयकों को काला क़ानून बता रहे विपक्ष ने मोदी सरकार के ख़िलाफ़ जोरदार मोर्चा खोल दिया है। मंगलवार को विपक्ष ने एलान किया है कि जब तक उसकी तीन मांगें नहीं मानी जातीं, वह राज्यसभा का बहिष्कार जारी रखेगा। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने उग्र तेवर अपनाते हुए मंगलवार को सदन की कार्यवाही शुरू होने के थोड़ी ही देर बाद सदन से वॉक आउट कर दिया। इसके बाद आम आदमी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस और वाम दलों के सांसद भी कांग्रेस का साथ देते हुए सदन से बाहर चले गए।
सदन में विपक्ष के नेता ग़ुलाम नबी आज़ाद ने कहा है कि तीन मांगों में सबसे प्रमुख मांग 8 सांसदों का निलंबन वापस लेने की है।
शून्यकाल के दौरान ग़ुलाम नबी आज़ाद ने यह मांग भी रखी कि सरकार जो विधेयक ला रही है, उसमें इस बात को तय किया जाना चाहिए कि निजी क्षेत्र के कारोबारी सरकार द्वारा निर्धारित किए गए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से कम पर अनाज की ख़रीद न कर सकें। उन्होंने सरकार से मांग कि एमएसपी को स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार निर्धारित किया जाना चाहिए।
कांग्रेस के राज्यसभा सांसद अहमद पटेल ने कहा कि विपक्ष को बोलने का मौक़ा नहीं दिया गया और सिर्फ़ एकतरफ़ा रवैया अपनाया गया। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार द्वारा लाए जा रहे ये विधेयक किसान, ग़रीब और मजूदर के हित में नहीं हैं।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी मंगलवार को ट्वीट करके मोदी सरकार पर जोरदार हमला बोला। राहुल ने ट्वीट कर बताने की कोशिश की कि बीजेपी ने इस पर किस तरह अपना स्टैंड बदला है।
इससे पहले कृषि विधेयकों का पुरजोर विरोध कर रहे विपक्षी दलों के 8 सांसदों ने सोमवार रात को संसद के लॉन में ही धरना दिया। ये वे सांसद हैं, जिन्हें रविवार को राज्यसभा में हुए हंगामे के बाद एक हफ़्ते के लिए सस्पेंड कर दिया गया था। राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने सोमवार को यह कार्रवाई की थी।
नायडू का कहना था कि सांसदों ने जिस तरह का व्यवहार किया, वह बेहद ख़राब था। इन सांसदों में डेरेक ओ ब्रायन, संजय सिंह, राजीव साटव, केके रागेश, रिपुन बोरा, डोला सेन, सैयद नाज़िर हुसैन और एलामारान करीम शामिल हैं। राज्यसभा में किसानों से जुड़े विधेयकों के पारित होने के बाद रविवार को काफी देर तक हंगामा हुआ था और विपक्षी दलों के सांसदों ने इसके ख़िलाफ़ नारेबाज़ी की थी।
कृषि विधेयकों को लेकर संसद के दोनों सदनों के अलावा सड़क पर भी जोरदार विरोध हो रहा है। किसानों का कहना है कि वे इन विधेयकों को किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं करेंगे।
किसान आंदोलन को समझिए इस चर्चा के जरिये-
बिचौलियों के पक्षधर कर रहे विरोध
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि इन विधेयकों ने हमारे अन्नदाता किसानों को अनेक बंधनों से मुक्ति दिलाई है, उन्हें आज़ाद किया है। प्रधानमंत्री ने किसानों के नुक़सान होने के सवालों को लेकर कहा है कि इन सुधारों से किसानों को अपनी उपज बेचने के लिए और ज़्यादा विकल्प मिलेंगे और ज़्यादा अवसर मिलेंगे।केंद्र सरकार का कहना है कि इन विधेयकों को लेकर ग़लत सूचना फैलाई जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि इन विधेयकों से किसानों को फ़ायदा होगा और जो इसका विरोध कर रहे हैं वे असल में बिचौलियों के पक्षधर हैं और 'किसानों को धोखा' दे रहे हैं।