जहांगीरपुरी लुटियन जोन से सिर्फ 23 किलोमीटर दूर है। आम आदमी पार्टी का लोकल दफ्तर जहांगीरपुरी में है। एमसीडी के बुलडोजर सुबह ही पहुंच गए थे। लेकिन लुटियन जोन का कोई भी नेता और न ही आप का कोई नेता जहांगीरपुरी में अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई का विरोध करने के लिए पहुंचा। लोगों ने बीजेपी की बुलडोजर पॉलिटिक्स के दौरान यह इंसाफ भी अपने सामने होते देखा कि जहांगीरपुरी में मस्जिद का गेट तो तोड़ दिया गया लेकिन पड़ोस के मंदिर का गेट छोड़ दिया गया।
बीजेपी के कब्जे वाली एमसीडी ने जहांगीरपुरी हिंसा की आड़ में अतिक्रमण हटाने का ऐलान किया था। यह बहती गंगा में हाथ धोने जैसा था। इसके बाद बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने बयान देकर सुझाव दिया कि एमसीडी वहां बुलडोजर भेजे, ताकि दंगाइयों को सबक सिखाया जा सके। जिस अन्दाज में मध्य प्रदेश, गुजरात और यूपी में बुलडोजर के जरिए एक समुदाय विशेष के कथित अवैध कब्जों को निशाना बनाया गया, वही पैटर्न दिल्ली में भी अपनाने की कोशिश की।
सुप्रीम कोर्ट में अगर वकील दुष्यंत दवे, प्रशांत भूषण सक्रिय न हुए होते तो कोर्ट स्वतः संज्ञान लेकर यह कार्रवाई नहीं करने वाला था। सीपीएम की वृंदा करात वहां सुप्रीम कोर्ट का आदेश लेकर पहुंची, सबसे बड़े अधिकारी को दिखाया। इसके बावजूद एमसीडी की बदमाशी जारी रही और वहां कथित अवैध कब्जे हटाए जाते रहे। अगर सीनियर वकील दुष्यंत दवे ने सुप्रीम कोर्ट को ताजा हालात से अवगत नहीं कराया होता तो अगले दो घंटों में पूरी जहांगीरपुरी से चुन-चुन कर टारगेटेड अवैध कब्जों को हटाया जाना था। अवैध कब्जे हटाने के नाम पर उन रेहड़ियों या ठेलों को भी तोड़ दिया गया जो चलती-फिरती दुकान होते हैं। उन्हें लगाने वाले शाम या रात को अपने घर लेकर चले जाते हैं। इन पर ज्यादातर सब्जियां, फल वगैरह बेचते हैं। चूंकि इस धंधे में समुदाय विशेष सक्रिय है तो एमसीडी के बुलडोजरों ने जहांगीरपुरी में उन्हें खासतौर पर निशाना बनाया।
नेताओं ने निराश किया
जहांगीरपुरी के मामले में तमाम विपक्षी दलों के नेताओं ने निराश किया। तमाम सबूत जिस तरह से सामने आए हैं, उससे साबित हो गया कि जहांगीरपुरी में साम्प्रदायिक हिंसा पार्टी विशेष द्वारा प्रायोजित थी और उसमें सरकार मददगार बनी। पुलिस का इस्तेमाल बहुत तरीके से किया गया और किया जा रहा है। विपक्षी दलों के पास मौका था कि वे बीजेपी की बुलडोजर पॉलिटिक्स के खिलाफ बुधवार को मैदान में उतरकर मोर्चा संभाल सकते थे। कांग्रेस मरणासन्न हालत में है। उसके नेता राहुल गांधी सिर्फ ट्विटर तक सीमित हो गए हैं। लेकिन कांग्रेस के जी 23 के नेता जो पार्टी को लेकर बहुत चिन्तित हैं, वो बुधवार को बीजेपी प्रायोजित बुलडोजरों के सामने खड़े हो सकते थे। समाजवादी पार्टी, बीएसपी जो अल्पसंख्यकों वोटों के दावेदार बनते हैं, उनके लिए दिल्ली में बीजेपी की बुलडोजर राजनीति का विरोध ज्यादा आसान होता। इसके संदेश यूपी तक जाते। उन्होंने भी मौका खो दिया। स्थिति ये है कि सपा के अखिलेश यादव और बीएसपी की मायावती ने बीजेपी की बुलडोजर राजनीति का मामूली विरोध भी नहीं किया।
दिल्ली में अवैध निर्माण
दिल्ली में क्या नहीं अवैध है। सरकार का डेटा खुद बताता है कि 77 फीसदी निर्माण दिल्ली में अवैध है। सिर्फ 23 फीसदी लोग विकसित कॉलोनियों या इलाकों में रहते हैं। लेकिन वहां रैम्प के बहाने, पौधे लगाने के बहाने, कैनोपी लगाने के बहाने अवैध कब्जे हैं। दिल्ली में 77 फीसदी लोग अवैध निर्माण करने के लिए इसलिए जिम्मेदार हैं, क्योंकि केंद्र से लेकर राज्य सरकार की नीयत हमेशा खराब रही है। दिल्ली विकास प्राधिकरण की अव्यावहारिक स्कीमें नाकाम साबित हो चुकी हैं। आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में झुग्गी झोंपड़ी की जमकर राजनीति की है। उसने गरीबों की बस्तियां पक्की करने के नाम पर सिर्फ आयोजन किए, आज जब एमसीडी जहांगीरपुरी में उन्हें टारगेट करने चली तो आप के नेता बिलों में घुस गए। जहांगीरपुरी के क्षेत्रीय नेता हिंसा वाले दिन से नदारद हैं। वे लोगों के जख्मों पर मरहम तक लगाने नहीं पहुंचे। आप का एकमात्र विधायक अमानतुल्लाह खान ही इस मामले में ट्वीट करते दिखाई दे रहे हैं।
जहांगीरपुरी में मस्जिद के मेन गेट को बुधवार को गिरा दिया गया। शोभायात्रा के दौरान मस्जिद के सामने ही विवाद शुरू होने का आरोप है। फोटो सोशल मीडिया
चुनाव और जहांगीरपुरी
जहांगीरपुरी में हिंसा से पैदा हुआ तनाव चंद दिनों में खत्म हो जाएगा। अवैध निर्माण की कार्रवाई भी शायद रुक जाए लेकिन आगामी एमसीडी चुनाव को लेकर जहांगीरपुरी में जो बिसात बीजेपी ने बिछाई है, वो उसमें सफल रही। आम आदमी पार्टी का वोट बैंक दोनों हाथों से बीजेपी ने लूट लिया। उसने बुलडोजर भिजवाकर हिन्दू-मुस्लिम ध्रुवीकरण करा दिया है। क्षेत्र के मुस्लिम मतदाता अब शायद ही आम आदमी पार्टी को वोट दें। कोई ताज्जुब नहीं कि वे बीजेपी को सुरक्षा के नाम पर वोट देने लगे, जिन्हें हम प्रोटेक्शन वोट भी कह सकते हैं। जिस अंसार नामक युवक को दिल्ली पुलिस ने मुख्य आरोपी बताकर पकड़ा है। दरअसल, वो यही काम कर रहा था। वो बीजेपी में घुसा और आप में भी गया। वो जहांगीरपुरी का सोशल वर्कर है। उसे ये अच्छी तरह पता चल गया था कि यहां बीजेपी के साथ मिलकर ही आगे बढ़ा जा सकता है। वहां ऐसे अंसार कई हैं जो बीजेपी और आप दोनों से जुड़े हुए हैं।
जहांगीरपुरी में बुधवार को बुलडोजर का चक्का रुकने के बाद एक परिवार अपने बिखरे हुए सामान संभालता हुआ। फोटो सोशल मीडिया
जहांगीरपुरी में बीजेपी और केंद्र सरकार प्रयोजित बुलडोजरों के चलने के दौरान इलाके के लोग आम आदमी पार्टी के स्थानीय नेताओं को याद करते रहे। लेकिन फोन मिलाने के बावजूद कोई उन गरीबों की फरियाद सुनने वाला नहीं था। कुछ नेताओं ने तो अपने फोन तक बंद कर दिए थे। किसी सीएम, डिप्टी सीएम या टीवी पर दिखाई पड़ने वाले आप नेताओं को वहां कहीं नहीं देखा गया।